Blog: आपका ब्लॉग |
![]() ![]() चन्द माहिए:1:सजदे में इधर हैं हमऔर उधर दिल हैदर पर तेरे जानम;2;जब से है तुम्हें देखादिल ने कब मानीकोई लछ्मन रेखा:3:क्या बात हुई ऐसीदिल में अब तेरेचाहत न रही वैसी:4:समझो न ये पानी हैक़तरा आँसू काख़ुद एक कहानी है5इक राह अनोखी हैजाना है सब कोपर किसने देखी है ?-आनन्द पाठक-... Read more |
![]() ![]() एक हास्य-व्यथा : दीदी ! नज़र रखना "ट्रिन! ट्रिन !ट्रिन !-फोन की घंटी बजी और श्रीमती ने आदतन फ़ोन उठाया।कहते हैं श्रीमती जी फ़ोन सुनती नहीं, ’सूँघती’ है और समझ लेती हैं कि किसका होगा।"हाँ बिल्लो बोल !""क्या दीदीऽऽ! तुम भी न! अरे ;बिल्लो नहीं --बिट्टो बोल रही हूँ।बिट्टो... Read more |
![]() ![]() एक गीततुम चाहे जितने पहरेदार बिठा दोदो नयन मिले तो भाव एक रहते हैं दो दिल ने कब माना है जग का बन्धन नव सपनों का करता रहता आलिंगन जब युगल कल्पना मूर्त रूप लेती हैं मन ऐसे महका करते ,जैसे चन्दनजब उच्छवासों में युगल प्राण घुल जातेतब मन के अन्तर्भाव एक... Read more |
![]() ![]() एक ग़ज़ल : मेरे जानाँ --मेरे जानाँ ! न आजमा मुझकोजुर्म किसने किया ,सज़ा मुझकोजिन्दगी तू ख़फ़ा ख़फ़ा क्यूँ है ?क्या है मेरी ख़ता ,बता मुझकोयूँ तो कोई नज़र नहीं आताकौन फिर दे रहा सदा मुझकोनासबूरी की इंतिहा क्या हैज़िन्दगी तू ही अब बता मुझकोहोश फिर उम्र भर नहीं आ... Read more |
![]() ![]() गीतापार्थ उठाओ शस्त्र तुम,करो अधर्म का अंत।रणभूमि में कृष्ण कहे,गीता ज्ञान अनंत।।कर्मयोग के ज्ञान का,अनुपम दे संदेश।गीता जीवन सार है,जिससे कटते क्लेश।।पतवारसाहस की पतवार हो,संकल्पों को थाम।पाना अपने लक्ष्य को,करना अपना नाम।।अक्षरअक्षर अच्युत अजर हैं, कण-कण में वि... Read more |
![]() ![]() एक व्यंग्य :: हुनर सीख लो ----’मेम सा’ब-आज मैं काम पर आने को नी ।महीने भर को गाँव जा री हूं। मेरा हिसाब कर के ’चेक’ गाँव भिजवा देना-’- कामवाली बाई ने अपनी अक्टिवा स्कूटर पर बैठे बैठे ही मोबाईल से फोन किया ।मेम साहब के पैरों तले ज़मीन खिसक गई -अरे सुन तो ! तू है किधर अभी?’’मेम साहब !... Read more |
![]() ![]() --रंग-मंच है जिन्दगी, अभिनय करते लोग।नाटक के इस खेल में, है संयोग-वियोग।।--विद्यालय में पढ़ रहे, सभी तरह के छात्र।विद्या के होते नहीं, अधिकारी सब पात्र।।--आपाधापी हर जगह, सभी जगह सरपञ्च।।रंग-मंच के क्षेत्र में, भी है खूब प्रपञ्च।।--रंग-मंच भी बन गया, जीवन का जंजाल।भोली चिड़... Read more |
![]() ![]() एक व्यंग्य : तालाब--मेढक---- मछलियाँ गाँव में तालाब । तालाब में मेढकऔर मछलियाँ ।और मगरमच्छ भी । गाँव क्या ? "मेरा गाँव मेरा देश ’ही समझ लीजिए।मछलियों ने मेढकों को वोट दिया और ’अलाना’ पार्टी बहुमत के पास पहुँचते पहुँचते रह गई । गोया क़िस्मत की देखो ख़ूबी ,टूटी कहाँ कमंददो-चार... Read more |
![]() ![]() ग़ज़ल : लगे दाग़ दामन पे--लगे दाग़ दामन पे , जाओगी कैसे ?बहाने भी क्या क्या ,बनाओगी कैसे ?चिराग़-ए-मुहब्बत बुझा तो रही होमगर याद मेरी मिटाओगी कैसे ?शराइत हज़ारों यहाँ ज़िन्दगी केभला तुम अकेले निभाओगी कैसे ?नहीं जो करोगी किसी पर भरोसातो अपनो को अपना बनाओगी कैसे ?रह-ए-इश्क़ मैं सैकड़ों ... Read more |
![]() ![]() होली पर एक ठे भोजपुरी गीत : होली पर....कईसे मनाईब होली ? हो राजा !कईसे मनाईब होली..ऽऽऽऽऽऽआवे केऽ कह गईला अजहूँ नऽ अईला’एस्मेसवे’ भेजला ,नऽ पइसे पठऊलापूछा न कईसे चलाइलऽ खरचाअपने तऽ जा के,परदेसे रम गईला कईसे सजाई रंगोली? हो राजा !कईसे सजाई रंगोली,,ऽऽऽऽऽमईया के कम से कम लुग्गा ... Read more |
![]() ![]() ए चांद ये सुना हैतुम जिहादी हो गए होचौदहवीं के चांद थे तुमअब ईद के ही हो गए हो !!तुम तो थे प्रीतम कीरचना का सुंदर मुखड़ासुना है मुफलिसी कीरोटी भी हो गए हो !चौदहवीं के चांद थे तुमक्यों ईदके ही हो गए होनीले से नभ पे तुम तोतारों में जी रहे थेहरहरा कर के अब तुमदुश... Read more |
![]() ![]() सुनोO' Henry की कहानी'The last leaf' तो पढ़ी ही होगी तुमने !मैं Jhonsy सीअब भी प्रतीक्षारत हूंतुम्हारे भीतर के usचित्रकार Brehman की ...अब जब किमैं अपने भीतरफ़ैल चुके निराशा केनिमोनिया से मर रही हूंशैनेः शैने..सुनो brehmanक्या कूचीउठाओगे तुम ?मेरे लिएएक पत्तीरचाओगे तुम ??... Read more |
![]() ![]() बला सा रूप तेरा, मेरी नज़रों में समाना, बिन बताए फिर तेरा मुझे मेरे दिल में उतरना।इन सब से तेरा अनजान होना , कमबख्त मुझे तुझ से एक तरफा प्यार का होनाचांद सा चेहरा तेरा उस पर जुल्फों का आना,तेरा उन्हें पकड़ना बाधना, फिर खोलना मेरा यूं तेरे ... Read more |
![]() ![]() चन्द माहिया:1:दीदार न हो जब तकयूँ ही रहे चढ़ताउतरे न नशा तब तक:2:ये इश्क़ सदाकत हैखेल नहीं , साहिब !इक तर्ज़-ए-इबादत है:3:बस एक झलक पानामा’नी होता हैइक उम्र गुज़र जाना:4:अपनी पहचान नहींढूँढ रहा बाहरभीतर का ध्यान नहीं:5:जब तक मैं हूँ ,तुम होकैसे कह दूँ मैंतुम मुझ में ही गुम हो-आनन्द.प... Read more |
![]() ![]() आदमी का कोई अब भरोसा नहींवह कहाँ तक गिरेगा ये सोचा नहीं’रामनामी’ भले ओढ़ कर घूमताकौन कहता है देगा वो धोखा नहींप्यार की रोशनी से वो महरूम हैखोलता अपना दर या दरीचा नहींउनके वादें है कुछ और उस्लूब कुछयह सियासी शगल है अनोखा नहींया तो सर दे झुका या तो सर ले कटाउनका फ़रमान शाह... Read more |
![]() ![]() एक ग़ज़ल : नहीं जानता हूँ कौन हूँ--नहीं जानता कौन हूँ ,मैं कहाँ हूँउन्हें ढूँढता मैं यहाँ से वहाँ हूँतुम्हारी ही तख़्लीक़ का आइना बनअदम से हूँ निकला वो नाम-ओ-निशाँ हूँबहुत कुछ था कहना ,नहीं कह सका थाउसी बेज़ुबानी का तर्ज़-ए-बयाँ हूँतुम्हीं ने बनाया , तुम्हीं ने मिटायाजो कुछ भी ह... Read more |
![]() ![]() एक ग़ज़ल : झूठ इतना इस तरह ---झूठ इतना इस तरह बोला गयासच के सर इलजाम सब थोपा गयाझूठ वाले जश्न में डूबे रहे -और सच के नाम पर रोया गयावह तुम्हारी साज़िशें थी या वफ़ाराज़ यह अबतक नहीं खोला गयाआइना क्यों देख कर घबरा गएआप ही का अक्स था जो छा गयाकैसे कह दूँ तुम नहीं शामिल रहेजब फ़ज़... Read more |
![]() ![]() नादां है बहुत कोई समझाये दिल को चाहता उड़ना आसमाँ में है पड़ी पांव ज़ंजीर कट चुके हैं पंख फिर भी उड़ने की आस.. नादां है बहुत कोई समझाये दिल को डगमगा रही नौका बीच भंवर फिर भी लहरों से जुझने को तैयार परवाह नहीं डूबने की मर मिटने को तैयार नहीं मानता दिल यह समझाने से भी जब तक ह... Read more |
![]() ![]() मुझे याद आओगेकभी तो भूल पाऊँगा तुमको, मुश्क़िल तो है|लेकिन, मंज़िल अब वहीं है||पहले तुम्हारी एक झलक को, कायल रहता था|लेकिन अगर तुम अब मिले, तों भूलना मुश्किल होगा||@ऋषभ शुक्लाहिन्दी कविता मंच... Read more |
![]() ![]() एक ग़ज़ल : भले ज़िन्दगी से हज़ारों ---भले ज़िन्दगी से हज़ारों शिकायतजो कुछ मिला है उसी की इनायतये हस्ती न होती ,तो होते कहाँ सबफ़राइज़ , शराइत ,ये रस्म-ओ-रिवायतकहाँ तक मैं समझूँ ,कहाँ तक मैं मानूये वाइज़ की बातें वो हर्फ़-ए-हिदायतन पंडित ,न मुल्ला ,न राजा ,न गुरबारह-ए-मर्ग में ना क... Read more |
![]() ![]() हे हरसिंगारओ शेफालीअरी ओ प्राजक्ता !सुना हैतू सीधे स्वर्ग सेउतर आई थीकहते हैसत्यभामा की जलनदेवलोक सेपृथ्वी लोक परतुझे खींच लाई थीतू ही बताहै ये चन्द्र का प्रेमया सूर्य से विरक्तिकि बरस मेंफ़कत एक माससिर्फ रात कोदेह तेरीहरसिंगार के फूलों सेभरभराई थी !... Read more |
![]() ![]() एक ग़ज़ल : दुश्मनी कब तक-----दुश्मनी कब तक निभाओगे कहाँ तक ?आग में खुद को जलाओगे कहाँ तक ?है किसे फ़ुरसत तुम्हारा ग़म सुने जोरंज-ओ-ग़म अपना सुनाओगे कहाँ तक ?नफ़रतों की आग से तुम खेलते होपैरहन अपना बचाओगे कहाँ तक ?रोशनी से रोशनी का सिलसिला हैइन चरागों को बुझाओगे कहाँ... Read more |
![]() ![]() तुम ही कहो न क्या मैं ख्वाहिश कोदेर तक याद में तेरी ....जागने की ...इजाज़त दूं ?तुम ही कहो नक्या मैं यादों कोखुदा के सजदे सानाम और दर्ज़ाइबादत दूं ?तुम ही कहो नक्यों इन हवाओं नेतुझसे लिपटने की बदमाशियां की और शरारत क्यूं ?तुम ही कहो नक्या ग़ज़ल मैं हूं ?इक नज़्म सी म... Read more |
![]() ![]() दीपावली पर विशेष-------एक गीत : आओ कुछ दीप हम जलाएँ---एक अमा और हम मिटाएँआओ कुछ दीप हम जलाएँखुशियाँ उल्लास साथ लेकरयुग युग से आ रही दिवालीकितना है मिट सका अँधेराकितनी दीपावली मना लीअन्तस में हो घना अँधेरा ,आशा की किरण हम जगाएँ,आओ कुछ दीप हम जलाएँनफ़रत की हवा बह रही हैऔर इध... Read more |
![]() ![]() कुड़िये कर कुड़माई,बहना चाहे हैं,प्यारी सी भौजाई।धो आ मुख को पहले,बीच तलैया में,फिर जो मन में कहले।।गोरी चल लुधियाना,मौज मनाएँगे,होटल में खा खाना।नखरे भारी मेरे,रे बिक जाएँगे,कपड़े लत्ते तेरे।।ले जाऊँ अमृतसर,सैर कराऊँगा,बग्गी में बैठा कर।तुम तो छेड़ो कुड़ियाँ,पंछी बिणजार... Read more |
Share: |
|
|||||||||||
और सन्देश... |
![]() |
कुल ब्लॉग्स (4017) | ![]() |
कुल पोस्ट (192823) |