Blog: ब्लॉगमंच |
![]() ![]() ‘चन्दा और सूरज’’चन्दा में चाहे कितने ही, धब्बे काले-काले हों।सूरज में चाहे कितने ही, सुख के भरे उजाले हों।लेकिन वो चन्दा जैसी शीतलता नही दे पायेगा।अन्तर के अनुभावों में, कोमलता नही दे पायेगा।।सूरज में है तपन, चाँद में ठण्डक चन्दन जैसी है।प्रेम-प्रीत के सम्वाद... Read more |
![]() ![]() होली का त्यौहार-0-0-0-0-0-फागुन में अच्छी लगें, रंगों की बौछार।सुन्दर, सुखद-ललाम है, होली का त्यौहार।।--शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार।प्यार बाँटने आ गया, होली का त्यौहार।।--पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार।सीख सिखाता है यही, होली का त्यौहार।।--रंगों के इस पर्व का, यह ही है ... Read more |
![]() ![]() चर्चा मंचकी चर्चाकाराश्रीमती राधातिवारी जीके पूज्य पिता श्री भोलादत्त पाण्डेय जी काजोधपुर में लम्बी बीमारी के बाददेहावसान हो गया है।मंच दुःख की इस घड़ी मेंश्रीमती राधातिवारी जीकेसाथ सहभागी हैऔर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता है।बिना आपके है दुखी, सार... Read more |
![]() ![]() अपनी बालकृति"हँसता गाता बचपन"सेतख्ती और स्लेटसिसक-सिसक कर स्लेट जी रही,तख्ती ने दम तोड़ दिया है।सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है,कलम टाट का छोड़ दिया है।। दादी कहती एक कहानी,बीत गई सभ्यता पुरानी।लकड़ी की पाटी होती थी,बची न उसकी कोई निशानी। फाउण्टेन-पेन गायब हैं,बॉल पेन फल-... Read more |
![]() ![]() मित्रों!आज हिन्दी वर्णमाला की अन्तिम कड़ी में प्रस्तुत हैंऊष्म और संयुक्ताक्षरसबसे पहले देखिए..--“ष”“ष” से बन जाता षटकोण!षड्दर्शन, षड्दृष्टिकोण! षट्-विद्याओं को धारणकर,बन जाओ अर्जुन और द्रोण!!-- “श”“श” से शंकर हैं भगवान!शम्भू जी हैं कृपानिधान!खाओ शहद, शर... Read more |
![]() ![]() "व्यञ्जनावली-अन्तस्थ"--“य”“य” से यति वो ही कहलाते!जो नित यज्ञ-हवन करवाते!वातावरण शुद्ध हो जाता,कष्ट-क्लेश इससे मिट जाते!--“र” “र” से रसना को लो जान!रथ को हाँक रहे भगवान!खट्टा, मीठा और चरपरा,सबकी है इसको पहचान!--“ल” “ल” से लड्डू और लंगूर!लट्टू घूम रहा भरपूर!काले मु... Read more |
![]() ![]() “व्यञ्जनावली-पवर्ग” -- "प""प"से पर्वत और पतंग!पत्थर हैं पहाड़ के अंग!मानो तो ये महादेव हैं,बहुत निराले इनके ढंग!!-- "फ" फ से फल गुण का भण्डार!फल सबसे अच्छा आहार! फ से बन जाता फव्वारा,फव्वारे की ऊँची धार!!-- "ब" "ब"से बरगद है बन जाता!घनी छाँव हमको दे जाता!ब से बगुला, बक... Read more |
![]() ![]() "त""त"से तकली और तलवार!बच्चों को तख्ती से प्यार!तरु का अर्थ पेड़ होता है,तरुवर जीवन का आधार!!”थ”"थ"से थन, थरमस बन जाता!थम से जन जीवन थम जाता!थाम रहा थम जगत-नियन्ता,सबका रक्षक एक विधाता!!"द"द से दवा-दवात-दया है!दंगल में बलवान नया है!कभी नही वो वापिस आया,जो दुनिया से चला गया है!!"ध""ध"... Read more |
![]() ![]() "हिन्दी व्यञ्जनावली-टवर्ग" --"ट""ट"से टहनी और टमाटर!अंग्रेजी भाषा है टर-टर!हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है,सम्बोधन में होता आदर!! --"ठ""ठ"से ठेंगा और ठठेरा!दुनिया में ठलुओं का डेरा!ठग लोगों को बहकाता है,तोड़ डालना इसका घेरा!! --"ड""ड"से बनता डम्बल-डण्डा!डलिया में मत रखना अण्डा!रूखी-... Read more |
![]() ![]() "च""च"से चन्दा-चम्मच-चमचम!चरखा सूत कातता हरदम!सरदी, गरमी और वर्षा का,बदल-बदल कर आता मौसम!!"छ""छ"से छतरी सदा लगाओ!छत पर मत तुम पतंग उड़ाओ!छम-छम बारिश जब आती हो,झट इसके नीचे छिप जाओ!!"ज""ज"से जड़ और लिखो जहाज!सागर पार करो तुम आज!पानी पर सरपट चलता जो,उस जहाज पर हमको नाज!!"झ""झ"से झण्डा लगत... Read more |
![]() ![]() ♥ व्यञ्जनावली-कवर्ग ♥"क""क"से कलम हाथ में लेकर!लिख सकते हैं कमल-कबूतर!!"क"पहला व्यञ्जन हिन्दी का,भूल न जाना इसे मित्रवर!!--"ख""ख"से खम्बा और खलिहान!खेत जोतता श्रमिक किसान!!"ख"से खरहा और खरगोश,झाड़ी जिसका विमल वितान!!--"ग""ग"से गङ्गा, गहरी धारा!गधा भार ढोता बेचारा!!"ग"से गमला घर ... Read more |
![]() ![]() मित्रों...!गर्मी अपने पूरे यौवन पर है।ऐसे में मेरी यह बालरचना आपको जरूर सुकून देगी!पिकनिक करने का मन आया!मोटर में सबको बैठाया!!पहुँच गये जब नदी किनारे!खरबूजे के खेत निहारे!!ककड़ी, खीरा और तरबूजे!कच्चे-पक्के थे खरबूजे!!प्राची, किट्टू और प्रांजल!करते थे जंगल में मंगल!!... Read more |
![]() ![]() आदमी के इरादे बदलने लगेदीन-ईमान पल-पल फिसलने लगेचल पड़ी गर्म अब तो हवाएँ यहाँसभ्यता के हिमालय पिघलने लगेफूल कैसे खिलेंगे चमन में भला,लोग मासूम कलियाँ मसलने लगे।अब तो पूरब में सूरज लगा डूबनेपश्चिमी रंग में लोग ढलने लगेदेख उजले लिबासों में मैले मगरशान्त सागर के आँसू न... Read more |
![]() ![]() जलाया खून है अपना, पसीना भी बहाया है।कृषक ने अन्न खेतों में, परिश्रम से कमाया है।।सुलगते जिसके दम से हैं, घरों में शान से चूल्हे,उसी पालक को, साहूकार ने भिक्षुक बनाया है।मुखौटा पहनकर बैठे हैं, ढोंगी आज आसन पर,जिन्होंने कंकरीटों का, यहाँ जंगल उगाया है।कहें अब दास्तां किस... Read more |
![]() ![]() जलाया खून है अपना, पसीना भी बहाया है।कृषक ने अन्न खेतों में, परिश्रम से कमाया है।।सुलगते जिसके दम से हैं, घरों में शान से चूल्हे,उसी पालक को, साहूकार ने भिक्षुक बनाया है।मुखौटा पहनकर बैठे हैं, ढोंगी आज आसन पर,जिन्होंने कंकरीटों का, यहाँ जंगल उगाया है।कहें अब दास्तां किस... Read more |
![]() ![]() 19 सितम्बर, 2015 कोमेरे अभिन्न मित्र स्व. देवदत्त 'प्रसून'कीप्रथम काव्यकृति'झरी नीम की पत्तियाँ'का विमोचन पीलीभीत में हुआ।इस अवसर पर मैंने अपने मित्र को निम्न दोहों के साथ श्रद्धासुमन अर्पित किये।--चार दशक तक रहा था, साथ आपका मित्र।लेकिन अब तो रह गया, मात्र आपका चित्र।... Read more |
![]() ![]() जीवन भर जिसने कभी, किया नहीं विश्राम।धन्य हिन्द के केशरी, पंडित टीकाराम।।--दीन-दुखी के लिए जो, सदा रहे थे नाथ।जीवन सैनिक सा जिया, कर्तव्यों के साथ।।--खुश रहते हर हाल में, रहे न कभी उदास।कोकिल जैसे कण्ठ में, रहती मधुर-मिठास।।--शब्दों में जिनके सदा, रहता था लालित्य।'एकाकी'उप... Read more |
![]() ![]() आशा पर ही प्यार टिका है।आशा पर संसार टिका है।।आशाएँ ही वृक्ष लगाती,आशाएँ विश्वास जगाती,आशा पर परिवार टिका है।आशा पर संसार टिका है।।आशाएँ श्रमदान कराती,पत्थर को भगवान बनाती,आशा पर उपकार टिका है।आशा पर संसार टिका है।।आशा यमुना, आशा गंगा,आशाओं से चोला चंगा,आशा पर उद्ध... Read more |
![]() ![]() ‘‘रोटी की कहानी’’ एक राजकुमारी थी। वह रोटी खाने बैठी। रोटी गरम थी राजकुमारी का हाथ जल गया आर वह रोने लगी। तब रोटी ने कहा- ‘‘बहिन! तुम तो बहुत कमजोर दिल की हो। जरा सी भाप लगने पर ही रोने लगी।’’ ‘‘सुनो! अब मैं तमको अपनी कहानी सुनाती हूँ।’’मैं धरती की बेटी ह... Read more |
![]() ![]() ♥ रस काव्य की आत्मा है ♥सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि रस क्या होता है?कविता पढ़ने या नाटक देखने पर पाठक या दर्शक को जो आनन्द मिलता है उसे रस कहते हैं।आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा की संज्ञा दी है।रस के चार अंग होते हैं। 1- स्थायी भाव,2- विभाव,3- अनुभाव और4- संचारी भावसहृ... Read more |
![]() ![]() होली का त्यौहार-0-0-0-0-0-फागुन में नीके लगें, छींटे औ'बौछार।सुन्दर, सुखद-ललाम है, होली का त्यौहार।।शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार।प्यार बाँटने आ गया, होली का त्यौहार।।पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार।सीख सिखाता है यही, होली का त्यौहार।।रंगों के इस पर्व का, यह ही है उपहा... Read more |
![]() ![]() टेसू की डालियाँ फूलतीं, खेतों में बालियाँ झूलतीं, लगता है बसन्त आया है! केसर की क्यारियाँ महकतीं, बेरों की झाड़ियाँ चहकती, लगता है बसन्त आया है! आम-नीम पर बौर छा रहा, प्रीत-रीत का दौर आ रहा, लगता है बसन्त आया है!सूरज फिर से है मुस्काया , कोयलिया ने गान सुना... Read more |
![]() ![]() फिर से चमकेगा गगन-भाल। आने वाला है नया साल।।आशाएँ सरसती हैं मन में, खुशियाँ बरसेंगी आँगन में, सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल। आने वाला है नया साल।।होंगी सब दूर विफलताएँ, आयेंगी नई सफलताएँ, जन्मेंगे फिर से पाल-बाल। आने वाला है नया साल।।सिक्कों में नहीं बिकेंगे मन, सत्ता ढोये... Read more |
![]() ![]() जिनका पेटभरा हो उनको, भोजन नहीं कराऊँगा।जिस महफिल में उल्लू बोलें, वहाँ नहीं मैं गाऊँगा।।महाइन्द्र की पंचायत में, भेदभाव की है भाषा,अपनो की महफिल में, बौनी हुई सत्य की परिभाषा,ऐसे सम्मेलन में, खुद्दारों का होगा मान नहीं,नहीं टिकेगी वहाँ सरलता, ठहरेंगे विद्वान नही,नोक ... Read more |
![]() ![]() मान्यवर, दिनांक 18-19 अक्टूबर को खटीमा (उत्तराखण्ड) में बाल साहित्य संस्थान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें एक सत्र बाल साहित्य लिखने वाले ब्लॉगर्स का रखा गया है।हिन्दी में बाल साहित्य का सृजन करने वाले इसमें प्रतिभ... Read more |
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