Blog: सुख का सूरज |
![]() ![]() --जब बसन्त का मौसम आता,गीत प्रणय के गाता उपवन।मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,खुश हो करके करते गुंजन।।--आता है जब नवसंवतसर,मन में चाह जगाता है,जीवन में आगे बढ़ने की,नूतन राह दिखाता है,होली पर अच्छे लगते हैं,सबको नये-नये व्यंजन।मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,खुश हो करके करते गुंजन।। ... Read more |
![]() ![]() होली आई, होली आई,गुजिया, मठरी, बरफी लाई मीठे-मीठे शक्करपारे,सजे -धजे पापड़ हैं सारे,चिप्स कुरकुरे और करारे,दहीबड़े हैं प्यारे-प्यारे, तन-मन में मस्ती उभरी है,पिस्ता बरफी हरी-भरी है. पीले, हरे गुलाल लाल हैं,रंगों से सज गये थाल हैं. कितने सुन्दर, कितने चंचल,हा... Read more |
![]() ![]() कभी कुहरा, कभी सूरज, कभी आकाश में बादल घने हैं।दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।।आसमां पर चल रहे हैं, पाँव के नीचे धरा है,कल्पना में पल रहे हैं, सामने भोजन धरा है,पा लिया सब कुछ मगर, फिर भी बने हम अनमने हैं।दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।।आयेंगे तो जायेंगे... Read more |
![]() ![]() मेरे गाँव, गली-आँगन में, अपनापन ही अपनापन है।देश-वेश-परिवेश सभी में, कहीं नही बेगानापन है।।घर के आगे पेड़ नीम का, वैद्यराज सा खड़ा हुआ है।माता जैसी गौमाता का, खूँटा अब भी गड़ा हुआ है।टेसू के फूलों से गुंथित, तीनपात की हर डाली हैघर के पीछे हरियाली है, लगता मान... Read more |
![]() ![]() रूप इतना खूबसूरतआइने की क्या जरूरतआ रहीं नज़दीक घड़ियाँजब बनेगा शुभमुहूरतबैठकर जब बात होंगीदूर होंगी सब कुदूरतलाख पर्दों में छुपाओछिप नहीं पायेगी सूरतदिल में हमने है समायीआपकी सुन्दर सी सूरतआज मेरे चाँद का है"रूप"कितना खूबसूरत... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज"सेएक गीत"रिश्ते और प्यार बदल जाते हैं"युग के साथ-साथ, सारे हथियार बदल जाते हैं।नौका खेने वाले, खेवनहार बदल जाते हैं।।प्यार मुहब्बत के वादे सब निभा नहीं पाते हैं,नीति-रीति के मानदण्ड, व्यवहार बदल जाते हैं।"कंगाली में आटा गीला"भूख बहुत लगती ... Read more |
![]() ![]() मित्रों।फेस बुक पर मेरे मित्रों में एक श्री केवलराम भी हैं। उन्होंने मुझे चैटिंग में आग्रह किया कि उन्होंने एक ब्लॉगसेतु के नाम से एग्रीगेटर बनाया है। अतः आप उसमें अपने ब्लॉग जोड़ दीजिए। मैेने ब्लॉगसेतु का स्वागत किया और ब्लॉगसेतु में अपने ब्लॉग जोड़ने का प्रय... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज"सेएक ग़ज़ल"कुछ प्यार की बातें करें"ज़िन्दगी के खेल में, कुछ प्यार की बातें करें।प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।।नेह की लेकर मथानी, सिन्धु का मन्थन करें,छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें।आस के अंकुर उगाओ, अब सुमन के खे... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज"सेएक ग़ज़ल"जीत के माहौल में क्यों हार की बातें करें"सादगी के साथ में, शृंगार की बातें करेंजीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करेंसोचने को उम्र सारी ही पड़ी है सामने,प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करेंरंग मौसम ने भरे तो, रोज ही मधुमा... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज"सेएक गीतदिन आ गये हैं प्यार केखिल उठा सारा चमन, दिन आ गये हैं प्यार के।रीझने के खीझने के, प्रीत और मनुहार के।। चहुँओर धरती सज रही और डालियाँ हैं फूलती,पायल छमाछम बज रहीं और बालियाँ हैं झूलती,डोलियाँ सजने लगीं, दिन आ गये शृंगार के।रीझने के ... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्य संग्रह "सुख का सूरज"सेएक ग़ज़ल"गद्दार मेरा वतन बेच देंगे"ये गद्दार मेरा वतन बेच देंगे।ये गुस्साल ऐसे कफन बेच देंगे।बसेरा है सदियों से शाखों पे जिसकी,ये वो शाख वाला चमन बेच देंगे।सदाकत से इनको बिठाया जहाँ पर,ये वो देश की अंजुमन बेच देंगे।लिबासों में मीनों के... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेएक गीत"काँटों की पहरेदारी"आशा और निराशा के क्षण,पग-पग पर मिलते हैं।काँटों की पहरेदारी में,ही गुलाब खिलते हैं।पतझड़ और बसन्त कभी,हरियाली आती है।सर्दी-गर्मी सहने का,सन्देश सिखाती है।यश और अपयश साथ-साथ,दायें-बाये चलते हैं।काँटो की पहरेद... Read more |
![]() ![]() "कविता के सुख का सूरज" (डॉ. सिद्धेश्वर सिंह) डॉ. सिद्धेश्वर सिंह हिन्दी साहित्य और ब्लॉग की दुनिया का एक जाना-पहचाना नाम है। जब कभी विद्वता की बात चलती है तो डॉ. सिद्धेश्वर सिंह को कभी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। कर्मनाशा ब्लॉग पर इनकी लेखनी के विविध रूपों ... Read more |
![]() ![]() मेरी बातनहीं जानता कैसे बन जाते हैं, मुझसे गीत-गजल।ना जाने मन के नभ पर, कब छा जाते गहरे बादल।।ना कोई कापी ना कागज, ना ही कलम चलाता हूँ।खोल पेजमेकर को, हिन्दी-टंकण करता जाता हूँ।।देख छटा बारिश की, अंगुलियाँ चलने लगती हंै।कम्प्यूटर देखा तो उस पर, शब्द उगलने लगती ह... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेएक गीत"जब याद किसी की आती है"दिल में कुछ-कुछ होता है,जब याद किसी की आती है।मन सब सुध-बुध खोता है,जब याद किसी की आती है।गुलशन वीराना लगता है,पागल परवाना लगता है,भँवरा दीवाना लगता है,दिल में कुछ-कुछ होता है,जब याद किसी की आती है।मधुबन डरा-डरा ... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से"चाँद-सितारे ला सकता हूँ" अपना माना है जब तुमको,चाँद-सितारे ला सकता हूँ । तीखी-फीकी, जली-भुनी सी,सब्जी भी खा सकता हूँ।दर्शन करके चन्द्र-वदन का,निकल पड़ा हूँ राहों पर,बिना इस्तरी के कपड़ों में,दफ्तर भी जा सकता हूँ।गीत और संगीत बेसुरा,साज अ... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेलगता है बसन्त आया है!हर्षित होकर राग भ्रमर ने गाया है! लगता है बसन्त आया है!!नयनों में सज उठे सिन्दूरी सपने से,कानों में बज उठे साज कुछ अपने से,पुलकित होकर रोम-रोम मुस्काया है!लगता है बसन्त आया है!!खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है,आज धरा ने ... Read more |
![]() ![]() "जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए" अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेगीतनिर्दोष से प्रसून भी डरे हुए हैं आज।चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज।अश्लीलता के गान नौजवान गा रहा,चोली में छिपे अंग की गाथा सुना रहा,भौंडे सुरों के शोर में, सब दब गये हैं साज।चिड़ियों की काराग... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेगीतजी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए, दे रहे हैं हमें शुद्ध-शीतल पवन! खिलखिलाता इन्हीं की बदौलत सुमन!! रत्न अनमोल हैं ये हमारे लिए। जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए।।आदमी के सितम-जुल्म को सह रहे, परकटे से तने निज कथा कह रहे, कर रहे हम इन्हीं का ... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेगीत"शब्द कोई व्यापार नही है" जीवन की अभिव्यक्ति यही है,क्या शायर की भक्ति यही है?शब्द कोई व्यापार नही है,तलवारों की धार नही है,राजनीति परिवार नही है,भाई-भाई में प्यार नही है,क्या दुनिया की शक्ति यही है?निर्धन-निर्धन होता जाता,अपना आपा खोत... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेघनाक्षरी छन्द"कैसे जी पायेंगे?"नम्रता उदारता का पाठ, अब पढ़ाये कौन?उग्रवादी छिपे जहाँ सन्तों के वेश में।साधु और असाधु की पहचान अब कैसे हो,दोनो ही सुसज्जित हैं, दाढ़ी और केश में।कैसे खेलें रंग-औ-फाग, रक्त के लगे हैं दाग,नगर, प्रान्त, गली-गाँव... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेएक कविताभारत माँ के मधुर रक्त को कौन राक्षस चाट रहाआज देश में उथल-पुथल क्यों,क्यों हैं भारतवासी आरत?कहाँ खो गया रामराज्य,और गाँधी के सपनों का भारत?आओ मिलकर आज विचारें,कैसी यह मजबूरी है?शान्ति वाटिका के सुमनों के,उर में कैसी दूरी है?क्यों भ... Read more |
![]() ![]() अपने काव्य संकलन सुख का सूरज सेएक गीत"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"मन-सुमन हों खिले, उर से उर हों मिले, लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए। ज्ञान-गंगा बहे, शन्ति और सुख रहे- मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए।१। दीप आशाओं के हर कुटी में जलें, राम-लछमन से बालक, घरों में पलें, प्या... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्यसंग्रह "सुख का सूरज"से प्यार का राग आलापने के लिए"ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए"मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,जाने कितने जनम और मरण चाहिए ।प्यार का राग आलापने के लिए,शुद्ध स्वर, ताल, लय, उपकरण चाहिए।।लैला-मजनूँ को गुजरे जमाना हुआ,किस्सा-ए हीर-रांझा पुरा... Read more |
![]() ![]() मेरे काव्यसंग्रह "सुख का सूरज"से "हमें संस्कार प्यारे हैं"उजाला ले के आये हो तो अपने मुल्क में छाँटो,हमें अँधियार प्यारे हैं।निवाला ले के आये हो तो अपने मुल्क में चाटो.हमें किरदार प्यारे हैं।नही जाती हलक के पार, भारी भीख की रोटी,नही होगी यहाँ पर फिट, तुम्हारी सीख ... Read more |
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