 Rajesh Tripathi
दर्द दिल में छिपा मुसकराते रहेराजेश त्रिपाठीवक्त कुछ इस कदर हम बिताते रहे ।दर्द दिल में छिपा मुसकराते रहे ।। जिसपे भरोसा किया उसने हमको छला। परोपकार करके हमें क्या मिला।। पंख हम बन गये जिनके परवाज के। आज बदले हैं रंग ... Read more |

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6:00am 7 Mar 2018 #
 Rajesh Tripathi
-राजेश त्रिपाठीवह पनघट के गीत और बट की ठंडी छांवयादों में अब तक जीवित है प्यारा-सा वह गांव। अलस्सुबह जब मां पीसा करती जांत।साथ-साथ दोहराती जाती परभाती की पांत।जागिए रघुनाथ कुंअर पंछी ... Read more |

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5:24am 3 Nov 2016 #
 Rajesh Tripathi
वो तेरा मुसकराना सबेरे-सबेरेराजेश त्रिपाठीवो तेरा मुसकराना सबेरे-सबेरे।ज्यों बहारों का आना सबेरे-सबेरे।। पागल हुई क्यों ये चंचल हवा। आंचल तेरा क्यों उड़ाने लगी।। बागों में कोयल लगी बोलने । मन मयूरी को ऐसा लुभ... Read more |

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6:03pm 28 Mar 2015 #
 Rajesh Tripathi
एक गजलहर शख्स तो बिकता नहीं है· राजेश त्रिपाठीखुद को जो मान बैठे हैं खुदा ये जान लें।ये सिर इबादत के सिवा झुकता नहीं है।।वो और होंगे, कौड़ियों के मोल जो बिक गये।पर जहां में हर शख्स तो बिकता नहीं है।।दर्दे जिंदगी का बयां कोई महरूम करेगा।यह खाये-अघाये चेहरों पे दि... Read more |

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6:17am 20 Sep 2014 #
 Rajesh Tripathi
एक गज़लउनकी जुबां पे ताले पड़े हैं राजेश त्रिपाठीसदियां गुजर गयीं पर, तकदीर नहीं बदली।मुफलिस अब तलक जहान में, पीछे खड़े हैं।।औरों का हक मार कर, जो बन बैठे हैं अमीर।उन्हें खबर नहीं कैसे-कैसे लोग तकदीरों से लड़े हैं।।पांव में अब तलक जितने भी छाले पड़े हैं।वे न जाने कित... Read more |

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6:14am 20 Sep 2014 #
 Rajesh Tripathi
प्यार की बातें करेंराजेश त्रिपाठी सिर्फ लफ्फाजी हुई है अब तलक।आइए अब काम की बातें करें।।कदम तो उठ गये जानिबे मंजिल मगर।पेशेनजर है जो उस तूफान की बातें करें।।कोठियों में तो रोशनी चौबीस घंटे है।अब जरा झोंपड़ी की शाम की बातें करें।।रेप, मर्डर, लूट का अब बोलबाला है जहा... Read more |

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12:29pm 23 Jul 2014 #
 Rajesh Tripathi
नजारों में वो बात न थीवो लमहे जब तू मेरे पास न थी।ज्यों जिंदगी मेरे पास न थी।।यों बहारें थीं समां सुहाना था।तेरे बगैर नजारों में वो बात न थी।ख्वाबों की महफिल उदास थी।नगमें सभी थे ज्यों खोये हुए।।हम तेरी याद में जागा किये।अश्कों से दामन भिगोये हुए।।तुम गयी याद तो सा... Read more |

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5:29am 13 Jun 2014 #
 Rajesh Tripathi
निजामे हिंद को मोदी जो मिल गयाइक शख्श फर्श से यों अर्श तक है तन गया।सूरमा थे जितने अर्श के बौना वो कर गया।।कीचड़ जहां दुश्मनों की तरफ से उछाले गये।वो सभी उसके लिए बन कमल हैं खिल गये।।हिंद को अब शासक नहीं सेवक है मिल गया।ताब जिसकी देख हर दुश्मन है हिल गया।।मुद्दत के बा... Read more |

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12:39pm 9 Jun 2014 #
 Rajesh Tripathi
युग नया जो आया संदेश दे रहा हैयुग नया जो आया संदेश दे रहा है।दुख के दिन बीते, देश बढ़ रहा है।।अच्छे दिन तो जैसे आ ही गये हैं।मोदी युग-नायक से छा ही गये हैं।। सपनों को अब मिल गयी हैं राहें। खुल गयीं हैं विकास की भी बाहें।। हर दिशा में अब नव ... Read more |

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12:38pm 9 Jun 2014 #
 Rajesh Tripathi
दाने-दाने को मोहताज हैं, जहां बहुत इनसान।पीड़ा का पर्याय जिंदगी, हर इक है हलकान।।भेदभाव की दीवारों ने, बुना जहर का जाल।भाईचारा नहीं रहा अब, द्वैष से सब बेहाल।। नेता हों या शासक जिसके बेच रहे ईमान। जिस देश में ऐसा हो, उसे कैसे कहें महान।।जहां आज तलक आधी आबाद... Read more |

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4:55am 5 May 2014 #
 Rajesh Tripathi
आओ करें हिसाब, क्या पाया क्या खोया हमने। कैसे-कैसे जुल्म सहे, किस-किस पर रोया हमने।।संबंधों के गणित के कैसे-कैसे बदले समीकरण हैं।किस-किस ने ठगा और कहां हमारी मात हुई है।।कहां-कहां विश्वास है टूटा, किस लमहे घात हुई है।मानवता कब-कब रोयी, आंखों से बरसात हुई ... Read more |

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1:07pm 30 Apr 2014 #
 Rajesh Tripathi
आदमी!क्या था क्या हो गया कहिए भला ये आदमी।सीधा-सादा था, बन गया क्यों बला आदमी।।अब भला खुलूस है कहां, जहरभरा है आदमी।आदमी के काम आता , है कहां वो आदमी।।था देवता-सा, है अब हैवान-सा क्यों आदमी।बनते-बनते क्या बना,इतना बिगड़ा आदमी।।मोहब्बत, वो दया, कहां भूल गया आदमी।नेक बंदा... Read more |

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4:19am 19 Apr 2014 #
 Rajesh Tripathi
राजेश त्रिपाठीवो तेरा मुसकराना सबेरे-सबेरे।ज्यों बहारों का आना सबेरे-सबेरे।। पागल हुई क्यों ये चंचल हवा। आंचल तेरा क्यों उड़ाने लगी।। बागों में कोयल लगी बोलने । मन मयूरी को ऐसा लुभाने लगी।।कामनाओ... Read more |

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2:56pm 12 Feb 2014 #
 Rajesh Tripathi
· राजेश त्रिपाठीमात-पिता का गौरव बन चंदा सा चमके।जिसके यश का सौरभ सारे जग में महके।।घर की सुंदर अल्पना, देवों का वरदान।बेटी तो है घर में खुशियों की पहचान।। घर-घर में दीप खुशी के जलाती हैं बेटियां। धनवान हैं वे जिनके घर आती हैं ... Read more |

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4:00am 11 Feb 2014 #
 Rajesh Tripathi
राजेश त्रिपाठीपीड़ा का पर्याय जिंदगी, जब आहत हैं भावनाएं।रंजो-गम का आलम है, क्या गीत खुशी के गायें।। सपने सारे टूट रहे हैं, जब देश लुटेरे लूट रहे हैं। वे कहते प्रगति हो रही, हम तो पीछे छूट रहे हैं।। राजनीति के दांवपेंच से, आम आदमी है बेहा... Read more |

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3:49pm 15 Jan 2014 #
 Rajesh Tripathi
राजेश त्रिपाठी हर तरफ मायूसी है तारी, ये हाहाकार क्यों है।क्या हुआ आदमी आदमी से बेजार क्यों है।।हर दिल में फरेब है, बदला व्यवहार क्यों हैं।प्यार भी आज का बन गया व्यापार क्यों है।।कोई खा-खा के मर रहा कोई फांके कर रहा। क्या यही गांधी के सपनों का... Read more |

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6:14am 17 Sep 2013 #
 Rajesh Tripathi
राजेश त्रिपाठीजाने कैसा ये दौरे सियासत है।हर शख्स दर्द की इबारत है।।हर सिम्त घात में हैं राहजन।या खुदा ये कैसी आफत है।।अब कौन करे भला जिक्रे महबूब।मुश्किलों की ही जब इनायत है।किस तरह बचाये कोई खुद को।राह में जब बिछी अलामत है।।महफूज रखे है तो मां की दुआ।वरना लम्हा-लम... Read more |

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2:18pm 4 Sep 2013 #
 Rajesh Tripathi
क्या कहें, कैसे कहें अब सहा जाता नहीं।जुल्म का यह दौर क्यों भला जाता नहीं।।अंधेरों की है हुकूमत मानो उजाले खो गये।फरियाद किससे करें, हुक्मरां तो सो गये।।हमने सोचा था नहीं ऐसा भी दिन आयेगा।आदमी जब खुद आदमी से भी डर जायेगा।।कोई मस्त है तो कोई जिंदगी से त्रस्त है।न्याय क... Read more |

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5:49am 23 Aug 2013 #
 Rajesh Tripathi
क्या जमाना आ गया -राजेश त्रिपाठीआदमी से आदमी घबरा रहा, क्या जमाना आ गया।गांव हों या शहर, कोहराम है, क्या जमाना आ गया ।।हर तरफ जुल्मो-सितम की मारी आधी आबादी है।आप ही कहिए भला क्या यही हासिले आजादी है।।कुफ्र है, कहर है, कराह है औ चार सूं जुल्मशाही ह... Read more |

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8:52am 12 Jan 2013 #
 Rajesh Tripathi
कविता राजेश त्रिपाठीहमने अपने गिर्दखड़े कर रखे हैंजाने कितने कैदखानेहम बंदी हैं अपने विचारों केआचारों केन जाने कितने-कितनेसामाजिक विकारों के।हमने खींच रखे हैंकुछ तयशुदा दायरेअपने गिर्द,उनमें भटकते हमभूल बैठे हैं किइनके पार है अपार संसार।उसकी नयनाभिराम सृष्टि,... Read more |

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4:19pm 15 Sep 2010 #
 Rajesh Tripathi
कविताराजेश त्रिपाठीएक अंकुरचीर करपाषाण का दिलबढ़ रहा आकाश छूने।जमाने के थपेड़ों सेनिडर और बेखौफ।उसके अस्त्र हैंदृढ़ विश्वास,अटूट लगनऔर बड़ा होने कीउत्कट चाह।इसीलिए वह बना पायापत्थर में भी राह।उसका सपना हैएक वृक्ष बनना,आसमान को चीरऊंचे और ऊंचे तनना।बनना धूप में... Read more |

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6:08am 27 Jul 2010 #
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