Tag: Poems |
![]() ![]() "मैंने देखा एक सपना"जन्नत जैसा घर है अपना, मैंने देखा रात को सपना |सपने में एक चिड़िया आई, उसने बोला सुन मेरे भाई |तोता आम है मीठा खाता ,मुझको है बहुत ललचाता |तब तक तोता उड़ कर आया ,अपने साथ वो आम भी लाया |तोते ने फिर मुझसे कहा ,मै कभी न चुपचाप रहा |हरे रंग का है मेरा बाल ,चोच मे... Read more |
![]() ![]() कुछ रचनाएं आप शुरुआती दौर में, कभी दूसरों के प्रभाव या दबाव में तो कभी बस यूंही, लिख डालते हैं और भूल जाते हैं, मगर गानेवालों और सुननेवालों को वही पसंद आ जातीं हैं...... ग़ज़लआज मुझे ज़ार-ज़ार आंख-आंख रोना हैसदियों से गलियों में जमा लहू धोना है रिश्तों के मोती सब बिखर गए दूर-... Read more |
![]() ![]() कुछ रचनाएं आप शुरुआती दौर में, कभी दूसरों के प्रभाव या दबाव में तो कभी बस यूंही, लिख डालते हैं और भूल जाते हैं, मगर गानेवालों और सुननेवालों को वही पसंद आ जातीं हैं...... ग़ज़लआज मुझे ज़ार-ज़ार आंख-आंख रोना हैसदियों से गलियों में जमा लहू धोना है रिश्तों के मोती सब बिखर गए दूर-... Read more |
![]() ![]() Nazaara Aisa ho ki Tassavur aa jaye Tasveer aisi ho ki Shayari ban jaaye... Read more |
![]() ![]() Barish ki boonden Or geeli mitti ki khusbu Ek hi chhatri Or bas mai or tu Ye mehek tujhsi hi bheeni h Mitti k jaiso tu gili h Tjhe chhuun toh or sikudti h Har boond pe mitti si dheeli padti h Durr jaun toh ghabrati h Paas aun toh chhatri le k aati h [...]... Read more |
![]() ![]() बचपन की हसीं थी थोड़ी सी सस्ती तब काग़ज़ की कश्ती भी होती थी बड़ी महेंगी एक छोटी सी गुड़िया चूरन की पूड़ीया चार आने की toffee भी मुस्कान दे जाती ओर रोती हुई आँखों में चमक सी आ जाती वो बचपन की हँसी कुछ इतनी थी सस्ती कुछ टीचर ने पूछा तो [...]... Read more |
![]() ![]() (Prologue: Technology, internet and social media has made us so dependent on itself that we feel handicapped, restless and helpless without it. Nowadays PEN is mostly used for signing some document..thats it. All other expression is made by typing and sharing through some social media. People are forgetting to call, meet and talk, what they [...]... Read more |
![]() ![]() Hum toh akele andheron me jeete hai Har par tufaano mein chalte hai Darte toh wo hai jo, Bheed me rahte hai Aur din k ujaale me bhi Hawa k jhokon se ghabra jaate hai... Read more |
![]() ![]() कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?मैं हर पल, हर वक्त अपनी पहचान ढूँढता हूँ,कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?सारा दिन सारी रात, चारों पहर,अपना नाम ढूँढता हूँ,कोई तो बता दे मेरा नाम क्या है ?चाँद से पूछा, सूरज से पूछा, धरती से पूछा, आसमान से पूछा,कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?ग... Read more |
![]() ![]() कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?मैं हर पल, हर वक्त अपनी पहचान ढूँढता हूँ,कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?सारा दिन सारी रात, चारों पहर,अपना नाम ढूँढता हूँ,कोई तो बता दे मेरा नाम क्या है ?चाँद से पूछा, सूरज से पूछा, धरती से पूछा, आसमान से पूछा,कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?ग... Read more |
![]() ![]() डा० दीप्ति भारद्वाजपरिचयजन्म : 25 जून 1973_/_जन्म स्थान :बरेलीवर्तमान निवास :'चित्रकूट, 43, सिन्धु नगर, बरेली -243005शिक्षा-एम. ए. हिंदी ; applied एम. ए. हिंदी ; applied एम.एड.; पीएच. डी. [हिंदीगुरु भक्त सिंह भक्त के काव्य में संवेदना और शिल्प]कार्यक्षेत्र - प्रकाशन अधिकारी, इन्वरटिज ग्रुप ऑफ़ इंस... Read more |
![]() ![]() डा० दीप्ति भारद्वाजपरिचयजन्म : 25 जून 1973_/_जन्म स्थान :बरेलीवर्तमान निवास :'चित्रकूट, 43, सिन्धु नगर, बरेली -243005शिक्षा-एम. ए. हिंदी ; applied एम. ए. हिंदी ; applied एम.एड.; पीएच. डी. [हिंदीगुरु भक्त सिंह भक्त के काव्य में संवेदना और शिल्प]कार्यक्षेत्र - प्रकाशन अधिकारी, इन्वरटिज ग्रुप ऑफ़ इंस... Read more |
![]() ![]() प्यार को कभी भीकिया नहीं जा सकता दिल से देसी ग्रुप द्वारा मेरे ई-मेल पर एक मेल प्राप्त हुई है जो कि राजेश कैंथ द्वारा पोस्ट की गई है | इसे जस का तस वैसे ही आपकी नज़र पेश किया जर रहा है |प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता। प्यार तो अपने आप हो जात... Read more |
![]() ![]() (1)ये वही चाँद है ना जो देर तक रुका हुआ सालगता रहा आकाश मेंएकटक ठहरा हुआएक ठौर चिपका हुआमेरी ढ़ाई साला बेटीके चन्दा मामा-सा(2)पूर्णिमा तुम्हेंपूरी गोलाई के साथआकाश में तकने कोगुज़ारे हैं पूरे तीस दिन मैंनेतब कहीं मिलीअब जाकर तुमअल्हड़ और धुलीहुई चांदनी सहित (3)और कहो कि... Read more |
![]() ![]() ये दुपहरी धूप ये दुपहरी धूपअब तेज़ और तीखी हैहाथ-पाँव और बदन सहितजलाने को सबकुछ आमादा खड़ी है मानोजलाना ही सीखी हैये दुपहरी धूपदरख़्त क्या,कोंपलें क्याचलती राहें तक मौन हुईआखिर उड़ गया भाप बन तमाम पानी,पोखर क्याछत आँगन सब और बही ये दुपहरी धूपघोंसलों में जा घुसे है... Read more |
![]() ![]() अधूरी कवितायेँ अलिखी,अधलिखीघुम चुकी,उड़ चुकीकवितायेँ बहुत सारीलौटा दी गयीफिर से मुझ तक आईऐसी तमाम रचनाएंकहलाई अधूरी कवितायेँअटकी रही मन में औरगले तक आ लौट गयीढ़लते-ढ़लते फूट गयीकुछ आखिर में रूठ गयीआ न सकी कागज़ परऐसी तमाम रचनाएंकहलाई अधूरी कवितायेँकभी झुकी नहीं ... Read more |
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