Tag: विमला छंद |
![]() ![]() मन का मारो रावण सब ही।लगते सारे पावन तब ही।।सब बाधाओं की मन जड़ है।बस में ये तो वैभव-झड़ है।।त्यज दो तृष्णा मत्सर मन से।जग की सेवा लो कर तन से।।सब का सोचो नित्य तुम भला।यह जीने की उच्चतम कला।।जग-ज्वाला से प्राण सिहरते।पर-पीड़ा से लोचन भरते।।लखता जो संसार बिलखता।दुखियों क... Read more |
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