Tag: लावणी छंद |
![]() ![]() कई कौंधते प्रश्न अचानक, चर्चा से विषकन्या की।जहर उगलती नागिन बनती, कैसे मूरत ममता की।।गहराई से इस पर सोचें, समाधान हम सब पाते।कलुषित इतिहासों के पन्ने, स्वयंमेव ही खुल जाते।।पहले के राजा इस विध से, नाश शत्रु का करवाते।नारी को हथियार बना कर, शत्रु देश में भिजवाते।।जहर ... Read more |
![]() ![]() रख नापाक इरादे उसने, सरहद करदी मधुशाला।रोज करे वो टुच्ची हरकत, नफरत की पी कर हाला।उठो देश के मतवालों तुम, काली बन खप्पर लेके।भर भर पीओ रौद्र रूप में, अरि के शोणित का प्याला।।सीमा पर अतिक्रमण करे नित, पहन शराफत की माला।उजले तन वालों से मिलकर, करता वहाँ कर्म काला।सुप्त सि... Read more |
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