Tag: मुक्तक |
![]() ![]() मुक्तकजियो तुम इस तरह जीवन, तुम्हारी धाक हो जाए।करो कुछ कर्म ऐसे कि, सभी आवाक हो जाएं।वो जीवन भी है क्या जीवन ,हताशा में बिता दे जो,लगा लो आग सीने में ,कि हर गम खाक हो जाए।।... Read more |
![]() ***गर्दिश ए ज़िन्दगी ने था बदला मुझे,लोग कहने लगे नीम पगला मुझे ।ठोकरों से नया इक हुआ तजरिबा,हर क़हर रोशनी दे के निकला मुझे ।------------हर्ष महाजन 'हर्ष'... Read more |
![]() ***होंसला ख़ौफ़ खाने लगा है,रुख हवा का बताने लगा है ।पूछ लेना निकलने से पहले, वक़्त यूँ भी डराने लगा है ।----------हर्ष महाजन 'हर्ष'... Read more |
![]() ![]() 1. अब सुबह क्या बात होगी?ये सुबह होगी न होगी?आ अभी अनुराग कर लें।आ परस्पर अंक भर लें।2. कल से तुम गुलाबी हो,किस पर जाल फैलाया।किसके तृषित अधरों का,जागा भाग्य ऐ! बाले।3. माना झूठ है मेरी,कविता भी कहानी भी।ये ही तो बहाना था,मेरे पास तुम आये।4. बाहर ठंड है बेशक,रिश्ते गर्म है... Read more |
![]() ...करता रहा उम्र-भर नफरत जिस शख्स से,जुदा हुआ तो कतरा इक मेरी आँखों में था,यत्न तो किये थे मैने कि उसे भूल ही जाऊँ, मगर क्या करूँ वो दिल की सलाख़ों में था ।----------------हर्ष महाजन... Read more |
![]() ![]() कल सभी को मुफ्त में पर्स बाँटे जायेंगे।हाथ फैलाना सम्भलकर हाथ काटे जायेंगे।क्या हुआ नाराज हो तो बन्धु ये बतलाइये,पर्स ... Read more |
![]() ![]() बाँटते उपदेश लेकिन, आचरण होता नहीं।भावना के साथ में, अन्तःकरण होता नहीं।देख कर इस दुर्दशा को, दुःख होता है बहुत,है नयी कविता, मगर कुछ व्याकरण होता नहीं।।--पेड़ को देते चुनौती, आजकल बौने शज़र।नासमझ भोले पतिंगे, मानते खुद को अजर।सामने कुछ और हैं, पर पीठ पीछे और कुछ,भीड़ में... Read more |
![]() ![]() अप्पू को छोड़कर पप्पू से मिल गए, भूकंप के झटकों से हाथी भी हिल गए। अपनों ने ही बिगाड़ दी ‘आप’ की सूरत, यूपी के कीचड़ में कमल खिल गए।। Tagged: अखिलेश यादव, घोटाला, नेता, भ्रष्टाचार, मानस खत्री, मुलायम सिंह, राजनीति, राहुल गाँधी, congress, corruption, election2017, manas khatri, mulayam singh, pappu, politics, rahul gandhi, samajwadi party, up election ... Read more |
![]() ![]() काला धन कब आएगा सब विरोधी अड़े थे, ये वही लोग थे जो तिजोरियों में बंडल भरे थे| कुर्ते की फटी जेब दिखा कर पप्पू जी ये बोले, हमारे अच्छे दिन तो इसी जेब में पड़े थे।| Tagged: अच्छे दिन, घोटाला, नेता, भ्रष्टाचार, मानस खत्री, राजनीति, राहुल गाँधी, corruption, election2017, manas khatri, modi, pappu, rahul gandhi, up election ... Read more |
![]() ![]() जीवन में सबको नहीं, मिल पाता है प्यारबिन माँगे मिल जाय जो, वो होता उपहारकरना दग़ा-फरेब मत, कभी किसी के साथसम्बन्धों पर है खड़ी, दुनिया की दीवार... Read more |
![]() ![]() जहाँ पर फूल हों खिलते, वही उद्यान होता है किसी के तोड़ना दिल को, बहुत आसान होता है सभी को बाँटती खुशियाँ, कली जब मुस्कराती है सभी को रूप पर उसके, बहुत अभिमान होता है ... Read more |
![]() एक मुक्तक ...लोग जाने शहर में....किस तरह जी रहे हैं,इन हवाओं में शामिल ज़हर तक पी रहे हैं |गाँव जब से उठे हैं....शहर की चाल लेकर, तब से चादर ग़मों की....शहरिये सी रहे हैं | हर्ष महाजन 'हर्ष'... Read more |
![]() ![]() मेरे कहे का यूँ कर ना यकीन करमतलब मेरे कहने का कुछ और था।---------------------मेरे जानिब भी तो कभी रूख हवा का करोकि उदासियाँ भी सर्द मौसम सी होती हैं।---------------------है ही नहीं कुछ ऐसा कि मैं कहूँ कुछ तुमसेबात मगर जुबाँ तक आती है कोई ना कोई।--------------------- राजीव उपाध्याय... Read more |
![]() ![]() कुटिलता के भाव को पहचानते हैं,शत्रुता दिल में नहीं हम ठानते हैं।वो बहुत खुलकर चलाते तीर अपने,वार हम चुपचाप सहना जानते हैं।।हम सुमन के हैं हितैषी, गन्ध को पहचानते हैं,इसलिए हमसे कुटिल-काँटे, लड़ाई ठानते हैं।छेदते हैं जो हमारे, वतन का नाजुक बदन,ठोकरों से हम उन्हें, हरदम क... Read more |
![]() ![]() जानते हैं सच, तभी तो मौन हैं वो,और ज्यादा क्या कहें हम, कौन हैं वो।जो हमारे दिल में रहते थे हमेशा-हरकतों से हो गए अब गौण हैं वो।१।--दिल तो सूखा कुआँ नहीं होता,बिन लिखे मजमुआँ नहीं होता।लोग पल-पल की ख़बर रखते हैं-आग के बिन धुँआ नहीं होता।२।--उनकी सौगात बहुत दूर गई,अब तो हर बात ... Read more |
![]() ![]() काँटे और सुमन दोनों ही, संग-साथ में पलते हैं।सुख-दुख की घड़ियों में दोनों, संग-साथ में चलते हैं।फूलों को काँटों की संगत, सबसे अच्छी लगती है-खतरा उन इंसानों से, जो इनको सदा मसलते हैं।। (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')... Read more |
![]() ![]() लफ़्ज मेरे हैं भीग गए जब यादें बरसी सारी रात शहर तेरे भी आती होगी यादों वाली यह बरसात नव पल्लव सी मुस्काती थी शाखाएं जो तेरे संग सूखे पत्तों सी बिखरी हैं पाकर यादों का आघात ।****... Read more |
![]() ![]() जिन्दगी जब चलती है तो पता नहीं चलता कि चल रही है मगर वो अपनी रफ्तार और मिजाज से चलती ही रहती है और ठीक उसी तरह से अपनी बात भी कहती रहती है मगर कहती है तो धीरे-धीरे कानों में जिसको सुनने के लिए ठहरकर हर शय को सुनना पड़ता है। महसूस करना पड़ता है अपनी धड़कनों से निकल रही तरंगों को ... Read more |
![]() ![]() कुटिलता के भाव को पहचानते हैं,शत्रुता दिल में नहीं हम ठानते हैं।वो बहुत खुलकर चलाते बाण अपने,किन्तु हम चुपचाप सहना जानते हैं।।--हम सुमन के हैं हितैषी, गन्ध को पहचानते हैं,इसलिए हमसे कुटिल-काँटे लड़ाई ठानते हैं।छेदते हैं जो सुकोमल पुष्प का नाजुक बदन,ठोकरों से हम उन्हें... Read more |
![]() ![]() (१)आग से खेलना मत, जलाती है येअपनी औकात सबको, बताती है येसिर्फ ज़ज़्बात से बात बनती नहीं,दिल्लगी दिललगी बन सताती है ये(२)श्वेत परिधान हैं, सादगी के लिएसभ्यता है बनी, आदमी के लिएदाग माथे का हो या हो पौशाक कादाग़ तो दाग़ है ज़िन्दग़ी के लिए(३)सात रंगों सी सुहानी, फाग है ये ज़ि... Read more |
![]() ![]() आँखें कभी छला करती हैं,आँखे कभी खला करती हैं।गैरों को अपना कर लेती,जब ये आँख मिला करती हैं।।--दुर्बल पौधों को ही ज्यादा, पानी-खाद मिला करती है।चालू शेरों पर ही अक्सर, ज्यादा दाद मिला करती है।सूखे पेड़ों पर बसन्त का, कोई असर नही होता है,यौवन ढल जाने पर सबकी गर्दन बहुत हि... Read more |
![]() ![]() जानकर सारी हक़ीक़त, आज कितने मौन हैं वो,और ज्यादा क्या कहें, दुश्मन नहीं तो कौन हैं वो।प्राण बनकर जो हमारे दिल में रहते थे कभी,हरकतों से आज अपनी, हो गये खुद गौण हैं वो।१।--दिल कभी सूखा कुआँ नहीं होता,बिन लिखे मजमुआँ नहीं होता।लोग पल-पल की ख़बर रखते हैं,आग के बिन धुँआ नहीं ह... Read more |
![]() ![]() Ram Lakhara poetry जो तुझसे प्यार है मेरा वो बहुतो को चुभता है ,जैसे सुर्ख गुलाबी फूल संग काँटों के उगता है ,जातां कितने भी कर ले वो मगर मालूम नहीं उनको मैं तो वो मुसाफिर हु जो बस मंजिल पर रुकता है। -राम लखारा ... Read more |
![]() ![]() रक्षा की ब्रह्मांड की, किया गरल का पान।शरण हमें भी दिजिए, हे शंकर भगवान।आदिदेव हैं आप ही, नाथों के हैं नाथ,त्राण दिलाता कष्ट से, नित्य आपका ध्यान॥... Read more |
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