Tag: दोहे |
![]() ![]() --अपने ही जब पीठ पर, करते सतत प्रहार।बैरी की उसको नहीं, दुनिया में दरकार।।--जिनकी जिह्वा दो मुखी, समझो उनको सर्प।वो करते हैं बेवजह, अपने विष पर दर्प।।--राम रतन की है नहीं, जिनको कोई चाह।लेकिन करते जा रहे, बेशर्मी से वाह।।--राहत में देखा बहुत, जब छल का व्यापार।होकर सजग सुजा... Read more |
![]() ![]() --आया है उल्लास का, उत्तरायणी पर्व।झूम रहे आनन्द में, सुर-मानव-गन्धर्व।१।--जल में डुबकी लगाकर, पावन करो शरीर।नदियों में बहता यहाँ, पावन निर्मल नीर।२।--जीवन में उल्लास के, बहुत निराले ढंग।बलखाती आकाश में, उड़ती हुई पतंग।३।--तिल के मोदक खाइए, देंगे शक्ति अपार।मौसम का मिष्ठ... Read more |
![]() ![]() --लेकर आयी लोहड़ी, फिर से नूतन हर्ष।करते हैं सब कामना, मंगलमय हो वर्ष।।--शीतल-शीतल रात है, शीतल-शीतल भोर।उत्सव का माहौल है, पसरा चारों ओर।।--खुश हो करके लोहड़ी, मना रहे हैं लोग।ज्वाला में मिष्ठान्न का, लगा रहे हैं भोग।।--मन को बहुत लुभा रहे, त्यौहारों के रंग।रंग-बिरंगी गगन म... Read more |
![]() ![]() नभ पर छायी है घटा, ठिठुर रहा है गात।नये साल के साथ में, कुहरे की सौगात।१।--कुहरा आफत बन गया, बदले जीवन ढंग।अच्छे दिन की आस में,छन्द हुए बेरंग।२।--सड़कों पर सैलाब था, भूखा था मजदूर।हुआ पुराने साल में, जन-मानस मजबूर।३।--बर्फ पहाड़ों पर गिरी, मौसम की है मार।सड़कें भी स... Read more |
![]() ![]() देशभक्ति-दलभक्ति के, संगम थे अभिराम।अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम।।--अटल बिहारी की नहीं, मिलती कहीं मिसाल।जन्मदिवस उस लाल का, जिसने किया कमाल।।--कथनी-करनी में अटल, सदा रहे अनुरक्त।शब्दों से अलमस्त थे, धन से बड़े विरक्त।।--अटल बिहारी हों भले, चिर निद्रा में लीन।पुनर्जन... Read more |
![]() ![]() --नभ में सूरज गुम हुआ, हाड़ कँपाता शीत।दाँतों से बजने लगा, किट-किट का संगीत।।--दिवस हुए छोटे बहुत, लम्बी हैं अब रात।खाने में अब बढ़ गया, भोजन का अनुपात।।--कोयल और कबूतरी, सेंक रहे हैं धूप।बिना नहाये लग रहा, मैला उनका रूप।।--अच्छा लगता है बहुत, शीतकाल में घाम।खिली गुनगुनी... Read more |
![]() ![]() पुरखों का इससे अधिक, होगा क्या अपमान।जातिवाद में बँट गये, महावीर हनुमान।।--राजनीति के बन गये, दोनों आज गुलाम।जनता को लड़वा रहे, पण्डित और इमाम।।--भजन-योग-प्रवचन गये, अब योगी जी भूल।लगे फाँकने रात-दिन, राजनीति की धूल।।--रास नहीं आता जिन्हें, योगासन का कार्य।व्यापारी से बन ... Read more |
![]() ![]() एकल कवितापाठ का, अपना ही आनन्द।रोज़ गोष्ठी को करो, करके कमरा बन्द।।--कोरोना के काल में, मजे लूटता खास।मँहगाई की मार से, होता आम उदास।।--कम शब्दों के मेल से, दोहा बनता खास।सरस्वती जी का अगर, रहे हृदय में वास।।--फिर से पैदा हो गये, बाबर-औरंगजेब।इनमें उनकी ही तरह, भरे हुए हैं ... Read more |
![]() ![]() कातिक की एकादशी, होती देवउठान।दुनिया में सबसे अलग, भारत की पहचान।।--तुलसी का परिणय दिवस, देता है सन्देश।शुभ कर्मों का बन गया, भारत में परिवेश।।--प्रबोधिनी एकादशी, दिन होता है खास।वन्दन देवों का करो, रखकर व्रत-उपवास।।--तुलसी के फेरे लगा, करना पूजन आप।शान्त चित्त से ... Read more |
![]() ![]() उगते ढलते सूर्य का, छठपूजा त्यौहार।कोरोना के काल में, माता हरो विकार।। अपने-अपने नीड़ से, निकल पड़े नर-नार।सरिताओं के तीर पर, उमड़ा है संसार।। अस्तांचल की ओर जब, रवि करता प्रस्थान।छठ पूजा पर अर्घ्य तब, देता हिन्दुस्थान।। परम्पराओं पर टिका, अपना भारतवर्ष।माता जी ज... Read more |
![]() ![]() पर्व अहोई-अष्टमी, दिन है कितना खास।जिसमें पुत्रों के लिए, होते हैं उपवास।।--कुलदीपक के है लिए, पर्व अहोई खास।होती अपने तनय पर, माताओं को आस।।--माताएँ इस दिवस पर, करती हैं अरदास।उनके सुत का हो नहीं, मुखड़ा कभी उदास।।--सारे जग से भिन्न है, अपना भारत देश।रहता बारह मास ही, प... Read more |
![]() ![]() --यौवन है सबसे बड़ा, कुदरत का उपहार।सुन्दरता तो स्वयं में, होती है शृंगार।।--परिचय की होती नहीं, यौवन को दरकार।होता है सौन्दर्य का, नयनों से दीदार।।--अधिक समय रहता नहीं, जीवन में ठहराव।बढ़ती है जब आयु तो, आते हैं बदलाव।।--गरमी पावस-शीत का, चलता रहता चक्र।होती है आकाश में, चा... Read more |
![]() ![]() --गाँधी और पटेल ने, जहाँ लिया अवतार।मोदी का गुजरात ने, दिया हमें उपहार।।--देवताओं से कम नहीं, होता है देवेन्द्र।सौ सालों के बाद में, पैदा हुआ नरेन्द्र।।--साधारण परिवार का, किया चमन गुलजार।मोह छोड़ संसार का, त्याग दिया घर-बार।।--युगों-युगों के बाद में, लेते जन्म सपूत।दया... Read more |
![]() ![]() --मन में जब उगने लगे, विष की पापी बेल।चूहे-बिल्ली का शुरू, तब होता है खेल।।--माया नगरी में बढ़ी, आपस में तकरार।बड़बोलेपन से नहीं, लोग मानते हार।।--एक तीर से हो रहे, बिना लक्ष्य के वार।लड़ती हैं नेपथ्य में, दोनों ही सरकार।।--दो पाटों के बीच में, पिसता निरअपराध।कँगना की ... Read more |
![]() ![]() --दादा जी का था कभी, देखा जैसा रूप।वैसा ही अनुमान से, बना दिया प्रतिरूप।।--दादा-दादी का नहीं, घर में कोई चित्र।मन में मेरे है बसा, उनका मात्र चरित्र।।--फोटोग्राफी उस समय, रही चलन से दूर।चित्राकंन से इसलिए, रहा आम मजबूर।।--दादी को देखा नहीं, कैसा था आकार।मन ही मन करता उन... Read more |
![]() ![]() --कोरोना के काल में, मत होना मगरूर।एक-दूसरे से अभी, रहना होगा दूर।।--घूम रहा संसार में, कोरोना का दैत्य।रह कर हमें सचेत ही, करनी होगी *चैत्य।। *चिन्ता--कोरोना ने आज तो, बिछा दिया है जाल।सभी जगह परिवेश में, दस्तक देता काल।।--आवारा सा हो गया, दूषित प्रबल बहाव।कोरोना का है नहीं, ए... Read more |
![]() ![]() --जब हर घर में जन्मते, दुनिया में इंसान।मानवता का क्यों हुआ, फिर जग में अवसान।।--देख दशा संसार की, हुए हौसले पस्त।भरी दुपहरी में हुआ, मानो सूरज अस्त।।--मान और अपमान का, नहीं किसी को ध्यान।सरे आम इंसान का, बिकता है ईमान।।--भरे पड़े इस जगत में, बड़े-बड़े धनवान।श्री के बिन कैसे ... Read more |
![]() ![]() --फ्रांस देश से आ गया, जंगी यान रफेल।चीन-पाक की नाक में, अब पड़ गयी नकेल।।--अब ड्रैगन-नापाक का, भन्ना रहा दिमाग। दिल पर इनके लोटने, आज लगे हैं नाग।।--कूटनीति का है नहीं, अपना कहीं जवाब। गाल बजाने से कुटिल, कैसे बने नवाब।।--ओढ़ लबादा शेर का, वीर न हो शृंगाल।पहचाने जाते यहाँ, करत... Read more |
![]() ![]() --रिश्तों-नातों से भरा, सारा ही संसार।प्यार परस्पर हो जहाँ, वो होता परिवार।।--सम्बन्धों में हों जहाँ, छोटी-बड़ी दरार।धरती पर कैसे कहें, कौन सुखी परिवार।।--एक दूसरे के लिए, रहो सदैव उदार।प्यार सुखी परिवार का, होता है आधार।।--अपने कुनबे में करो, कभी न झूठा प्यार।सबके प्रति प... Read more |
![]() ![]() --आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास। कैसे जीवन में उगे, हास और परिहास।।--बन्धन आवागमनका, नियम बना है खास। अमर हुआ कोई नहीं, बता रहा इतिहास।।--निर्बल का मत कीजिए, कभी कहीं उपहास। आँधी में तूफान में, जीवित रहती घास।।--तुलसी-सूर-कबीर की, मीठी-मीठी तान। निर्गु... Read more |
![]() ![]() --पल-पल रंग बदल रहा, चीन चल रहा चाल।क्रोधित अब भारत हुआ, देख समय विकराल।।--करके शस्त्र प्रयोग को, बैरी को दो मार।सेना को सरकार ने, दिये सभी अधिकार।।--बदला लेने के लिए, मत करना अब देर।वीर सौनिकों चीन को, करना होगा ढेर।।--अभिमानी के मान का, मर्दन है संकल्प।एकमात्र अब युद्ध का, ब... Read more |
![]() ![]() --काम कलम का बोलता, नहीं बोलता नाम।छोड़ मान-व्यामोह को, करते रहना काम।।--लोगों में सम्मान की, लगी हुई है होड़।करते लोग खुशामदें, मसी-लेखनी छोड़।।--दिल पर करते असर हैं, दिल से निकले भाव।बिना कलम के आसरे, पार न होगी नाव।।--प्रतिभाओं का हो रहा, दुनिया में अपमान।क्रय करते कुछ लो... Read more |
![]() ![]() --गघे नहीं खाते जिसे, तम्बाकू वो चीज।खान-पान की मनुज को, बिल्कुल नहीं तमीज।।--रोग कैंसर का लगे, समझ रहे हैं लोग।फिर भी करते जा रहे, तम्बाकू उपयोग।।--खैनी-गुटका-पान का, है हर जगह रिवाज।गाँजा, भाँग-शराब का, चलन बढ़ गया आज।।--तम्बाकू को त्याग दो, होगा बदन निरोग।जी... Read more |
![]() ![]() --पत्रकारिता दिवस पर, होता है अवसाद।गुणा-भाग तो खूब है, मगर नहीं गुणवाद।।--पत्रकारिता में लगे, जब से हैं मक्कार।छँटे हुओं की नगर के, तब से है जयकार।।--समाचार के नाम पर, ब्लैकमेल है आज।विज्ञापन का चल पड़ा, अब तो अधिक रिवाज।।--पीड़ा के संगीत में, दबे खुशी के बोल।देश-वेश-प... Read more |
![]() ![]() --जब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।--बैरी के हर ख्वाब को, कर दूँ चकनाचूर।जब अपने हो सामने, हो जाता मजबूर।।--जब भी लड़ने के लिए, होता हूँ तैयार।धोखा दे जाते तभी, मेरे सब हथियार।।--साधन हो पैसा भले, मगर नहीं है साध्य।हिरती-फि... Read more |
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