Tag: इतिहास |
![]() ![]() मैं हिन्दी साहित्य का छोटा सा विद्यार्थी हूँ। सब हिन्दी भाषा की दशा और दिशा पर चर्चा करते हैं तो मैं भी इस पर कभी-कभी विचार करता हूँ। अपने विकास की प्रक्रिया में कोई वस्तु कहाँ है? यह मेरी दृष्टि में महत्वपूर्ण नहीं है अपितु महत्वपूर्ण यह है कि वह वहाँ किन परिस्थितियों ... Read more |
![]() ![]() नरेंद्र कठैत// साहित्यिक दृष्टि से अगर उत्तराखण्ड की आंचलिक पृष्ठभूमि को स्थान विशेष के परिपेक्ष्य में देखना, समझना चाहें तो इस श्रेणी में पहाड़ से गिने-चुने कलमकारों के नाम ही उभरकर सामने आते हैं। कुमाऊं की ओर से पहाड़ देखना, समझना हो तो टनकपुर से चिल्थी, च... Read more |
![]() ![]() सदियों से वैदिक पौराणिक इतिहास को चुनौतियां नहीं मिली, एक तरफा इतिहास लिखा जाता रहा, लेकिन शिक्षा के प्रचार-प्रसार को धन्यवाद देना पड़ेगा कि कई परंपरागत अवधारणाओं और स्थापनाओं को चुनौती देने के लिए कई विद्वानों ने सप्रमाण अपनी बात कही है जिसकी एक समृद्ध परंपरा इन दि... Read more |
![]() ![]() ऐसा कुछ नहीं घटा मेरे सामने कि कोई महिला प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़कर पूछे- आज़ादी से क्या मिला?और प्रधानमंत्री मुस्कराकर कहे-प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ने की आज़ादी ऐसा भी नहीं हुआ कि भगत सिंह से प्रेरित बच्चों ने 'दुर्गा'बन चुकीं प्रधानमंत्री को न घुसने दिया हो अ... Read more |
![]() ![]() भारतीय धर्म, दर्शन राष्ट्र -संस्कृति के विरुद्ध उठती नवीन आवाजें व उनका यथातथ्य निराकरण --- एक क्रमिक आलेख--पोस्ट दो---डा श्याम गुप्त--- ===========आगे पोस्ट दो------समाधान ६ से १० तक---- कथन -६- -----------अब हम इसी क्रम में भारत के सबसे प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म को देखते हैं। यहाँ एक किताब एक पै... Read more |
![]() ![]() अमरकंटक मेकलसुता रेवा का उद्गम स्थल है, यह पुण्य स्थली प्राचीन काल से ही ॠषि मुनियों की साधना स्थली रही है। वैदिक काल में महर्षि अगस्त्य के नेतृत्व में ‘यदु कबीला’ इस क्षेत्र में आकर बसा और यहीं से इस क्षेत्र में आर्यों का आगमन शुरू हुआ। वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश... Read more |
![]() ![]() अद्भुत शिल्प और दशावतार मंदिर देवगढ़ पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि दशावतार मंदिर के अद्भुत शिल्प अंकन में हम इतना खो गए थे कि हमें न खुद की सुध बुध थी और ना ही अपनी भूख की । ऐसा लग रहा था कि मानो इन म... Read more |
![]() ![]() मैहर यात्रा 28 September 2017हिन्दु धरम में सबसे बड़ी परेशानी है की मेहरारू के साथ धरम करम करना पड़ता है, इस साल कही पत्नी जी को ले कर कही निकले नहीं थे समाधी में, मने मेडिटेशन में क्यों की पत्नी जी के साथ मेडिटेशन करने से शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से हम स्वस्थ्य रह सकते हैं। म... Read more |
![]() ![]() काठमांडू (२०७३ चैत्र २२, मंगलवार) आज नेपाल में चैते दशाहिं (चैते दशैं), मतलब चैत्र के नवरात्र की Astmi तिथि, नेपाल के सभी सिद्ध देवी मंदिरों में मनाया जाता है, "चैते दशाहिं"में बड़ा दशाहिं (नेपाली हिन्दू का महान पर्व महान चाड बडा दशैं ) जैसे ही माँ दुर्गा भवानी की आराधना की जाती ... Read more |
![]() महाभारत काल में वर्णित महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली जमैथा ग्राम जहां परशुराम ने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण लिया था। गोमती नदी तट परस्थित वह स्थल आज भी क्षेत्रवासियों के आस्था का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि उक्त स्थल के समुचित विकास को... Read more |
![]() ![]() ओरछा के जहांगीर महल के पीछे सूर्योदय मित्रों , नई साल में सबको राम राम। अधिकांश लोग सोशल मीडिया के माध्यमो ( फेसबुक, व्हाट्स एप्प , इंस्टाग्राम , ट्विट्टर आदि ) से हुई मित्रता को आभासी या नकली मानते है। उनका मानना होता है , कि इन माध्यमों से बने रिश्ते अंत... Read more |
![]() ![]() एक चिट्ठाकार का चले जाना कोई नयी बात नहीं होती है सभी जाते हैं जाना ही होता है चिट्ठेकार का कोई बिल्ला ना आते समय चिपकाया जाता है ना जाते समय कुछ चिट्ठेकार जैसा बताने वाला चिपकाया हुआ उतारा ही जाता है तुम भी चल दिये चिट्ठे कितना रोये पता नहीं चिट्ठों में दिखता भी नहीं ह... Read more |
![]() ![]() चमकते मकान, लम्बी कारें, हर तरह की सुविधाएँ, दुनिया नाप लेने की ललक, पैसा इतना की खरीद सकें सब कुछ ... क्या जिंदगी इतनी भर है ... प्रेम, इश्क, मुहब्बत, लव ... इनकी कोई जगह है ... या कोई ज़रुरत है ... और है तो कब तक ... कन्फ्यूज़न ही कन्फ्यूज़न उम्र के उतराव पर ... पर होने को तो उम्र के चढ़ाव पर भी ... Read more |
![]() ![]() सुबह कुछ लिखना चाहो मजा नहीं आता है रात को वैसे भी कुछ नहीं होता है कहीं सपना भी कभी कभी कोई भूला भटका सा आ जाता है शाम होते होते पूरा दिन ही लिखने को मिल जाता है कुछ तो करता ही है कोई कहीं उसी पर खींच तान कर कुछ कह लिया जाता है इस सब से इतर अखबार कभी कुछ मन माफिक चीज ले आता है ... Read more |
![]() ![]() लुईस ब्रेल का जन्म फ़्रांसकी राजधानी पेरिसके निकट स्थित कूपव्रेके एक छोटे से शहर में 4जनवरी, सन्1809ई.को हुआ था। उसके पिता घोड़ों की काठी तथा साजी बनाने वाले एक साधारण मोची थे, जो इसी की सहायता से अपनी जीविका अर्जित करते थे।लुईस ब्रेल लगभग 15 वर्ष की आयु में लुईस ब्रेल एक दि... Read more |
![]() जौनपुर में जगह जगह पुराने समय की इबारतें और खंडहर देखने को मिल जाया करते हैं जिनमे से कुछ शार्की समय के कुछ मुग़ल या बहुत बार उस से भी पुरानी सभ्यता के यहाँ मौजूद होने की तरफ इशारा किया करते हैं |ऐसे ही एक पुराने कुंवे पे लिखी इस इबारत ने मेरा ध्यान आकर्षित किया जिसपे लि... Read more |
![]() शर्कीकाल में जौनपुर में अनेकों भव्य भवनों, मस्जिदों व मकबरों का र्निमाण हुआ. फिरोजशाह ने 1393 ई0 में अटाला मस्जिद की नींव डाली थी, लेकिन 1408 ई0 में इब्राहिम शाह ने पूरा किया.इब्राहिम शाह ने जामा मस्जिद एवं बड़ी मस्जिद का र्निमाण प्रारम्भ कराया, इसे हूसे... Read more |
![]() जौनपुर सिटी डॉट इन वेबसाईट द्वारा समय समय पे जौनपुर की प्रतिभाओं को पेश किया जाता रहा है जिस से कि उनका उत्साह बढे और पूरा विश्व उनके बारे में जाने |आज पेश हैं जौनपुर के मशहूर फोटोग्राफर जनाब शौक़त साहब |जौनपुर की शान कोई यहाँ के फ़ोटोग्राफरों से पूछे | इस बार मुलाक़ात ह... Read more |
![]() जब मैं छोटा था तो अक्सर मुहर्रम में देखा करता था कुछ खानाबदोश जौनपुर के स्टेशन पार एक इलाके में अपने तम्बू लगाए मुहर्रम मनाते थे | इन्हें उस वक़्त लोग इरानी खानाबदोश के नाम से पहचानते थे | पिछले ३० सालों में इन्होने खानाबदोशी को ख़त्म करते हुए अपने मोहल्ले बनाने शुरू कर ... Read more |
![]() जौनपुर तो वैसे भे मकबरों और क़ब्रों का शहर है | जिधर देखिये मकबरे और कब्रें बनी पड़ी हैं जिनका इतिहास अब बहुत की कम लोगों को मालूम है | हाँ यह अवश्य यहाँ के लोग जानते हैं की यह कब्रें ,मकबरें sharqi समय की या तुगलक और लोधी परिवार की होती है| जौनपुर के सिपाह मोहल्ले के पास एक इल... Read more |
![]() ![]() {यह लेख संघ का षडयंत्र का पहला भाग है, अगला भाग (1947-1999) होगा। कृपया इसे पूरा पढें और सार्थक कमेंट करें। गालियों का उपयोग न करें उससे आपकी परवरिश की पहचान हो जाती है! } 1905 में 16 अक्टूबर को भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन किया गया था। बंगाल विभाजन तो ... Read more |
![]() ![]() लाला लाजपत राय जी का जन्म पंजाबके मोगा जिले में 28 जनवरी, सन 1865 ई.में हुआ था। इनके पिताश्री राधाकृष्ण अग्रवाल एक साधारण स्कूल में मास्टर थे तथा इनकी माँ गुलाब देवीभी एक विदुषी महिला थी। माता पिता के उच्च संस्कारों ने उन्हें बचपन से ही संस्कारी बना दिया। इनके पिता उर्दू , ... Read more |
![]() ![]() खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्म सन 1890 ई.में सरहदी सूबे के उतमान जईनामक गाँव में बेहराम खानके यहाँ हुआ था। अब्दुल गफ्फार की माँ विनम्र और धीर स्वभाव की धर्मपरायण महिला थी। अब्दुल गफ्फार जब 5 - 6 वर्ष के थे, तब उन्हें मस्जिद में मुल्ला के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेज दिया, प... Read more |
![]() ![]() चित्र साभार - www.dw.deभारतीय पत्रकारों का एक समूह सन 1969 ई. में जब खान अब्दुल गफ्फार खान(सीमान्त गांधी (फ्रंटियर गांधी), बादशाह खान)से काबुल (अफगानिस्तान) मिला, तब उनसे पूछा गया - "आजादी किसे मिली ?"बादशाह खानका क्या लाजवाब जवाब था - "आजादी!! आजादी किसे मिली? हिन्दुस्तान के लोगों को ... Read more |
![]() पिछली ८ दिसंबर को आये दिल्ली विधानसभा के नतीजो ने एक नई बहस को जन्म दे दिया। ऐसी बहस जिसमे आम आदमी पार्टी के सयोजक अरविन्द केजरीवाल एक नायक के रूप में उभरे, एक ऐसे नायक जो भ्रष्टाचार के खिलाफ दो – दो हाथ करने को तैयार हो। निश्चय ही अरविन्द केजरीवाल से अब देश की उम्मीदे ... Read more |
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