![]() फिर अब तो लोगों पर हमारे परवरदिगार का (अज़ाब का) क़ौल पूरा हो गया कि अब हम सब यक़ीनन अज़ाब का मज़ा चखेंगे (31)हम खु़द गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया (32)ग़रज़ ये लोग सब के सब उस दिन अज़ाब में शरीक होगें (33)और हम तो गुनाहगारों के साथ यूँ ही किया करते हैं ये लोग ऐसे (शरीर) थे (34)क... |
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