![]() ![]() जग पेट भरण में।रत पाप करण में।।जग में यदि अटका।फिर तो नर भटका।।मन ये विचलित है।प्रभु-भक्ति रहित है।।अति दीन दुखित है।।हरि-नाम विहित है।।तन पावन कर के।मन शोधन कर के।।लग राम चरण में।गति ईश शरण में।।कर निर्मल मति को।भज ले रघुपति को।।नित राम सुमरना।भवसागर तरना।।=============ल... |
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