![]() ![]() दुःखों का कोई तय ठिकाना नही होताहम सुख ढूँढ़ते हैं, दुःख तक पहुँच जाते हैं ।सुख बंजारे हैं भटकते रहते हैंदुःख जगह ढूँढ़ते हैं और बस जाते हैं ।सुख के दिन छोटे हुआ करते हैंदुःख के हिस्से लंबी रातें हैं ।हम सुख में कितना कुछ भूलने लगते हैंदुःख आते ही सब कुछ पहचानते हैं ।सुख ... |
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