![]() ![]() क्या बात हुई वो बात कहोआओ बैठो और बात करोहैं नाज़ुक लब क्यों सिले हुएअब शिकवों की बरसात करो।जो बीत गया वो जाने दोबातों को बाहर आने दोइस मन का बोझ उतारो भीकर लो गुस्सा और ताने दो।यूँ चुप रहने से क्या होगाघुट कर सहने से क्या होगाअब कह भी दो ये बिन सोचेआख़िर कहने से क्या होगा... |
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