![]() ![]() ये जो प्यारा मुखड़ा हैक्यों ऐसे उखड़ा उखड़ा हैप्यार, मोहब्बत और ये शिक़वेहर प्राणी का दुखड़ा हैनही अकेला तू ही भोगीसबको ग़म ने रगड़ा हैकौन सही है कौन ग़लत हैसदियों से ये झगड़ा हैछोड़ उदासी ख़ुशी ओढ़ लेदुःख क्यों कस के पकड़ा हैहँसी सजा ले चेहरे पर क्योंगुस्से में यूँ अकड़ा हैशेष अभी ... |
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