![]() ![]() अविश्वासप्रस्ताव को गिरना ही था, गिर गया। अब तक जिद के आगे जीत सुनते आए थे, इस दफा जिद के आगे हार देख ली। हार भी कोई ऐसी-वैसी नहीं, तगड़ी वाली। लेकिन गिरने या हारने का उन्हें कोई अफसोस नहीं। वे उनके चीख-पुकार युक्त भाषण में फिलहाल अपनी जीत देखकर ही मुतमईन हैं।देश का बुद्धि... |
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