![]() ![]() --घूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनी,कण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।--ताल बनती नहीं, राग कैसे सजे,बेसुरे हो गये साज-संगीत हैं।ढाई-आखर बिना है अधूरी ग़ज़ल,प्यार के बिन अधूरे प्रणयगीत हैं।नेह के स्रोत सूखे हुए हैं सभ... |
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