![]() ![]() --कल-कल, छल-छल करती गंगा,मस्त चाल से बहती है।श्वाँसों की सरगम की धारा,यही कहानी कहती है।।--हो जाता निष्प्राण कलेवर,जब धड़कन थम जाती हैं।सड़ जाता जलधाम सरोवर,जब लहरें थक जाती हैं।चरैवेति के बीज मन्त्र को,पुस्तक-पोथी कहती है।श्वाँसों की सरगम की धारा,यही कहानी कहती है।।--हर... |
||
Read this post on उच्चारण |
Share: |
|
|||||||||||
और सन्देश... |
![]() |
कुल ब्लॉग्स (4017) | ![]() |
कुल पोस्ट (192787) |