![]() ![]() एकल कवितापाठ का, अपना ही आनन्द।रोज़ गोष्ठी को करो, करके कमरा बन्द।।--कोरोना के काल में, मजे लूटता खास।मँहगाई की मार से, होता आम उदास।।--कम शब्दों के मेल से, दोहा बनता खास।सरस्वती जी का अगर, रहे हृदय में वास।।--फिर से पैदा हो गये, बाबर-औरंगजेब।इनमें उनकी ही तरह, भरे हुए हैं ... |
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