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ग़ज़लया तो बेईमानी-भरी दुनिया से मैं कट जाऊंया कि ईमान के चक्कर में ख़ुद निपट जाऊंतुम तो चाहते हो सभी माफ़िया में शामिल होंतुम तो चाहोगे मैं अपनी बात से पलट जाऊं न मैं सौदा हूं ना दलाल न ऊपरवालालोग क्यों चाहते हैं उनसे मैं भी पट जाऊं मेरे अकेलेपन को मौक़ा मत समझ लेनाकिसी ... |
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सुधि पाठकों! बुधवार की चर्चा में देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। राधा तिवारी (राधे गोपाल) -- दोहे "चलना सीधी चाल।" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') उच्चारण -- कथा - गाथा : राजजात यात्रा की भेड़ें : किरण सिंह समालोचन पर arun dev -- ढूँढती हूँ... अजन्ता शर्मा मेरी धरोहर... |
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नये साल के स्वागत में मॉल की रौनक चरम पर थी। ठीक उसके सामने रेहड़ी-खोमचे वाले खड़े थे। उनके बीच कुछ खिलौने-गुब्बारे बेचने वाले बच्चे भी थे जो मॉल के अंदर आने-जाने वालों से अपना सामान खरीदने की मिन्नतें करते घूम रहे थे।निशा मॉल से निकल कर टैक्सी की प्रतीक्षा करने लगी तभी... |
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यूँ खुद तो गम मेरे दरवाजे नही आया होगाजरूर किसी अपने ने पता मेरा बताया होगाचेहरे पे नमी सी जो मालूम पड़ती है आजकल रात व... |
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मसरूफ़ आप में हैं, कहाँ फुर्सतों में लोगबस कहने को बचे हैं शनासाइयों में लोग उकता गये हैं रोज के इन हादसों से अब डूबे हुए हैं ख़ौफ़ की गहराइयों में लोग आँखों में ख़्वाब और थे, ताबीर और है सपने बिखरते देख के मायूसियों में लोग तदबीर से नसीब बदल कर नहीं देखे तक़दीर कोसते रहे ... |
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‘पंजाब केसरी’ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर आधारित विश्लेषणात्मक लेख ... |
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मैं एक घर के करीब से गुज़र रहा था, अचानक मुझे उस घर के अंदर से एक बच्चे की रोने की आवाज़ आई । उस बच्चे की आवाज़ में इतना दर्द था कि अंदर जा कर वह बच्चा क्यों रो रहा है, यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका । अंदर जा कर मैंने देखा कि एक माँ अपने दस साल के बेटे क... |
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अगर आप शाकाहारी हैं और आप भूटान दौरे पर हैं तो किसी शाकाहारी होटल में ही रुके तों अच्छा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भूटान में मांसाहार के नाम पर सब कुछ खाया जाता है। यहां की ज्यादातर आबादी बीफ (गौमांस) भी खाती है। थिंपू शहर में होटल गासिल के अलावा शांति देवा और होटल भूटान भी ... |
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ग़ज़लअब तुझे याद भी नहीं करते.वक्त बर्बाद भी नहीं करते.देख मुंसिफ़ की अब तरफदारी,हम तो फ़रियाद भी नहीं करते.मेरी गर्दन पे तो रखे हैं छुरी,ज़ल्द आज़ाद भी नहीं करते.क़त्ल का देखे हैं तमाशा सब,कोई इमदाद ही नहीं करते.लोग लोगों को भून खाते हैं,दिल को नाशाद ही नहीं करते.डॉ. सुभ... |
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1.तुम्हारा झूठउसके लिएसच हैमेरा सचकिसी और के लिएझूठ हैऐसा तो होना ही थाक्योंकिसच और झूठ कोतौलने वाला तराजूअलग-अलग हैहम सबका !2.जो नासमझ हैउसे समझाने से क्या फ़ायदाऔर जो समझदार हैउसेसमझाने की क्या ज़रूरत क्या इसकाये अर्थ निकाला जाए किजो समझदारकिसी नासमझ कोसमझाने क... |
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योग में मुद्राओं का महत्त्व आसन व प्राणायाम से अधिक हैl इसे करने से ना केवल शारारिक बल्कि मानसिक लाभ भी मिलते है| इन मुद्राओ का नियमित अभ्यास करने से शरीर, मन और आत्मा संतुलित व शुद्ध होते है|योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की ... |
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और उन्हें ‘प्यार’ हो गया… उनकी एक्टिंग का भी जवाब नहीं उनका डांस भी देखिये मूलतः मखमली आवाज की धनी गायिका हैं रुचिका कंडारी ... |
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जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया है, पर यह विवाद जल्द ही खत्म नहीं होगा. पिछले हफ्ते के घटनाक्रम ने हमारी न्याय-व्यवस्था को धक्का पहुँचाया है. कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा था कि उप राष्ट्रप... |
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हित जिससे होता जुड़ा, वो होता साहित्य।सारे जग को रौशनी, देता है आदित्य।। जीवनपथ पर ओ मनुज, चलना सीधी चाल।जीवनभर टिकता नहीं, फोकट का धन-माल।। गण-गणना पर है टिकी, सब दोहों की डोर।।छन्दों में करना नहीं, तुकबन्दी कमजोर। चार दिनों की ज़िन्दगी, काहे का अभिमान।धरा यहीं ... |
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पूर्वोत्तर के सात राज्यों में से तीन राज्यों में विवादित अफ्स्पा कानून को हटाया जा चुका है। मेघालय से पहले यह कानून त्रिपुरा और मिजोरम में भी अप्रभावी हो चुका है, वहीं अरुणाचल प्रदेश में यह आंशिक रूप से ही लागू है। पूर्वोत्तर के बाहर यह जम्मू कश्मीर में भी 90 के दश... |
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मैं हिंदी का बेटा हूँ, उर्दू मेरी मासी है, भोजपुरी भौजाई दाखिल, बज्जिका मेरी बोली है.. मगही-मैथिली मुझे है चाहने वाले, अवधी-खरी में जी मैं जंचता हूँ, पर अपनों की खास कदर नहीं जी, मैं मूरख अंग्रेजी पे मरता हूँ… ©सन्नी कुमार ... |
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दूसरे विश्व-युद्ध के आरंभ में, हवाई बमबारी ने पोलैंड के शहर वॉरसौ को बर्बाद कर दिया था। वहाँ के अधिकांश भवन ध्वस्त हो गए थे, सीमेंट के बड़े-बड़े टूटे हुए भाग, पानी के फटे हुए पाईप, टूटे हुए काँच की किरचें शहर भर में चारों ओर बिखरी हुई थीं। लेकिन शहर के एक इलाके में, क्षति... |
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जल बुनियादी मानवाधिकार है और इसके बिना धरती पर जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती। यदि हमने इसे आज से ही नहीं सहेजना आरम्भ किया तो कल सिर्फ आँखों में पानी बचेगा। ऐसे में जनसहभागिता के द्वारा इस ओर अभी से सोचना होगा। उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेश... |