Blog: उच्चारण |
![]() ![]() दुखियों की सेवा करने को,यीशू धरती पर आया।निर्धनता में पलकर जग कोजीवन दर्शन समझाया।।--जन-जन को सन्देश दिया,सच्ची बातें स्वीकार करो!छोड़ बुराई के पथ को,अच्छाई अंगीकार करो!!कुदरत के ज़र्रे-ज़र्रे में,रहती है प्रभु की माया।निर्धनता में पलकर जग कोजीवन दर्शन समझाया।।--मज़ह... Read more |
![]() ![]() -१-कविता के शिल्प का, नहीं है मुझे ज्ञान कुछ,देकर कुछ शब्द, मेरी रचना सँवार दो। --मन की वीरान पड़ी, धरती में माता आप,नये बिम्ब रोपकर, वाटिका सँवार दो। --जो भी देखूँ वो ही लिखूँ, लेखनी की नोक से,माता मेरी वर्तनी की, गलतियाँ सुधार दो।--दुष्टों के मर्दन को, सत्य के प्रचोदन को,... Read more |
![]() ![]() रास न आया कृषक को, सरकारी फरमान।झंझावातों में घिरे, निर्धन श्रमिक-किसान।।--शीतल-शीतल भोर है, शीतल ही है शाम।अच्छा लगता है बहुत, शीतकाल में घाम।।--आसमान को छू रहे, लकड़ी के तो दाम।कूड़ा-करकट को जला, लोग सेंकते चाम।।--खास मजा हैं लूटते, कठिनाई में आम।महँगे होते जा रहे, चना और ... Read more |
![]() ![]() बिगड़ रही है सूरत-सीरत, भारत देश महान की।हालत बद से बदतर होती, अपने श्रमिक-किसान की।।--आज कड़ाके की सरदी में, जाड़ा-पाला फाँक रहे,दाता जग के हाथ पसारे, केन्द्र-बिन्दु को ताँक रहे?पड़ी किसलिए आज जरूरत, सड़कों पर संधान की।हालत बद से बदतर होती, अपने श्रमिक-किस... Read more |
![]() ![]() --है यहाँ जीवन कठिन,वातावरण कितना सलोना।बाँटता सुख है सभी को,मखमली जैसा बिछौना।--पेड़-पौधें हैं सजीले,खेत हैं सीढ़ीनुमा,पर्वतों की घाटियों में,पल रही है हरितिमा,प्राणदायक बूटियों से,महकता जंगल का कोना।--शारदा, गंगो-जमुन का,है यहीं पर स्रोत-उदगम,मन्दिरों-देवालयों की,छट... Read more |
![]() ![]() --कल-कल, छल-छल करती गंगा,मस्त चाल से बहती है।श्वाँसों की सरगम की धारा,यही कहानी कहती है।।--हो जाता निष्प्राण कलेवर,जब धड़कन थम जाती हैं।सड़ जाता जलधाम सरोवर,जब लहरें थक जाती हैं।चरैवेति के बीज मन्त्र को,पुस्तक-पोथी कहती है।श्वाँसों की सरगम की धारा,यही कहानी कहती है।।--हर... Read more |
![]() ![]() छिपा क्षितिज में सूरज राजा,ओढ़ कुहासे की चादर।सरदी से जग ठिठुर रहा है,बदन काँपता थर-थर-थर।।--कुदरत के हैं अजब नजारे,शैल ढके हैं हिम से सारे,दुबके हुए नीड़ में पंछी,हवा चल रही सर-सर-सर।सरदी से जग ठिठुर रहा है,बदन काँपता थर-थर-थर।।कोट पहन और ओढ़ रजाई,दादा जी ने आग जलाई,मिल जा... Read more |
![]() ![]() --मैदानों में कुहरा छाया।सितम बहुत सरदी ने ढाया।। सूरज को बादल ने घेरा,शीतलता ने डाला डेरा,ठिठुर रही है सबकी काया।सितम बहुत सरदी ने ढाया।।कलियों पर मौसम के पहरे,बहुत निराश हो रहे भँवरे,गुंजन उनको रास न आया।सितम बहुत सरदी ने ढाया।।--सरसों के सब बिरुए रोते,गेहूँ अपना ध... Read more |
![]() ![]() --नभ में सूरज गुम हुआ, हाड़ कँपाता शीत।दाँतों से बजने लगा, किट-किट का संगीत।।--दिवस हुए छोटे बहुत, लम्बी हैं अब रात।खाने में अब बढ़ गया, भोजन का अनुपात।।--कोयल और कबूतरी, सेंक रहे हैं धूप।बिना नहाये लग रहा, मैला उनका रूप।।--अच्छा लगता है बहुत, शीतकाल में घाम।खिली गुनगुनी... Read more |
![]() ![]() देखिए मेरी भी एक गीतनुमा बन्दिश-"कुहरा पसरा आज चमन में"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')--सुख का सूरज नहीं गगन में।कुहरा पसरा आज चमन में।।--पाला पड़ता, शीत बरसता,सर्दी में है बदन ठिठुरता,तन ढकने को वस्त्र न पूरे,निर्धनता में जीवन मरता,पर्वत पर हिमपात हो रहा,पौधे मुरझाये क... Read more |
![]() ![]() --कलकल-छलछल, बहती अविरल,हिमगिरि के शिखरों से चलकर,आनेवाली धार कहाँ है।गंगा की वो धार कहाँ है।।--दर्पण जैसी निर्मल धारा,जिसमें बहता नीर अपारा,अर्पण-तर्पण करने वाली,सरल-विरल चंचल-मतवाली,पौधों में भरती हरियाली,अमल-धवल आधार कहाँ है।गंगा की वो धार कहाँ है।।--भवसागर से पार लग... Read more |
![]() ![]() --जीवन के इस दाँव-पेंच में,मैंने सब कुछ हार दिया है।छला प्यार में जिसने मुझको,उससे मैंने प्यार किया है।।--जब राहों पर कदम बढ़ाया,काँटों ने उलझाया मुझको।गुलशन के जब पास गया तो,फूलों ने ठुकराया मुझको।जिसको दिल की दौलत सौंपी,उसने ही प्रतिकार लिया है।छला प्यार में जिसने मु... Read more |
![]() ![]() चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर,मीठा राग सुनाती हो।आनन-फानन में उड़ करके,आसमान तक जाती हो।।--मेरे अगर पंख होते तो,मैं भी नभ तक हो आता।पेड़ो के ऊपर जा करके,ताजे-मीठे फल खाता।।--जब मन करता मैं उड़ कर के,नानी जी के घर जाता।आसमान में कलाबाजियाँ कर के,सबको दिखलाता।।--सूरज उगन... Read more |
![]() ![]() गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।मम्मी की आँखों का तारा।।--रेगूलेटर अच्छा लाना।सही ढंग से इसे लगाना।।--गैस सिलेण्डर है वरदान।यह रसोई-घर की है शान।।--दूघ पकाओ, चाय बनाओ।मनचाहे पकवान बनाओ।।--बिजली अगर नही है घर में।यह प्रकाश देता पल भर में।।--बाथरूम में इसे लगाओ।गर्म-गर्म पा... Read more |
![]() ![]() मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,मन ही मन हर्षाते हैं।जब वो नन्ही सी बेटी की,छवि आखों में पाते है।।--जब आयेगा समय सुहाना, देंगे हम उपहार तुम्हें।तन मन धन से सब सौगातें, देंगे बारम्बार तुम्हें।।--दादी-बाबा की प्यारी, तुम सबकी राजदुलारी हो।घर आंगन की बगिया की, तुम मन... Read more |
![]() ![]() --दर्द का सिलसिला दिया तुमनेआज रब को भुला दिया तुमने--हमने करना वफा नहीं छोड़ानफरतों का सिला दिया तुमने--खिलती चम्पा को नोंचकर फेंकाफिर नया गुल खिला दिया तुमने--हमको आब-ए-हयात के बदलेफिर हलाहल पिला दिया तुमने--मौत माँगी थी हमने मौला सेफिर से मुर्दा जिला दिया तुमने--छाँव क... Read more |
![]() ![]() --सीधा-सादा. भोला-भाला।बच्चों का संसार निराला।।--बचपन सबसे होता अच्छा।बच्चों का मन होता सच्चा।--पल में रूठें, पल में मानें।बैर-भाव को ये क्या जानें।।--प्यारे-प्यारे सहज-सलोने।बच्चे तो हैं स्वयं खिलौने।।--बच्चों से होती है माता।ममता से है माँ का नाता।।--बच्चों से है दुनि... Read more |
![]() ![]() तीखी-तीखी और चर्परी।हरी मिर्च थाली में पसरी।।तोते इसे प्यार से खाते।मिर्च देखकर खुश हो जाते।।सब्ज़ी का यह स्वाद बढ़ाती।किन्तु पेट में जलन मचाती।।जो ज्यादा मिर्ची खाते हैं।सुबह-सुबह वो पछताते हैं।।दूध-दही बल देने वाले।रोग लगाते, मिर्च-मसाले।।शाक-दाल को घर में ला... Read more |
![]() ![]() तुम कलिका हो मन उपवन की।तुलसी हो मेरे आँगन की।। तुमसे ही तोे ये घर, घर है,सपनों का आबाद नगर है,सुख-दुख में हो साथ निभाती,आभा-शोभा तुमसे वन की।संगी-साथी साथी इस जीवन की।। तुम कोयल सी चहक रही हो,तुम जूही सी महक रही हो,नेह सुधा सरसाने वाली,तुम घन चपला हो सावन की।संगी-साथी स... Read more |
![]() ![]() कुहरा करता है मनमानी।जाड़े पर आ गयी जवानी।।--नभ में धुआँ-धुआँ सा छाया,शीतलता ने असर दिखाया,काँप रही है थर-थर काया,हीटर-गीजर शुरू हो गये,नहीं सुहाता ठण्डा पानी।जाड़े पर आ गयी जवानी।।--बालक विद्यालय ना जाते,कोरोना से सब घबराते, मोबाइल से मन बहलाते,रोग भयंकर फैला जग में,ह... Read more |
![]() ![]() पुरखों का इससे अधिक, होगा क्या अपमान।जातिवाद में बँट गये, महावीर हनुमान।।--राजनीति के बन गये, दोनों आज गुलाम।जनता को लड़वा रहे, पण्डित और इमाम।।--भजन-योग-प्रवचन गये, अब योगी जी भूल।लगे फाँकने रात-दिन, राजनीति की धूल।।--रास नहीं आता जिन्हें, योगासन का कार्य।व्यापारी से बन ... Read more |
![]() ![]() दीपों का त्यौहार है, देव दिवाली पर्व।परम्परा पर देश की, हम सबको है गर्व।।--गुरु नानक का जन्मदिन, देता है सन्देश।जीवन में धारण करो, सन्तों के उपदेश।।--गुरू पूर्णिमा पर्व पर, खुद को करो पवित्र।मेले में जाना नहीं, घर में रहना मित्र।।--कोरोना के काल में, मन हो रहा उचाट।सरिताओ... Read more |
![]() ![]() एकल कवितापाठ का, अपना ही आनन्द।रोज़ गोष्ठी को करो, करके कमरा बन्द।।--कोरोना के काल में, मजे लूटता खास।मँहगाई की मार से, होता आम उदास।।--कम शब्दों के मेल से, दोहा बनता खास।सरस्वती जी का अगर, रहे हृदय में वास।।--फिर से पैदा हो गये, बाबर-औरंगजेब।इनमें उनकी ही तरह, भरे हुए हैं ... Read more |
![]() ![]() आसमान का छोर, तुम्हारे हाथों में।कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।।--लहराती-बलखाती, पेंग बढ़ाती है,नीलगगन में ऊँची उड़ती जाती है,होती भावविभोर तुम्हारे हाथों में।कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।।--वसुन्धरा की प्यास बुझाती है गंगा,पावन गंगाजल करता तन-मन चंगा,सरगम का... Read more |
![]() ![]() हिम्मत अभी नहीं हारी हैजंग ज़िन्दगी की जारी है--मोह पाश में बँधा हुआ हूँये ही तो दुनियादारी है--ज्वाला शान्त हो गई तो क्यादबी राख में चिंगारी है--किस्मत के सब भोग भोगनाइस जीवन की लाचारी है--चार दिनों के सुख-बसन्त मेंमची हुई मारा-मारी है--हाल भले बेहाल हुआ होजान सभी को ही प्... Read more |
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