 paramjitbali
ये कैसे लोग दिख रहे हैं वतन में मेरेनश्तर -से चुभोते हैं ये बदन पे मेरे।किससे करे शिकायते थानेदार हैं वो-कोहराम -सा मचा है अमन में मेरे।कोई सुनता नही किसी की बात यहाँदेश भक्त बन बैठे है घात लागाये यहाँअब कौन बचायेगा इन जयचंदों से..उम्मीद दम तोड़ चुकी लगता है यहाँ। जनता भे... Read more |
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तुम्हारा हाल क्या पूछे अपना हाल तुम-सा है....हरिक दोस्त भी अपना खुद में आज गुम-सा है।मोहब्बत मे वफा वादे कसमें कौन समझा है ।गुल के साथ खारों को यहाँ पर कौन समझा है।बहारों की तमन्नायें यहाँ हर दिल में खिलती है,मौसम एक-सा रहता नही ये कौन समझा है। उन्हें उम्मीद है , दिन आज नही क... Read more |
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उदास रात गई उदास दिन भी है-ये कैसी जिन्दगी जी रहे हैं हम।बहुत दूर हैं ......मंजिलें अपनी-साँसों की सौगात लगती है कम।उदास रात गई उदास दिन भी है-ये कैसी जिन्दगी जी रहे हैं हम।मगर जीना होगा चलने के लिये-सुख-दुख का रस पीनें के लिये।किसी और की मर्जी लगती है-बदल सकेगें ना .. इसको हम... Read more |
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गई रात देखो सिमटा अंधेराउजाला हुआ है फिर जिन्दगी में।चलो! पक्षीयों से गगन में उड़े हम,देखे कहाँ परखुशीयां पडी हैं।है कौन-सी वो धरा यहाँ परगर्भ मे जिसके खुशीयां गड़ी हैं।चुनने को आजाद है अपना मन भी।जो चाहो चुनों तुम खुशी है तुम्हारी।दुखों की कमी कोई नजर नही आती।खुशीयां ... Read more |
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वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो।वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयो को दो।बढ रही महँगाई हो ,धर्म की लड़ाई हो राह चलते चलते तेरी रोज ही पिटाई होतुम कभी डरो नही, पीछे भी हटो नही,तुड़वा के हाथ पाँव तुम, बढे चलो बढे चलो।डाक्टरों की फीस भले जे़ब मे तेरी ना हो।वीर तुम बढे चलो फकीर तुम... Read more |
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जब रोशनी होती हैमै तुम्हें भूला रहता हूँजब अंधेरा होता है तुम याद आते हो।क्या तुम हरेक को- ऐसे ही सताते हो? या तुम ऐसे ही आते हो और ऐसे ही जाते हो ?बस! यही बताते हो ?और हर बार की तरहबिना मिले हीलौट जाते हो ?तब तो तुम मत आया करो।मैं प्रतिक्षा करता रहूँगा। समय तो गुजर जायेगा।... Read more |
 paramjitbali
१आँख देखती हैदिल को कोई अहसास नही होता।इसी लिए अबकोई प्यार का घर आबाद नही होता।२चाहतें तो बहुत हैंसब पूरी कर लेंगें एक दिन ।ये अलग बात है-उन चाहतों में कोई दूसरा ना होगा।३आने को कहा था पर नही आयेअब इस बात पर खुशी होती है।किस किस से बाँटते अपनी खुशीअपनी तो खुशी में भी आ... Read more |
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वह इस लियेतड़प रहा था प्यास के कारणक्योकि उसके भीतरवादाखिलाफी देख करआग लगी हुई थीऔर आज वह पाँच साल बाद फिर लौट आया हैउससे अपना समर्थन माँगने।बेशर्मी की हदे .......पार करनाइसी को तो कहते हैं।... Read more |
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ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी। लोग कहते हैं - जी भर गया होगा मेरादिखती नही अश्कों से भरी आँखे मेरी? मै दरबदर तलाशता हूँ जमानें मे तुझे।ना जाने क्य़ूँ भूलकर बैठा हैं तू मुझे।लोग कहते हैं - हर शै में समाया तू है फिर क्यूँ खा ... Read more |
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पत्थर और आदमी मेंअब फर्क नज़र आता नही।इस लिये दिल से यहाँ ,कोई गीत अब गाता नही।खामोश है यहाँ हर नजर, आकाश में उठती हुई -उडता हुआ कोई परिंदा ,नजर अब आता नही।सोचता हूँ गीत यहाँ किसके लिये अब गाँऊ मैं,गीत अपना अपने को, अब जरा भाता नही।पत्थर और आदमी मेंअब फर्क नज़र आता नही।... Read more |
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