Blog: बगीची |
![]() ![]() ##AssuredIncomePlanPolicyनिश्चित धन वापसी और बीमा सुविधासंदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वासविश्वास में ही मौजूद रहती है यह आसधन भी मिलेगा और निडर भी बनोगेपॉलिसी आयु सीमा जीरो से 70 सालशून्य का बहुत महत्व है, जानते हैंशून्य दिया है भारत ने यह विश्वाससात से सत्तर शून्य स... Read more |
![]() ![]() आई तितली जैेसे बिजली चारों ओर उजाला छाया। तितली पीली उजाला सफेदरंगों का देश हुआ जगप्रवेश। तितली रंगबिरंगी स्वाद नारंगी जादुई इसके पंख बज उठा हो शंख। तितली के सौ रंग इनके अजब है ढंग मनमोहन हमने दिखाई देखो हर मन की जंग। तितली देखी तो यूं लगा पी ली हो रंगों की भंग इसकी आई... Read more |
![]() ![]() ##Diabitiesकविता लिखी और प्रतिलिपि करने के फेर में डिलीट हो गई लिखी कविता मधुमेह पर यानी मधु की बरसात पर मीठे और मिठास की हो रही है चहुं ओर बरसात इस बरसात में भीगने से बचने के लिए लगा रहा है इंसान इंसुलिन इंसान और इंसुलिन का क्या है मेल समझ नहीं पाया कोई मेल न कोई फीमेल पर बिना ... Read more |
![]() ![]() ##Chauthaसच्चाई है यह जो आया है जाएगी वही अकेला आया है अकेला चला जाएगा अमर अमर भी न हुए अविनाश कैसे हो जाएगा अमर चाहे लिखे अविनाशी चाहे लिखे मुन्नाभाई अन्नाभाई, अन्नास्वामी अकेला आया है रुकेगा नहीं चला जरूर जाएगा श्मशान घाट है जिस सफर का अंतिम स्टे सन वाय... Read more |
![]() ![]() विकास महाराज भी पीएम जी से खौफ खाए हुए चक्कर काट रहे हैं। कल तक जो सत्तानशीनों की चरण-वंदना किया करते थे और आरती गाया करते थे, उनकी आरती में दोगुने और तिगुने का भी फासला था। पर नए नवेले पीएम जी ने एक दफा सब पर, सबके सामने एक ऐसी दफा लगा दी जिसे टीवी चैनलों, मीडिया के ... Read more |
![]() ![]() सबकी हूं मैं गुडि़या रानीमीठी सदा बोलती वाणीमंद मंद मुस्काती हूंसबके मन को भाती हूं।- दादाभाई के सत्यवचन।... Read more |
![]() ![]() हसीना क्या चाहे, अगर हसीनाओं की चाहत पर चाहें और उनकी चाहत पूरी करने लगें तो सारा जहां ही कम पड़ जाए। पर यहां पर बात करेंगे तेलंगाना की। हसीनाओं और तेल का किस्सा बहुत पुराना है क्योंकि हसीनाओं को हसीन फिगर बनाए रखने के लिए नृत्य के रियाज़ में जुटे रहना होता है। पर ... Read more |
![]() ![]() गरीबी पर योजना आयोग बार बार मुद्दे को गर्म कर देता है मानो ठंडे खाने को गर्म कर रहा हो और हर बार अपनी ही हदों से बाहर उबल-उबल कर गिरने लगता है। ऐसे में लेखक के लिए जरूरी है कि वह गरीबी जैसे सनातन पर पुराने घिसे-पिटे विषय पर नए सिरे से ऐसा लिखे कि दोहराव न हो और पुराना छपा द... Read more |
![]() ![]() लोग बाग तो आम के बाग बगीचे में, यहाँ वहां, जाने कहाँ कहाँ शराब पीकर, बीड़ी पीकर, गुटखा खा चबा कर गांजे सुल्फे के दम मारकर खुशी खुशी परलोक को कूच कर रहे हैं, सरकार इन लोगों के मरने के एकदम पक्ष में है और वह करे तो क्या करे ? उसने तमाम नशों के खिलाफ... Read more |
Share: |
|
|||||||||||
और सन्देश... |
![]() |
कुल ब्लॉग्स (4020) | ![]() |
कुल पोस्ट (193860) |