Blog: VYANGYALOK |
![]() ![]() // व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभुत्व से चिंतित होकर परंंपरागत रूप से हमारे साथ खेल-कूद कर बड़े हुए वायरसों में गहरा असंतोष एवं आतंक का वातावरण उत्पन्न हो गया था । उन्होंने व्यांपक लॉकडाउन में भी किसी तरह एक-दूसरे से सम्पर्क साधकर एक छो... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// पॉजीटिव होना भी क्या ग़जब की बात है। घबराइये नहीं, मैं कोरोना पॉजीटिव होने की बात नहीं कर रहा। मैं तो जीवन की हज़ारों निगेटिविटियों के बीच रहते हुए भी घोर पॉजीटिव बने रहने की अद्भुत अतिमानवीय क्षमता की बात कर रहा हूँ। यह वैसा ही है... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//पुलिस विभाग को कांट्रेक्ट बेसिस पर प्रखर कल्पनाशील कहानीकारों की आवश्यकता है जो कि उपलब्ध कराए गए मौका-ए-वारदात पर फौरन उपस्थित होकर विभागीय एनकाउन्टर्स, हवालात में मारपीट के बाद मृत्यु, दबिश, पब्लिक पर किये गए ज़ुल्मों इत्यादि पर शीघ... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//अगड़म-बगड़म चाइनीज़ सामान की दुकान का आधा शटर खुला हुआ है और चीन के साथ हो गए पंगे से बेखबर चार-छः लोग सस्ता चाइनीज़ सामान खरीद भी रहे हैं। अचानक राष्ट्रवादी नवयुवकों का एक झुंड दुकान पर आ धमकता है और उनका नेता दुकान के बाहर से ही दुकानदार को ललकार कर ... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//आत्मनिर्भरता अपने-आप में बहुत ही ज़बरदस्त किस्म की फिलॉसफी है। पुराने ज़माने के सभी बाप लोग यह फिलॉसफी जम कर झाड़ा करते थे। मूछों के रुएँ फूटने से पहले ही ‘‘आत्मनिर्भर बनो-आत्मनिर्भर बनो’’का राग अलापते हुए वे हाथ धोकर अपने बच्चों के पीछे पड़ जाते ... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// मानव शरीर के सबसे कीमती ऊतकों के समूह ‘मस्तिष्क’ को सुरक्षित एवं चलायमान बनाए रखने के लिए प्रकृति ने मनुष्य के शरीर में मात्र एक जगह बनाई है, ‘खोपड़ी’, परन्तु कुछ महान लोगों ने अथक परिश्रम, दीर्घकालीन प्रयासों एवं अपने आस्था व... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// स्टेशन पर एनाउन्समेंट गूँजा- मुंबई से चलकर इंदौर, हैदराबाद, जयपुर, बिलासपुर के रास्ते छपरा जाने वाली धारवाड़-गोरखपुर एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से एक पखवाड़ा विलंब से चल रही है। यात्रियों से निवेदन है कि वे रेल प्रशासन का सहयोग करें। यात्र... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//लॉकडाउन में लोगों की रचनात्मकता उफन-उफनकर निकली पड़ रही हैं जिसने जीवन में कभी रचनात्मक का ‘र’नहीं जाना वह भी, जो हाथ में आए उठाकर रचनात्मक हुआ जा रहा है। पुराने जमाने के बाप आज होते तो लट्ठ लेकर अपनी औलादों पर पिल पड़ते- सालों, बहुत रचनात्मकता सूझ ... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// अपन भी कोई कम साइंटिस्ट नहीं हैं। स्कूल में बहुत मेंढकों की चीर-फाड की है। संकट की इस घड़ी में अनुभव का लाभ उठाने में क्या हर्ज है। जब लाखों लोग कोरोना विशेषज्ञ बने चले जा रहे हैं तो अपन में क्या कमी है। बस एक अदद कोरोना का सेम्पल मि... Read more |
![]() ![]() व्यंग्य - प्रमोद ताम्बटमहाशक्तियों ने दुनिया भर में नरसंहार के लिए एक से एक खतरनाक हथियार,गोला-बारूद,और परमाणु असलहे ईजाद किये हैं और न केवल दुनिया के कई मुल्कों को आँखें दिखाई हैं बल्कि कमज़ोर मुल्कों को नेस्तोनाबूद भी किया है। मगर अब,एक अदद तुच्छ वायरस ने उन तमा... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// आजा़दी के बाद काफी सालों तक हमारे महान नेतागण देश को आज़ाद कराने के एहसान के तौर पर घर बैठे चुनाव जीतने में सफल होते रहे। उसके बाद कुछ सालों तक देश को गुरबत से बाहर निकालने के हवाई सपने दिखाने वाले ‘बड़े-बड़े’ राजनैतिक विचारों की ‘छोटी-... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// मानव सभ्यता के इतिहास में मनुष्य की जो सबसे बड़ी उपलब्धि है वह है आधुनिक चिकित्सा विज्ञान। पश्चिमी चिकित्सा विज्ञानियों ने यदि घर के सारे काम छोड़कर शोध एवं अनुसंधान नहीं किया होता, नए-नए आधुनिक चिकित्सकीय उपकरण, पैथोलॉजिकल टेस्ट प्रणालियाँ,... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// चैन से सोना हो तो जाग जाओ। जाग गए हो तो सुनो। पेश-ए-खिदमत है आज की सनसनी। आज दिनदहाड़े राजधानी में एक बेहद सनसनीखेज़ घटना दरपेश आई है, जिसकी वजह से समूची राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल बना रहा। खबर है कि राजधानी की एक पॉश कॉलोनी मे... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// वे हर वक्त आभारी होने को तत्पर रहते हैं। अल्ल सुबह से लेकर देर रात तक वे आभार से इस कदर लद-फद जाते हैं कि उनकी थुल-थुल काया देखकर भ्रम होता है कि वे चर्बी से लदे हुए हैं या आभार से।रोज़ सबुह उठते ही वे ईश्वर के आभारी होते है कि उसने उन्हें नींद में ह... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//मैंने बाज़ार के अन्दर कदम रखा ही था कि अचानक आठ-दस मोटे-मोटे पेट वाले तंदरुस्त मुस्टंडों ने मुझे चारों ओर से घेर लिया। मगर मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब पीटने की बजाय मुस्टंडों ने घंटा-घडियाल, शंख, झाँझ-मजीरे, फूल-मालाएँ, नारियल, अगरबत्ती निका... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//सिलेक्शन कमेटी के चेयरमेन टेबल के नीचे छुपे हुए हैं और सदस्यगण मुँह छुपाए इधर-उधर देख रहे हैं। चुन्नू बाबू का विधवा विलाप सप्तम सुर में चल रहा है-‘‘भ्याSSSSभ्याSSSSभौंSSSS ! अरेरेरेरेरे! ठठरी बंध गई मेरी तो। मखाने फिक गए रे। अरे मैं तो जीते जी मर गया। इन ... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// विशेषज्ञता और शोध-अनुसंधान के मामले में हम चाहे कितने भी पिछड़े हुए हों, मगर ढाँचागत विकास में कोई माई का लाल हमारा सानी नहीं है। इन दिनों हमारी तकनीकी कुशाग्रता का जो नमूना हमारी ‘सड़कों’ पर नज़र आ रहा है, उसे देखकर दुनिया... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// स्मार्ट गजेट युग के स्मार्ट बच्चे इन दिनों अपने माँ-बाप को तिर्यक दृष्टि से तो दादा-दादी को खा जाने वाले दृष्टि से देख रहे हैं, क्योंकि टी.वी पर गा-गा कर उन्हें समझाया जा रहा है -‘‘नो चिपकोइंग, बेच दे बेच दे। पुराना जाएगा तब नया आएगा।’’ मगर मैयो-... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//बन्नेखाँ का लड़का फन्नेखाँ सुबह से बस एक ही रट लगाए हंगामा मचाए हुए है – मैगी दे दो, मैगी दे दो। फ्न्ने की अम्मा उसे समझाने की कोशिश कर रही है- “मान जा बेटा मान जा, कुछ और खा ले, मैगी में जाने क्या ‘बला’मिली है, मर जाएगा तू मेरे लाल।”फन्ने सुन... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//दुनिया के तमाम मुल्कों ने तमाम क्षेञों में तरक्की की है, हमने शिक्षा के क्षेञ में झंडे गाड़े हैं। अंग्रेजों के ज़माने में जब लॉर्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा पद्धति को बनाने के लिए अपना सिर खपाया तब उसने ख्याब में भी नहीं सोचा होगा कि कालान्तर म... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// मैं ‘मैगी’ हूँ। दुनिया भर में मुझे बेहद चाव से खाया जाता है। मगर आज मेरे अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मुझे अखाद्य करार दिया जाकर मार्केट से बाहर करने का षड़यंत्र चल रहा है। मुझे ताज्जुब है, जब भारत की गली-गली में सैकड़ों अखाद्य पदार्थ... Read more |
![]() ![]() व्यंग्य-प्रमोद ताम्बटतम्बाकू की वकालत करने वालों के हौसले देखकर कई सौदाइयों की हौसला अफजाई हुई है और अब वे भी अपना-अपना धंधा चमकाने के लिए अपनी क्रांतिकारी दलीलों के साथ मैदान में कूँदने की तैयारी कर रहे हैं। सबसे पहले सीना फूलाने वालों में शराब लॉबी के सज्जन लो... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//कुछ ही घंटों में ‘आम’ बजट आने वाला है। इससे पहले कि टी.वी. वाले बजट पूर्व अनुमानों का कलरव शुरू करें, पेश-ए-खिदमत है आने वाले बजट की कुछ ऐतिहासिक घोषणाओं का पूर्व अनुमान। समझा जाता है कि इस बार ‘आम-बजट’ में सचमुच ‘आम’ लोगों के लिए ही सब कुछ होगा औ... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//दिल्ली की जनता को ‘फैक्चर्ड मैनडेट’ देने की सज़ा मिली है-दोबारा चुनाव! इसके बाद भी यदि जनता न मानी तो दोबारा, तिबारा फिर चौबारा और पाँचवी बार भी हो सकते हैं चुनाव। जब तक किलियर कट मैजोरिटी नहीं दोगे बेटों, झेलते रहो चुनाव। सही हों-गलत हों, चोर हों-ल... Read more |
![]() ![]() //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// इनदिनों बाज़ार में डरते-डरते घुसना पड़ता है। कोई सोच सकता है हमारा अपना बाज़ार है, ‘भारतीय बाज़ार’, उसमें डरते हुए घुसने की क्या ज़रूरत है, आराम से सीना फुलाकर घुसना चाहिए! मगर नहीं साहब, मेरे हिसाब से तो बिल्कुल डरते हुए ही घुसने की ज़रुरत है, क्योंक... Read more |
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