अमेरिका की सबसे ताकतवर ख़ुफ़िया एजेंसी सी आई ए के प्रमुख डेविड पेट्रियट ने विवाहेतर संबंधों के चलते नैतिक आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है l स्वयं सी आई ए के प्रमुख डेविड पेट्रियट के शब्दों में-"अपने 37 साल... |
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November 11, 2012, 9:48 am |
प्रवेश द्वार से सटे हुए दो विशाल पाषाड खण्डों को देखते ही सहज अनुमान लगाया जा सकता है की अब हम शभ्यता के मद मे चूर आधुनिक चकाचौंध भरी दुनियां को छोडकर उस आदम युग में प्रवेश करने जा रहे हैं जहाँ कभी मनु की अशभ्य एवं अशिक्षित संतान अठखेलियाँ किया करती थी, कदाचित हमारा अ... |
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October 16, 2012, 12:36 pm |
यह एक विडंबना ही है की आजादी के छ: दशक पार चुकी भारतीय जनता आज भी अंग्रेजों के द्वारा जबरन थोपी गई औपनिवेशिक प्रतीकों को अपने जर्जर कन्धों पर ढोने को मजबूर है, हमारी न्याय पालिका आज भी अंग्रेजी ढर्रे पर काम कर रही है, आज भी हमारी प्रशासनिक व्यस्था मैकाले की परिकल्पना... |
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October 3, 2012, 10:40 am |
चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल था, धू-धू कर जलती हुई ईमारत को देख आस -पास से लोगों की भीड़ जमा होने लगी, किसी ने आग में फंसे हुए लोगों को निकालना आरम्भ किया तो कोई बाल्टी भर-भर कर पानी लाता और भड़के हुए आग के शोलों को बुझाने का प्रयास करता अर्थात अपनी-अ... |
चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल था, धू-धू कर जलती हुई ईमारत को देख आस -पास से लोगों की भीड़ जमा होने लगी, किसी ने आग में फंसे हुए लोगों को निकालना आरम्भ किया तो कोई बाल्टी भर-भर कर पानी लाता और भड़के हुए आग के शोलों को बुझाने का प्रयास करता अर्थात अपनी-अ... |
चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल था, धू-धू कर जलती हुई ईमारत को देख आस -पास से लोगों की भीड़ जमा होने लगी, किसी ने आग में फंसे हुए लोगों को निकालना आरम्भ किया तो कोई बाल्टी भर-भर कर पानी लाता और भड़के हुए आग के शोलों को बुझाने का प्रयास करता अर्थात अपनी-अपनी सामर्थानुसा... |
..........गुजरिया की मासूमियत अब लापतागंज पर भारी पढने लगी है, आज हालात यह है की गली-मोहल्ले में अक्सर लोगों को कहते सुना जा सकता है की ऐसी मासूमियत भी किस काम की ? लेकिन गुजरिया जी हम भी चमेली जी से कम थोड़ना ही हैं, हमको भी सब पता है की हमारे प्रधान मंत्री जी निहायत ही ईमा... |
..........गुजरिया की मासूमियत अब लापतागंज पर भारी पढने लगी है, आज हालात यह है की गली-मोहल्ले में अक्सर लोगों को कहते सुना जा सकता है की ऐसी मासूमियत भी किस काम की ? लेकिन गुजरिया जी हम भी चमेली जी से कम थोड़ना ही हैं, हमको भी सब पता है की हमारे प्रधान मंत्री जी नि... |
प्रदुषण एवं शहर के कोलाहल से दूर अत्यंत शांत एवं रमणीक स्थान ! यहाँ से चतुर्दिक प्राक्रतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है, शहर के तमाम धनाड्य व्यापारियों, और अधिकारीयों की पहली पसंद ! यहीं पर स्थित है शहर के जाने-माने अधिवक्ता शर्मा जी का आलिशान बंगला, आज बंगले में काफी चह... |
५६ दिनों तक अस्पताल में जीवन और मृत्यु से जूझती अंतत: थक हार कर मृत्यु की आगोश में समां चुकी दो वर्षीय मासूम पलक की दास्तान अभी हवाओं में गूंज ही रही थी की बेंगलुरु के एक अस्पताल में एक और दो महीने की बच्ची आफरीन अपनी मासूम त्वचा पर सुलगती हुई सिगरेट की जलन ... |
ममता की धमकीमाया की हार,दलितों की बस्ती सेराहुल का प्यार,कहते थे वो हैं बेहद जरुरी,उनके बिना जीत आधी - अधूरी वादों की झड़ियाँ,विवादों के रेले,लगते हैं जब भीचुनावों के मेले,करते हैं वादेनिभाते नहीं हैं,मुडकर ये सूरतदिखाते नही ह... |
सुदूर पश्चिमी क्षितिज में सूर्यास्त देखते ही बनता है, आकाश में उड़ता हुआ पक्षियों का समूह दिन ढलने से पूर्व ही अपने गंतव्य तक पहुंचना चाहता है, अक्सर शांत स्वाभाव के इस महासागर को उग्र होता देख मछुवारों ने भी अपनी-अपनी किशितियों का रुख तट की ओर मोड़ द... |
thanks google जब खेतों में महकने लगे पीली -पीली सरसों और खिलने लगती हैं जौं एवं गेहूं की बालियाँ,जब बागों में अम्बिया के झुरमुट बौराने लगे और चतुर्दिक में नाना प्रकार के पक्षी एवं रंग-बिरंगी तितलियाँ मडराती हुई नजर आने लगे तो सम... |
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January 25, 2012, 5:40 pm |
"उफ्फ ! कितना ह्रदय विदारक दृश्य था वह ? गहन धुंध की चादर में लिपटी हुयी एक सर्द सुबह, अभी मुश्किल से ६ बजे होंगे, गली मुहल्ले के तमाम लोग अभी तक रजाई या गरम मखमली कम्बलों में दुबके पड़े थे. " ऐ माई ! कोई फटा पुराना कपडा ...." माता रानी तेरा भला करेगी ... .... " ऐ दीदी ! तेरे ब... |
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December 25, 2011, 1:14 pm |
गुप्ता जी ! पिछले कई वर्षों से ब्लॉग लेखन करते आ रहे हैं, आम आदमीगुप्ता जी की इस ब्लोगिंग को महज मन की भड़ांस निकलनेका एक माध्यम समझती हैं, जबकि गुप्ता जी का कहना है की "अपने लिए जीयेतो क्या जिये, तू जी ऐ दिल ज़माने केलिए.....ऑरकुट-ट्विटर-अथवाफेसबुक हो या फिर कोई अन्य ... |
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December 16, 2011, 1:05 pm |
गरीबी रेखा को यदि हम विश्व बैंक के मापदंडो के अनुसार तय करें तो हमारे देश की लगभग 80 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे आती है.जिस देश की 80 फीसदी जनता गरीबी रेखा से निचे जीवन-यापन कर रही हो भला उस देश को कैसे विकसशील देशों की श्रेणी में रखा जा सकता है? पिछले दिनों बिहार की ए... |
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November 28, 2011, 2:04 pm |
कलर्स चैनल पर प्रसारित निहायत ही फूहड़ और विवादास्पद रियलिटी शो "बिगबोस' से शक्ति कपूर की कुछ दिन पहले विदाई हुई है, बिग बोस के घर से इतनीअल्प अवधी मे अपनी विदाई को लेकर स्वयं शक्ति कपूर भी अचंभित है, क्योंकिजो माहौल बिग बौस के घर का होता है उसमें शक्ति कपूर जैसे अनुभवी ... |
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November 9, 2011, 12:49 pm |
thanks gooogle 28 सितम्बर 1907 को आज ही के दिन पंजाब के जिला लायलपुर के बंगा गाँव में क्रांति के अग्रदूत अमर शहीद सरदार भगत सिंह का जन्म हुआ था, इस अवसर पर साम्राज्यवाद से सम्बन्धित क्रांति के अग्रदूत अमर श... |
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September 28, 2011, 5:08 pm |
२जी मामले में प्रधानमंत्री जी ने आक्रामक तेवर अपनाते हुए विपक्ष पर आरोप लगाया है की वह समय से पहले चुनाव करवाना चाहता है , साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है की UPA सरकार नहीं गिरेगी और अपना कार्यकाल पूरा करेगी,प्रधान मंत्री जी अब गिरने - गिराने को बचा ही क्या है ? जबकि... |
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September 28, 2011, 12:57 pm |
२जी मामले में प्रधानमंत्री जी ने आक्रामक तेवर अपनाते हुए विपक्ष पर आरोप लगाया है की वह समय से पहले चुनाव करवाना चाहता है , साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है की UPA सरकार नहीं गिरेगी और अपना कार्यकाल पूरा करेगी,प्रधान मंत्री जी अब गिरने - गिराने को बचा ही क्या है ? जबकि... |
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September 28, 2011, 12:57 pm |
मां मेहरबान हुई, भक्तों के भाग जगे, मां के चरणों में आके, जोत जगा के शीश झुका के........... मुश्किल आसान हुई, भक्तों के भाग जगे l माँ मेहरबान हुई, भक्तों...... |
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा ,वो भारत देश है मेरा .......................जी हाँ ! अतीत में भारत को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता था बल्कि मैं तो यही कहूँगा की भारत आज भी सोने की चिड़ियाँ है और भविष्य में भी भारत को सोने की चिड़ियाँ ही कहा जायेगा इसमें किसी को कोई सं... |
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने मे सही, हो कही भी आग लेकिन आग लगनी चाहिए ........ दुष्यंत कुमार , जी हाँ ! इससे क्या फर्क पड़ता है की देश में व्याप्त भरष्टाचार के विरुद्ध ... |
कुछेक पारिवारिक समस्याएं और कुछ वर्षों से लंबित पड़े कार्यों की वजह से गाँव जाना हुआ, ठीक उसी दौरान जब दिल्ली के जन्तर-मंतर में आधुनिक गाँधी अर्थात गाँधी वाद से प्रेरित समाज सेवी अन्ना हजारे भ्रस्टाचार के विरुद्ध जन लोक पाल बिल के समर्थन में आमरण अनशन पर ... |
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