 'साहिल'
दिल की आग को अभी न यूँ बुझाये उम्मीद आखिरी, न यूँ बुझाजीत जाए फिर कहीं न तीरगी चाँद! अपनी चांदनी न यूँ बुझा फिर मज़ा न प्यास का मैं ले सकूँइन लबों की तिश्नगी न यूँ बुझाऐतबार के दीये, ऐ बेवफा!फिर न जल सकें कभी, न यूँ बुझाचश्म-ए-आफताब मुझ से यूँ न फेरराह की ये रौशनी, न यूँ बुझा... Read more |
 'साहिल'
खिज़ा में भी फिज़ा के कुछ इशारे मिल ही जाते हैंअँधेरी रात हो कितनी, सितारे मिल ही जाते हैंजिसे तेरी मुहब्बत के सहारे मिल गए, उसकोबहुत हो तेज़ तूफां, पर किनारे मिल ही जाते हैं*************************************जाने क्यूँ झूठा तराना लिख रहे हो मौसमों को आशिकाना लिख रहे हो इक परिंदे सा क़फ़स में... Read more |
 'साहिल'
रस्म-ए-दुनिया को निभाने से बचे,किस तरह कोई ज़माने से बचे? दोस्तों की सब हकीकत थी पताइसलिए तो आज़माने से बचे सांस को मैं रोक लूँ कुछ देर, पर वक़्त कब ऐसे बचाने से बचेवो भी खुल के कब मिला हमसे कभी हाल-ए-दिल हम भी सुनाने से बचे जब भी 'साहिल' याद आयें हैं गुनाह,आईने के पास जाने ... Read more |
 'साहिल'
बहुत सुहाना सफ़र है आगेके फिर उसी का शहर है आगेमुझे पता है, सियाह रातों मेरे लिए फिर सहर है आगेलगी हुई है जो भीड़ इतनी,किसी दीवाने का घर है आगेसफ़र समंदर का, मत शुरू कर जो डूब जाने का डर है आगेये चलना 'साहिल' भी क्या है चलनाख्याल पीछे, नज़र है आगे... Read more |
 'साहिल'
रंग सुबह का बिखरने लग गया इक हसीं चेहरा उभरने लग गया दूर हूँ जो आप से, तो यूँ लगावक़्त आहिस्ता गुज़रने लग गयासीना-ए-शब पर खिला हैं चाँद फिर जिस्म में खंज़र उतरने लग गयाइश्क में, बस ज़ख्म इक हासिल हुआ ज़ख्म भी ऐसा के भरने लग गयाज़िन्दगी का पैराहन जिस पल मिला,वक़्त का चूहा कुत... Read more |
 'साहिल'
दुनिया से हरदम मिलते हैंखुद से लेकिन कम मिलते हैंआशिक हैं वो, सुबह-सवेरेजिनके तकिये नम मिलते हैंजब भी देखूं तेरा चेहराज़ख्मों को मरहम मिलते हैंवो क्या जाने प्यास हमारी,जिनको जाम-ओ-जम मिलते हैंतेरी यादों से, आँखों को,बारिश के मौसम मिलते हैं'साहिल', हैं सब कहने वालेसु... Read more |
 'साहिल'
क्यूँ बुरा मानूं किसी की बात का?मैं भी जिम्मेवार हूँ हालात काहुक्मरां उसको न माने दिल मेरासर पे जिसके ताज है खैरात का मै अभी सूखे से उबरा ही न था,घर में पानी आ गया बरसात काफूल, भंवरे, रात, जुगनू, चांदनीशुक्रिया! मेरे खुदा सौगात का फिर शफ़क़ ने दूर कर दी तीरगीसुर्ख मुंह है फ... Read more |
 'साहिल'
गीली माटी हूँ, मुझे आकार दोमेरे जीवन को कोई आधार दोघाव दो या अश्रुओं का हार दोजो उचित हो प्रेम में, उपहार दोफिर धरा पर प्रेम बन बरसो कभीइस मरुस्थल को नदी की धार दो मोर को सावन, भंवर को फूल दो सबको अपने हिस्से का संसार दो स्वप्न के पंछी नयन-पिंजरे में हैं,दो इन्हें आकाश का व... Read more |
 'साहिल'
इस ज़मीं से आसमां तकतू दिखे, देखूं जहां तकउसने बेशक ना सुना होबात तो आई जुबां तकमैं तो तन्हा था मुसाफिरलुट गए याँ कारवां तकयूँ चिराग-ए-शब बुझा था,हाथ न आया धुआं तकहद सितम की हो गयी अब,चीख बैठे बेज़ुबां तक... Read more |
 'साहिल'
'राजा-रानी' याद किसे?एक कहानी याद किसे?बरसों बीते गाँव गए बूढी नानी याद किसे?किसने किसका तोडा था दिल बात पुरानी याद किसे?एक नदी सागर में खोई वो दीवानी याद किसे?बरसों बीते सूखे में, अब बादल-पानी याद किसे?नफरत हो बैठा है मज़हब, प्यार के मानी याद किसे?'साहिल' गुज़रा तूफां, ... Read more |
 'साहिल'
तुम मिलो गर, तो मैं संवर जाऊँज़ख्म हूँ इक, ज़रा सा भर जाऊँबन के दरिया भटक रहा कब से,कोई सागर मिले, उतर जाऊँराह में फिर तेरा ही कूचा हैसोचता हूँ, रुकूँ, गुज़र जाऊँ?भूखे बच्चों का सामना होगाहाथ खाली हैं, कैसे घर जाऊँ?दो घड़ी सांस भी न लेने दे,वक़्त ठहरे, तो मैं ठहर जाऊँडूब जाऊं ... Read more |
 'साहिल'
OBO live पर पूर्वप्रकाशित!अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों मेंउजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों मेंये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं लहू भरना ही होगा अब दीयों मेंफ़लक पर जो दिखा था एक सूरजकहीं गुम हो गया परछाइयों मेंतेरी महफ़िल से जी उकता गया है,सुकूँ मिलता है बस तन्हाईयों मेंलिए जाता हूँ क... Read more |
 'साहिल'
हमराही पर पूर्वप्रकाशित कब से ये काँटों में हैं, क्यों ज़ख्म खाए हैं गुलाब?अपने खूँ के लाल रंगों में नहाये हैं गुलाब।फर्क इतना है हमारी और उसकी सोच में,उसने थामी हैं बंदूकें, हम उठाये हैं गुलाब।होश अब कैसे रहे, अब लड़खड़ाएँ क्यों न हम,घोल कर उसने निगाहों में, पिलाये हैं गु... Read more |
 'साहिल'
आईने से मिला था मैं हँस कर आँख रोती हुई दिखाई दी आईना झूठ बोलता ही नहींरात के साहिलों पे हम ने भीख्वाब के कुछ महल बनाये थे मौज-ए-सुबह में बह गया सब कुछओढ़ कर रात सो गया सूरज,ऊंघते हैं ये सब सितारे भी रतजगा चाँद को मिला क्यों है?आढ़ी तिर... Read more |
 'साहिल'
जुस्तज़ू किसकी, चाह किसकी है?मुन्तज़िर ये निगाह किसकी है?जलते सहराओं में महकता है,तुझको ऐ गुल, पनाह किसकी है?ये मुहब्बत गुनाह है, तो फिरज़िन्दगी बेगुनाह किसकी है?जिसको देखूँ है ग़मज़दा वो ही,किसको पूछूँ के आह किसकी है?चाँद-तारे, चराग ना जुगनू,रात इतनी तबाह किसकी है?कुछ ... Read more |
 'साहिल'
दिल दुखाने को लोग फिर आयेआज़माने को लोग फिर आयेएक किस्सा मैं भूल बैठा था,दोहराने को लोग फिर आयेसाथ देंगे ये बस घड़ी भर कालौट जाने को लोग फिर आयेमंदिरों-मस्जिदों की बातों परघर जलाने को लोग फिर आयेहादसों को भुला के, महफ़िल मेंहंसने-गाने को लोग फिर आयेफिर कतारें हैं दर पे का... Read more |
 'साहिल'
तेरी यादों का दिल पे जाल रहाज़ख्म पर रेशमी रुमाल रहाखुद ही दिल से तुझे निकाला था, ये अलग बात के मलाल रहाएक बस तुझ से ही तवक्को थीऐ खुदा! तू भी बेख्याल रहाअच्छा होगा, कहा था वाइज़ नेपहले जैसा मगर ये साल रहातूने लिक्खे तो हैं जवाब कईदिल में लेकिन वही सवाल रहाशुक्र है, हंस के व... Read more |
 'साहिल'
हमारी ज़िन्दगी के अब जो दिन दो चार बाकी हैंन हो दीदार-ऐ-हुस्न-ऐ-यार तो बेकार बाकी हैंन बदली फितरत-ऐ-लैला-ओ-कैस-ओ-शीरी-ओ-फरहादवही आशिक हैं ज़िन्दा, उनके कारोबार बाकी हैंमैं कैसे लुत्फ़ लूं यारो, अभी अब्र-ऐ-बहारां कामेरे दामन से उलझे हैं, खिज़ां के ख़ार बाकी हैंहबीबों के सितम ... Read more |
 'साहिल'
उसकी चौखट रब है अपनाउल्फत ही मज़हब है अपनादुनिया अपनी, दुनिया के हमअपना क्या है? सब है अपना!वो जो मीठा मीठा बोलेउसका कुछ मतलब है अपनाउसकी यादों में खोया हैअपना दिल भी कब है अपना?सांसों की डोरी पर चलनाजीना भी, करतब है अपना... Read more |
 'साहिल'
सब झुकाते हैं जहाँ सर, क्या पता? वो खुदा है या है पत्थर, क्या पता?दोस्त भी दुश्मन भी सब हंसकर मिलेकिसके पहलू में है खंज़र, क्या पता?कब न जाने ख़त्म होगा ये सफ़र?लौट के कब जायेंगे घर, क्या पता?आज मेरी दोस्त है तू ज़िन्दगी कल दिखाए कैसे मंज़र, क्या पता?क़त्ल मुझ को वो नहीं कर पाये... Read more |
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