Blog: मेरी संवेदना |
![]() ![]() वे ,जो लूट रहे हैंबोल कर झूठउन्हें माफ़ है सब|जिन्होंने बड़ा ली हैदाढ़ी , मूछऔर केशगेरुआ वस्त्र पहनकरबन वैठे हैं बाबाउन्हें माफ़ है सब |वे , जोपहन कर टोपीहमें पहना रहे हैं टोपीऔर मंच पर चढ़ करपहनते हैं नोटों की मालाऔर होते गए मालामालजिनके भीतर का गीदड़पहने हुए हैं , आदम... Read more |
![]() ![]() कुछ इस तरह से सिकुड़ गया प्रेम जैसे ,फागुन-चैत में सूखता है ताल का पानी मौसमी प्रेम अमर नही होता मालूम था तुम्हे ,अब करो फिर सावन का इंतज़ारक्या पता , फिर पनप जाये तुम्हारा प्यार .............. Read more |
![]() ![]() तुम्हे गिना था अपनों में रखा था पलकों पर मूँद कर आँखे यकीं करना, खता थी मेरी सीखा दिया, तुमने भावनाओं में डूबना खता थी मेरी, जता दिया तुमने ...... Read more |
![]() ![]() परिवर्तन के नारों के बीच शांत पड़ी है ‘मौनी नदी’सुंदरवन के बीच कुछ बचे बाघों ने माथे पर लिए आदमखोर का कलंकपंकिल कछार पर नदी किनारे छोड़ दिए हैंपंजों के निशान ताकि, गिन सके हम आसानी से उनकी संख्या और मैनग्रोव के जंगल करते हैं ज्वार का इंतेजार जंगल निवासी भी हो गए विलुप... Read more |
![]() ![]() शिखोरबाली (मेरा गांव ) में आज अंतिम दिन है ....बहुत मुश्किल है तुम्हे भूलना तुम्हे छोडना 'मेरे साथ जायेगी तुम्हारी मिट्टी की खुशबू हवा की महक चिडियों की चहक कच्ची सड़कमन उदास हैहवा भी बंद हैतुम्हे भी गम हैमेरी आँखें आज नम है ........... Read more |
![]() ![]() मेरा विरोध यूँ ही जारी रहे ताकि , मैं सक्रिय हूँ अहसास होता रहे |रोज करोतुम मेरी मौत की दुआमैं जीवित हूँअहसास होता रहे |यूँ ही देते रहो अहसानों के तानेताकि , मैं ऋणी हूँ तुम्हारायह अहसास होता रहे |छुप कर करो वारपीठ परएक दुश्मन है मेरा, कायरअहसास होता रहे |... Read more |
![]() ![]() जल दर्पण में देखा चाँद को एक दम शांत लहरों ने किया विचलित रह -रह कर पानी को मालूम था चाँद की बेचैनी ......... Read more |
![]() ![]() तुम्हारे कांधों से जब उतरे मेरी सांसे और भीग जाये तुम्हारा तन मेरे अश्कों सेतब....बंद आँखों से खोजना मुझेतुम बीते हुए हर लम्हे मेंमेरी मौजूदगी का अहसास होने तक ............ Read more |
![]() ![]() दिल्ली में जब होता हैमंथन मूल्य वृद्धि परवे खामोश रहते हैंख़ामोशी, समर्थन हैवे शायद भूल जाते हैंमूल्य वृद्धि के बाद वे हल्ला करते हैंइसे ही राजनीति कहते हैं किया जाता हैबंध का आह्वानवे भूल जाते हैंकि मूल्य वृद्धि से ही जीवनआप ही थम जाता है आम आदमी काबस थमती नहीलाल बत... Read more |
![]() ![]() उस पार हल्दियाइस पार मैंबीच हमारे डायमंड हार्बर नदीतीब्र लहरेंलहरों पर नाचती नौकाएंबेचैन मन की भावनाओं की तरह |वाम शासन के पतन के बादतानाशाह के उदय के साथपरिवर्तन के नाम परबंग सागर मेंडूबते देखा आज सूरज कोउदास मन के साथभूख की आग में जलतीदेह व्यापार में लिप्तकिशोरी ... Read more |
![]() ![]() शुद्धता बची है अभीहरे –भरे दरख्तों के बीचमेरे गांव मिट्टी में , हवा मेंतभी तो हंसते हैं वृक्ष,चिड़िया और तालाब का पानी |षड्यंत्रों की खबर सेदहल उठता है इनका मनशहरी आगंतुक केआने की सूचना पा करमछलियाँ चली जाती हैजल की गहराई मेंकाली परछाई से बचने कोसड़के रोक लेती हैंअपन... Read more |
![]() ![]() गंगा, मैं जा रहा हूँइस साहित्य भूमि से मन में समाकरतुम्हारी स्मृति | फिर देखूंगा तुम्हे बाबू घाट पर ,हुगली में |हैदराबाद में जब कभी उदास होगा मेरा मन बनारस घाटों की स्मृतियों को उभार लूँगा सीने में शिवाला घाट से केदार घाट तक स्मृतियों की नौका विहार पर निकल पडूंगा तुम्ह... Read more |
![]() ![]() गंगा अभीशांत है,किन्तु गर्म हैधूप से |नावे थके हुए मजदूरों की तरहकिनारे पर पड़ी हैं |तापमान गिरने के साथगंगा की छाती परफिर करेंगेये सभी जलक्रीड़ा|विनम्र होने परअपने भी चीर देते हैं सीना ..... ... Read more |
![]() ![]() गंगा अभीशांत है,किन्तु गर्म हैधूप से |नावे थके हुए मजदूरों की तरहकिनारे पर पड़ी हैं |तापमान गिरने के साथगंगा की छाती परफिर करेंगेये सभी जलक्रीड़ा|विनम्र होने परअपने भी चीर देते हैं सीना .........नित्यानंद गायेन, बनारस ११/०५/१२ ,... Read more |
![]() ![]() चाँद पूछता है :‘कैसी यात्रा है | किससे मिले ,किसे भर मन से गले लगाया ?किसकी खोजी जीवन धारा दिल भर आया |’चाँद भरे मन से कोहरे में डूबा....८/०५/१२ ५:१८ सुबह --विष्णुचंद्र शर्मा ... Read more |
![]() ![]() गुवाहाटी के वशिष्ठ आश्रम के कवि अरुणाभ लाल होंठों पर लिए शब्दों के ताप ह्रदय में लिए प्रेम का प्रताप मुस्कुराते हैं मेरे ख्यालों में तुमसे कभी मिला था सहरसा में ,चैनपुर में आज भी मिलता हूँ तुमसे गुजरकर तुम्हारी रचनाओं से सुनो, मित्र अरुणाभ यूँ ही बढते रहना सृजन प... Read more |
![]() ![]() रात की तन्हाई क्या बताऊँ तुम्हे मेरी तन्हाई में साझेदार हैउधर रात जागती है मेरे लिए इधर मैं ,कहीं रात भी बेवफा न समझ ले मुझे उनकी तरह ............. Read more |
![]() ![]() ऐसा नहीं कि मैं,तुमसे मिलना नही चाहता अकेले में , पर क्या करूँ हर तरफ भीड़ है बेशुमारगली का वो कोना आज ही बिका है तालाब के किनारे खड़े हो गए सीमेंट के जंगल अब यहाँ पंछियों का जोड़ा भी नही आता कभी मैं नही डरता लोगों की कानाफुसी से बस सहम उठता हूँ कभी –कभी खाफ पंचायत से सरकार... Read more |
![]() ![]() यदि मिला कभी तुमसे ....सुनाऊंगा अपनी कहानी फुर्सत से....अब तक जो बुना थाओढ़ कर सोने दो मुझे... Read more |
![]() ![]() हम दोनों के बीच की दूरीयूँ ही बनी रहे अपनी सफाई देकर नही करना चाहता खुद पर संदेहन ही करना चाहता हूँ तुम्हे शर्मिंदा ....... Read more |
![]() ![]() एक दीर्घ विश्रामके पश्चात आजकागज –कलमएक साथ हैबहुत कुछ जमा हो गया है ,मन मेंकुछ सुनहरेऔर कुछ गाद की तरहअब तीब्र बेचैनी हैबाहर निकलने कीकविता का रूप लेना चाहती है,स्मृति और भावनाओं का ढेरजो पकते रहे मेरे भीतरविश्राम काल के दौरानअभी पतझड़ का मौसम हैनग्न है सभी पेड़नम... Read more |
![]() ![]() मैंने नहीं पढ़े तुम्हारे खुदवाए शिलालेखपर पढा है तुम्हारे बारे में इतिहास पुस्तकों में यहाँ तुम्हे लिखा गया है ‘महान’तुम्हारे बर्बर कारनामों के बाद भी सत्ता के लिए तुमने किये अपने ही भाइयों की हत्या रक्त से नहलाया बेकसूर कलिंग को फिर भी तुम महान हो इतिहास की किताबो... Read more |
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