
162 View
0 Like
5:19pm 23 Mar 2013 #
 उपेन्द्र नाथ
१. हथियारों के दलाल खा गए सब हथियार सुना है कि फौजी लड़ते है लाठी और गुलेल से।।२. कुछ गरीब और आदिवासी रोजी रोटी के लिए फ़ौज में भर्ती हुए थे सुना है कि उनकी शहादत पर उनके झोपड़े को आलिशान महल बना देने की तयारी है।। ३. ना कोई हंगामा हुआ ना किसी ने पत्थर फेंके ना कर्फ्... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
कहीं एक कहानी पढ़ा था।दो हिंदुस्तानी आपस में बात कर रहे थे . एक हिंदुस्तानी, " यार इस देश में बहुत करप्सन है। दूसरा हिंदुस्तानी , " हा यार करप्ट लोंगों ने इस देश की बाट लगा दी है।"जब एक विदेशी ने उनकी बात सुनी तो उसने भी सुर में सुर मिलाया, " हा यार हिंदुस्तान तो एक बहुत... Read more |

144 View
0 Like
3:02pm 29 Jan 2013 #
 उपेन्द्र नाथ
यादहम तो थे परिंदाहमारी हर उड़ान के साथअपने लोग भी हमेंअपने दिलों सेउड़ाते गयेआलम अब ये है कीहम याद भी करें तो उनको याद नहीं आते है।। जख्महमें आदत थीउनके हर चीज कोसम्हालकर रखने कीउनके दिए हर दर्द को भीहम दिल मेंसम्हालकर रखते गएऔर जख्म खाते रहें।।इल्जाम उनके हर इल... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
आज बेचैन हूँपूरा दिन ढूंढ़ता रहाकिताबों का वो पन्ना जहाँ लिखा हुआकभी पढ़ा थाशहीदों की चिताओं परलगेंगे हर वर्ष मेलेमगर नहीं मिला वो पन्नाकहीं धूल खा रहीं होगीहमारी याददास्त भीउन पन्नों की ही तरहहम भूलते गए उन्हेंउनके परिजन होते रहेदर-बदर अकेलेकहाँ हमें करना था इन... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
सर्दी खांसी और जुखाम आजकल है ये मेरे मेहमान तीन दिनों से पैर टिकाये नहीं ले रहे जाने का नाम ।। तीनों आये है पूरी तयारी संगकोई दिखता नहीं किसी से कम दिन रात है इनका पहरा ऐसा बंद हुई खुशिओं की दुकान।।शैतानी इनकी हरदम रहती जारी नहीं मानते ये किसी की बात जब डाक्टर आकर ... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
कल 24 नवम्बर को गुवाहाटी प्रेस क्लब में हरकीरत हीर जी के काव्य संग्रह " दर्द की महक " और उनके ही संपादन में निकली देहरादून से प्रकाशित होने वाली "सरस्वती सुमन" पत्रिका के क्षणिका विशेषांक का लोकार्पण हुआ। इस अवसर की कुछ झलकियाँ :-बाये से- श्री आनंद सुमन सिं... Read more |

146 View
0 Like
8:20am 25 Nov 2012 #
 उपेन्द्र नाथ
कल 24 नवम्बर को गुवाहाटी प्रेस क्लब में हरकीरत हीर जी के काव्य संग्रह " दर्द की महक " और उनके ही संपादन में निकली देहरादून से प्रकाशित होने वाली "सरस्वती सुमन" पत्रिका के क्षणिका विशेषांक का लोकार्पण हुआ। इस अवसर की कुछ झलकियाँ :-बाये से- श्री आनंद सुमन सिंह , श्... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
1. लोकतंत्र लोकतंत्रनेपूछा इसबारकिसपर लगाओगे मुहरमतदाता मुस्कराताहैमहँगीहोगीजिसकीशराबलोकतंत्रबेचारा फिरहोजाताहैउदास ।।2. असमंजसभगवानबड़ेअसमंजसमेंहैकिकिसकीसुनेसौतोलेकासोनेकाहारभक्तनेआजहीचढ़ाया हैकिधंधाखूबफले- फूलेभक्तकेकसाईखाने मेंकटनेकोतैय... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
गुरुर एक मुद्दत के बादहम मिले थेकल एक मोडपरफिर भीन पूछे गएएक दूसरे केहालचालकुछ हम थे व्यस्तअपने पुराने जख्मसहलाने मेंतो लगा उनमे भीअभी वाकी थावही पुराना वालागुरुर ।सफ़रउनका नज़र मिलानाऔर शरमानाजारी रहापुरे सफ़रफिर न कोई हमेंठहरा देइसबार भीकसूरवारपुरे सफ़रसा... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
लाख कोशिशों के बाद भीनहीं बचा पाए थे डाक्टर स्वास्थ्य मंत्री जी को ,पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट ने सभी को चौकाया था मंत्री जी को दी गयी दवा ने दवा ने नहीं बल्कि जहर का काम किया था ,मृत्यु की वजह निकली नकली दवाइयां ,स्वास्थ्य विभाग सदमे में है मंत्री जी का सचिव उहापोह की ... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
मेरेहाथोंसे कफ़नका कपड़ा वहछीनकरभागापताचला उसकीबूढ़ीमाँकईदिनोंसेकंपकपाती ठण्डमेंबिनचादरके रातभर सोनहींप़ारहीथी ।।एक भोजपुरी कविता : " ना अबकी ऊ गाँव मिलल " ... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
आज समाज का कोई भी वर्ग हो, इंटरनेट एक महत्वपूर्ण जरुरत बन गया है। यह हम सबके लिए आनलाईन लाइब्रेरी और ज्ञान का भंडार है , मनोरंजन के ढेरो श्रोत उपलब्ध करता है तो वहीँ जीवन की तमाम बेहद जरुरी चीजों जैसे बिजनेस , बैंकिंग, आनलाइन रिजरवेशन इत्यादि को और भी आसान बना द... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
एक जमाना था की जब लोग लम्बे लम्बे ख़त लिख कर अपनी भावनाओं का इजहार करते थे और अगले के पास भी इतना समय था की वह इन्हें पढ़ सके . पत्र लिखना भी एक कला माना जाता था और लोग अपनी भावनाओं को उत्कृष्ट शब्दों के माध्यम से दिलों में जगह बनाया करते थे . प्रेमिका अपने प्र... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
"फेसबुक : जरा संभल के " सूचना और क्रांति के क्षेत्र में आई नयी क्रांति ने देशों की सीमाओं को गौण सा कर दिया है । पूरा विश्व अब एक विश्व - ग्राम की शक्ल में बदलता जा रहा है । सुदूर गाँव में बैठा मटरू अब मोहनलाल बन न्यूयार्क की स्वेतलाना के संग चैटिंग की हसीन वादियों ... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
शहीद दिवस - एक शहीद का ख़त प्रिय मित्रों एवं आदरणीय जनों , यह लिंक एक कविता प्रतियोगिता का है जहां मेरी एक रचना प्रकाशित है | कृपया लिंक खोल कर देखें और पढ़ें अगर रचना पसंद आती है तो उसी पेज पर (यहाँ नहीं ) इसे लाईक करें और कमेन्ट देने का कष्ट करे..( अनुरोध- कृपया अगर कविता पढ... Read more |

279 View
0 Like
4:23pm 4 Jun 2012 #
 उपेन्द्र नाथ
खंजर ये खुदा एक गुजारिश है तुमसे अगली बार खंजर उनके हाथों में थमाने से पहले न भूल जाना इस दिल को पत्थर बनाना ताजमहल इतना भी इतराना ठीक नहीं अपनी इस सुन्दरता पर न काटे गए होते हाथ कारीगरों के तो आज हर घर इक ताजमहल रहा होता मुस्कराहट एक गुनाह ये मुस्कराहट चली... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
कालेज का नया सत्र शुरू हो गया था. सीनियर छात्रों द्वारा रैगिंग काफी जोर शोर से ली जा रही थी. एक सीनियर बैच ने तीन छात्रों को पकड़ा और उनकी रैगिंग शुरू कर दी. दो छात्र तो उनके कहे अनुसार चालू हो गये, मगर एक छात्रचुपचाप खड़ा था. तभी एक सीनियर छात्र ने ... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
एक गो छोट सस्मरण अपने बचपन कै शेयर कईल चाहत बानीं यहवां।बचपन के दिन आजमगढ़ के सगड़ी तहसील के एक छोट से गाँव में बीतल। उ बेला में कौनो शादी - बियाहे और कर- परजा में नौटंकी, बिरहा और आल्हा का बड़ा चलन रहे।खाली पता चली जाये की कौने गांवें में आल्हा - बिरहा के प्रोग्राम बटे , ... Read more |

325 View
0 Like
1:34pm 12 Mar 2012 #
 उपेन्द्र नाथ
क्या सिलेंडर भी एक्सपायर होते है ? रसोई गैस (LPG ) के सिलेंडर ( physical life) की भी एक एक्सपाईरी डेट होती है . एक्सपाईरी सिलेंडर प्रयोग में लाना सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही घातक होता है तथा ये कई दुर्धटनाओं को आमंत्रित करता है . इसलिए जब भी आप सिलेंडर वाले से सिलेंडर ले तो... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
राज की एक बात कह गए वो छिपाने को मुझसे"उपेन्द्र" लाख चाहकर भो वो जिसे वह छिपा न सके थे. * * *मत दिखाओ मुझे हसीं ख्वाब कोई अभी" उपेन्द्र" बहुत बाकी है अभी उनके जुल्मों- सितम. * * *उन्हीं की जुल्फ थी उन्हीं का साया भी था"उपेन्द... Read more |
 उपेन्द्र नाथ
बड़ा गड़बड़झाला है.......एक छोटा सा उदहारण लीजिये की अगर किसी टेलीकाम कंपनी के पास एक छोटी सी एरिया में अगर 2 लाख कस्टमर है और अगर वह बिना बताये इन सभी नम्बरों पर कोई सर्विस एक्टिवेट करके Rs-3/- काट ले, तो एक दिन में 6 लाख रुपये इनके हुए. अगर एक लाख ने भी इसे संज्ञान में लेते हुए क... Read more |

188 View
0 Like
3:00pm 4 Feb 2012 #
 उपेन्द्र नाथ
जिन्दगी- सात कमबख्तजिन्दगी होने लगी हैऔर भी मुश्किल से बसरजबसे ख्यालों में वो आजकल आने लगे है अक्सर ।।जिन्दगी- आठ दोस्त क्या मिला हैकिसको यहाँये तो मुकद्दर की बात हैवरना जिन्दगी यहाँ है सिर्फ दो पलों की एक छोटी सी मुलाकात ।।जिन्दगी- नौ बात जिन्दगी कीवो किये थेखुद ... Read more |
[ Prev Page ] [ Next Page ]