Blog: वटवृक्ष |
![]() ![]() ‘गुण्डा’ जयशंकर प्रसाद की कहानी का किरदार किताब से बाहर निकलकर राजनीति में अपनी घनघोर उपस्थिति दर्ज करवा चुका है। अभी सप्ताह भर भी नहीं बीता है कि जब पीएम पद के प्रबल दावेदार ने सामने वालों को ‘गुण्डा’ कहकर सम्मानित कर दिया। इससे एक छिपा हुआ रहस्य सच बनकर सामने ... Read more |
![]() ![]() भारतीय दर्शन के मूल में एक प्रश्न उभरता है कि मैं कौन हूँ? दर्शन की अपनी अवधारणा, अस्तित्व को तलाशने और पहचानने का सूत्र। ‘मैं कौन हूँ’का दर्शन विशुद्ध दर्शन नहीं है, यह भारतीय सामाजिक-सांसारिक-पारिवारिक परम्परा में गुरु-शिष्य परम्परा के आदर्श शिष्य नचिकेता के प्रश्... Read more |
![]() ![]() कविता मिलता हूँ रोज खुद से, तभी मैं जान पाता हूँ,गैरों के गम में खुद को, परेशान पाता हूँ। गद्दार इंसानियत के, जो खुद की खातिर जीते,जमाने के दर्द से मैं, मोम सा पिंघल जाता हूँ। ढलती हुयी जिंदगी को, नया नाम दे दो,बुढ़ापे को तजुर्बे से, नयी पहचान दे दो। कुछ हँस कर जीते तो कुछ रो... Read more |
![]() ![]() करूणा और अन्यभीतर करूणा कुचली जा रहीऔर जो पाया वही दे दिया नामालूम किससे लिया गया किसे दिया, मगर भीतर आवाजाही रही और कभी रिक्तताफिर भी एक वो सदा से साथ रहा.... अब जब करूणा विदा हो रही आस्था के पश्चात् तो देखता हूं वही संदर्भित मूल्य मेर... Read more |
![]() ![]() तेरी हर बात पर हम ऐतबार करते रहेतुम हमें छलते रहे,हम तुमसे प्यार करते रहे ।कोशिशें करते तो मंज़िल ज़रूर मिल जातीं मगर अफ़सोस तुम वायदे हज़ार करते रहे ।नाम उनको भी मेरा याद तलक नहीं आया जिनकी हस्त... Read more |
![]() ![]() अपने समय यानि पाँचवें-छठे दशकों के लोक-व्यापी आन्दोलन की सबसे गतिशील अभिव्यक्ति से सम्बद्ध प्रगतिवादी-जनवादी कवि महेंद्रभटनागर 87 वर्ष के हो चुके हैं। इस उम्र में भी वे साहित्य सृजन के साथ-साथ एक ब्लॉगर के रूप में अपनी सक्रियता बनाए हुये हैं, यह हम सभी के लिए गर्व की बा... Read more |
![]() ![]() समाज की दुर्दशा और आवाम खामोश ..बड़ी हैरत की बात है ..लेकिन ये सब मुमकिन है ,यहाँ सब कुछ हो सकता है .ये हिंदुस्तान है मेरे भाई. सब्जीवाला अगर एक आलू कम तौल दे तो सब्जी काटने वाले चाक़ू से ही उसका क़त्ल हो जाता है और उसके परिवार वालों को चोर खानदान कह दिया जाता है. गली से घर वालों ... Read more |
![]() ![]() मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। वकौल प्रेमचंद समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना... Read more |
![]() ![]() कोई कहता है कि ’साहित्य समाज का दर्पण होना चाहिए’ तो किसी ने इस दर्पण में अपनी ही तस्वीर देखनी चाही। कुँवर नारायण कहते हैं कि "समाज की अनेक मूल्यवान चेष्टाएं होती हैं, जिन्हें यत्न से बचाना पड़ता है। उन पर बाजार का तर्क लागू नहीं होता। यह एक विकसित दुनिया और शिक्षित समा... Read more |
![]() ![]() नमस्कार मित्रों! परिकल्पना ब्लॉग उत्सव मे आज मैं बच्चों के लिए लेकर आया हूँ एक खास उत्सव। तो आइये मैं आपको ले चलता हूँ बच्चों के एक आलवेले उत्सव में। जी हाँ एक ऐसा उत्सव में जहां केवल बच्चे ही बच्चे हैं। बच्चों की अपनी कार्यशाला है, बच्चों की अपनी रचनात्मकता है और बच्च... Read more |
![]() ![]() आज हम एक ऐसा सामाजिक नाटक प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जो स्त्री-पुरुष की भावनाओं का सजीव चित्रण है और समाज के कोढ़ को उजागर करता है। इस नाटक का नाम है "हजारों ख्वाहिशें ऐसी"। इस नाटक का मंचन पहली बार 6 अगस्त 2011 को नई दिल्ली स्थित श्री राम सेंटर मेन किया गया था। तीन भागों में प्र... Read more |
![]() ![]() शरद जोशी अपने समय के अनूठे व्यंग्य रचनाकार थे। अपने वक्त की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विसंगतियों को उन्होंने अत्यंत पैनी निगाह से देखा। अपनी पैनी कलम से बड़ी साफगोई के साथ उन्हें सटीक शब्दों में व्यक्त किया। शरद जोशी पहले व्यंग्य नहीं लिखते थे, लेकिन बाद में उ... Read more |
![]() ![]() कालजयी कथाकार एवं मनीषी डा. नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। कोहली जी ने साहित्य के सभी प्रमुख विधाओं (यथा उपन्यास, व्यंग, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (यथा संस्मरण, निबंध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखन... Read more |
![]() ![]() इतिहास पुरुष,महानायक, हिंदवी साम्राज्य के प्रणेता, कुशल प्रशासक और गोरिल्ला युद्ध के जनक जैसे अनेक उपमाओं से विभूषित शिवाजी की समग्र जीवनी पर आधारित मराठी नाटक "जाणता राजा"का पहला प्रदर्शन पुणे में 1985 में हुआ था। इसके लेखक व निर्देशक बाबा साहेब पुरंदरे हैं। हिंदी,म... Read more |
![]() ![]() खड़ी बोली हिंदी के सौ साल से ज़्यादा के इतिहास में कई महत्वपूर्ण नाटक लिखे गए और उनका सफलतापूर्वक मंचन किया गया। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा जैसे कालजयी नाटक लिखे वहीं आगे के वर्षों में जयशंकर प्रसाद का ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक रंगकर्मियों के बीच च... Read more |
![]() ![]() आज कोई साथ नही है गुमसुम सी बैठी हूँ अकेले ..न कोई सुनने वाला है न कोई सुनाने वाला ..साथ है भी तो बस मैं और मेरी बचपन कि वो यादें ..तभी कुछ याद आया एकाएक ..बचपन में अक्सर बादलों के टुकडें जब गुजरा करते थेमैं पूछती माँ से - माँ ! ये क्या है ..?माँ कहती - कहाँ..?कुछ भी तो नही ..फिर मैं अपन... Read more |
![]() ![]() भूख मंगला भिखारी दर्द से करहा रहे कालू कुत्ते के पाँव को सहलाता हुआ बोलो ''बेचारे भूखे को रोटी की बजाय लट्ठ खिला दिया , जानवरों की तो कोई कद्र हीनहीं करता !''''जब से आटे के भाव बदे है , लो... Read more |
![]() ![]() कविता आज सुबह सैर पर निकले, तोहवा के कुछ और ही बयां थे,नए बने सेक्टर के नीचेमुर्दा खेत चिल्ला रहे थे,नई-नई सड़कों पर टहलते लोग,मानो कच्चे गमों, पगडंडियों का मज़ाक उड़ा रहे थे,भयभीत खड़े जामुन के पेड़ की व्यथाउसके लाचार अंग बता रहे थे,बहते रजवाहे को बंद कर,ये लोग किस मकान की नी... Read more |
![]() ![]() ‘हंस’ के जून, 2013 के अंक में श्री राजेंद्र यादव ने वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत के सम्बंध में एक आपत्तिजनक पत्र छापा था। एक महीने पूर्व ही उन्होंने मई, 2013 के अंक में अपने संपादकीय में भी ऐसी ही एक अनुचित टिप्पणी की थी। इस सम्बंध में उन्होने एक विस्तृत प्रतिक्रिया 17 जून, 2013 क... Read more |
![]() ![]() आयी है रंगो की बहारगोरी होली खेलन चलीललिता भी खेले विशाखा भी खेलेसंग में खेले नंदलाल...गोरी होली खेलन चली ।लाल गुलाल वे मल मल लगावेंहोवत होवें लाल लाल...गोरी होली खेलन चलीरूठी राधिका को श्याम मनावेंप्रेम में हुए हैं निहाल...गोरी होली खेलन चलीसब रंगों में प्रेम रंग सांचा... Read more |
![]() ![]() Sunday, August 28, 2011अशोक आंद्रेसाकार करने के लिए कविताएँ रास्ता ढूंढती हैं पगडंडियों पर चलते हुए तब पीछा करती हैं दो आँखें उसकी देह पर कुछ निशान टटोलने के लिए. एक गंध की पहचान बनाते हुए जाना कि गांधारी बनना कितना असंभव होता है यह तभी संभव हो पाता है जब सौ पुत्रों की बलि देने के ... Read more |
![]() ![]() शनिवार, 8 मार्च 2008उच्च शिक्षाउच्च शिक्षा के अवरोधीरूपसिंह चन्देलमार्च,८ को महिला दिवस के रूप में मनाया गया. अमेरिका की विदेश मंत्री कोण्डालिसा राइस ने कहा कि भारत के विकास में वहां की महिलाओं का विशेष योगदान है. योगदान तो निश्चित है, लेकिन योगदान करने वाली महिलाओं का प... Read more |
![]() ![]() शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009ग़ज़लhttp://ismatzaidi.blogspot.in/2009_10_09_archive.htmlटीवी पर दिखाई गई बाढ़ की तस्वीरों ने लिखवाई ये ग़ज़लअब के कुछ ऐसे यहाँ टूट के बरसा पानीले गया साथ में बस्ती भी ये बहता पानीमेरी आंखों के हर इक ख्वाब ने दम तोड़ दियाउन की ताबीर को दो लम्हा न ठहरा पानीचंद बूँदें भी नहीं प्यास ... Read more |
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