Blog: अंतर्मंथन |
![]() सर्दियों में वेट बढ़कर पेट अक्सर निकल जाता है,क्या करें, दावत का रोज ही अवसर मिल जाता है।कम्बल रज़ाई में बैठे बैठे खाते रहते हैं सारा दिन,हाथ पैर अकड़े होते हैं, परंतु ये मुंह चल जाता है।ग़ज़्ज़क, पट्टी, गाजर का हलवा देख मन ललचाये,खाते पीते नये साल का जश्न भी हिलमिल जाता ... Read more |
![]() 1.क्वारेन्टीन और डिस्टेंसिंग जैसे शब्द अब यक्ष हो गए हैं ,आइसोलेशन में पति पत्नी के जुदा शयन कक्ष हो गए हैं । कोरोना ने लोगों की जिंदगी में कर दिया ऐसा करेक्शन , कि युवा ही नहीं बूढ़े भी अब गृह कार्यों में दक्ष हो गए हैं ।2.लॉक डाउन के दिन रात तो नाकाम बीते हैं,पर कोरोना ने ... Read more |
![]() कोरोना काल के 9 महीने:18 मार्च 2020 को अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद की गईं थीं। आज 9 महीने पूरे हो गये। इस कष्टकाल मे भी कुछ बातें सुखद बनकर सामने आईं हैं, जैसे :* अब लोगों को मास्क पहनने की आदत सी पड़ गई है। इसलिए कोरोना खत्म होने के बाद भी लोग जापानियों की तरह बिना शरमाये मास्क पह... Read more |
![]() 1.हरसालहोलीपरमिलतेथेहरएकसेगले,इससालगलेमिलनेवालेवोगलेहीनहींमिले। कोरोनाकाऐसाडरसमायादिलोंमें,किदिलोंमेंहीदबेरहगएसबशिकवेगिले।2.कोरोनाकाकहरजबशहरमेंछाया ,हमेंतोवर्कफ्रॉमहोमकाआईडियाबड़ापसंदआया।किन्तुपत्नीकोदेरनलगीयेबातसमझते ,किघरतोक्याहमतोऑफि... Read more |
![]() कोरोना संक्रमण एक ऐसी बीमारी है जो जब तक नही होती , तब तक सब नॉर्मल लगता है। आखिर, वायरस न नज़र आता है, न ही इसमे कोई गंध है। बस जब बुखार आता है , तब टैस्ट कराते हैं और पॉजिटिव आने पर हाथ पैर फूलने लगते हैं । घर मे किसी एक को हो जाये तो बाकी लोगों का बिना संक्रमित हुए बचना बहुत मु... Read more |
![]() कहतेहैं, खरबूजेकोदेखकरखरबूजारंगबदलताहै।लेकिनपत्नीपरभैया, भला किसकावशचलताहै। हमनेपत्नीसेकहा , आपमेंबसएककमीहै।आपकोहमारीलम्बीउम्रकी, फ़िक्रहीनहींहै। पत्नीबोली, देखोमेरागलाख़राबहै,ज्यादाजोरसेबोलनहींसकती।लेकिननापहलेकभी कीहै ,अभीभीकभीनक़ल करनहींसकती... Read more |
![]() एक दिन एक महिला बोली, आप पत्नी विषय पर कविता क्यों नहीं सुनाते हैं ! हमने कहा हम पत्नी पर कविता लिखते तो हैं, पर सुनाने से घबराते हैं। एक बार पत्नी पर लिखी कविता पत्नी को सुनाई , गलती ये हुई कि अपनी को सुनाई। उस दिन ऐसी मुसीबत आई कि हमें घर छोड़कर जाना पड़ा , ... Read more |
![]() बेटी होती है, मन मोहिनी, मां के मन की, अंतरंग संगिनी। पिता के दिल का, एक नाज़ुक कोना। छोटी हो तो, भैया की दुलारी। पथ प्रदर्शक बनती, ग़र बड़ी हो बहना। शैशव काल में, उसकी किलकारियां। छुटपन में ,उसके नन्हे क़दमों की छम छम। किशोरावस्था में,खिलखि... Read more |
![]() कभी हो जाये जब यूँ ही बोझिल मन, तब देखिये इन तस्वीरों को, एक सुखद अहसास होगा। ... Read more |
![]() आँखों देखी :लगभग ५-६ महीने बाद एयरपोर्ट जाना हुआ। जिस रास्तों से आना जाना हुआ , उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था , मानो वर्षों बाद वहां से गुजरे हों। सब कुछ जैसे नया नया सा लग रहा था। दूसरी ओर ऐसा भी लग रहा था जैसे कुछ नहीं बदला, सब वैसा का वैसा ही है। ऐसा अहसास हो रहा था कि ये दुनिय... Read more |
![]() कोरोना का डर - थर्ड ईयर सिंड्रोम :जब हम मेडिकल कॉलेज के थर्ड ईयर में थे , तब पहली बार वार्ड जाकर रोगियों से संपर्क हुआ। तृतीय वर्ष में ही क्लिनिकल विषय पहली बार पढ़ाये जाते हैं। जब पहली बार रोगों के बारे में जाना , तब जब भी किसी रोग के बारे में पढ़ते या ऐसे रोगी को देखते , तब ऐ... Read more |
![]() कोरोना काल अनुभव भाग २ :हमने देखा है कि इंसान डर से ही डरता है। डर चोर डाकुओं का हो, या चोट लगने का , सज़ा का हो, बीमारी का हो या मृत्यु का। कोरोना एपिमेडिक ही ऐसा संक्रमण है जिसमे डर जितना मृत्यु का है, उतना ही बीमारी का भी रहा। इसका कारण यह था कि यह एक नया रोग होने के कारण लो... Read more |
![]() कोरोना एपिडेमिक के कारण . ठहरी हुई जिंदगी को १२५ दिन पूरे हो चुके हैं। इन १२५ दिनों में जिंदगी की गाड़ी ऐसे हिचकौले खाते हुए चली है जैसे गाड़ी का एक पहिया टूटने पर गाड़ी चलती है। कभी आशा, कभी निराशा, कभी डर, कभी राहत के अहसासों के बीच झूलते हुआ अब जाकर बेचैनी कुछ कम हुई है जब ... Read more |
![]() कोरोना एपिडेमिक के कारण . ठहरी हुई ज़िंदगी को १२५ दिन पूरे हो चुके हैं। इन १२५ दिनों में जिंदगी की गाड़ी ऐसे हिचकौले खाते हुए चली है जैसे गाड़ी का एक पहिया टूटने पर गाड़ी चलती है। कभी आशा, कभी निराशा, कभी डर, कभी राहत के अहसासों के बीच झूलते हुआ अब जाकर बेचैनी कुछ कम हुई है जब ... Read more |
![]() जिंदगी के सागर में,उम्र की पनडुब्बी पर खड़े ,हम देख रहे हैं, दूर क्षितिज में ,भीषण तूफ़ान के काले बादलों तले ,समुद्र में उठती ऊँची लहरों में ,गोता लगाते, डूबते उभरते एक जहाज को।खारे पानी की हर उफनती लहर के साथ,जहाज में सवार कुछ नाविक,समा जाते और खो जाते समुद्र की गहराइयों में... Read more |
![]() 1.देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान,कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।सब देशों में भेज कोरोना , विलेन बना वुहान। कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।आया समय बड़ा बेढंगा , मुंह छुपाकर रहता हर बंदा ,बंद हुए स्कूल और कॉलेज , बंद हुआ सब काम और धंधा।कोरोना के ... Read more |
![]() एक मित्र हमारे ,बन्दे सबसे न्यारे।मूंछें रखते भारी ,सदा सजी संवारी ।कोई छेड़ दे मूंछों की बात ,फरमाते लगा कर मूछों पर तांव।भई मूंछें होती है मर्द की आन ,और मूंछ्धारी , देश की शान ।जिसकी जितनी मूंछें भारी ,समझो उतना बड़ा ब्रह्मचारी ।फिर एक सुहाने सन्डे ,जोश में आकर , म... Read more |
![]() पिछले कुछ दिनों से फेसबुक पर टमाटर महिमा का गुणगान बहुत जोरों पर है। फेसबुकिये मित्र भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन खुल कर कर रहे हैं। इन्ही विचारों से उपजी है यह हास्य व्यंग रचना। टमाटर मिलें या न मिलें , आप पढ़कर ही स्वाद लीजिये : प्याज़ ने कहा आलू से --कभी हम त... Read more |
![]() घर में ऐ सी, दफ्तर ऐ सी,गाड़ी भी ऐ सी।इस ऐसी ने कर दी,सेहत की ऐसी की तैसी। नेता भ्रष्ट, अफसर भ्रष्ट ,इससे बाबू भी ग्रस्त।इस भ्रष्टाचार ने कर दी,संसार की ऐसी की तैसी। चाय का पैसा, पानी का पैसा ,चाय पानी का पैसा।इस पैसे ने कर दी ,इमान की ऐसी की तैसी। दवा का खर्च , दारू का खर्... Read more |
![]() डॉ बी सी रॉयकी याद में मनाये जाने वाले डॉक्टर्स डे पर सुबह सुबह फेसबुक पर डॉक्टर्स के बारे में मित्रों के विचार पढ़कर बड़ा मूड ख़राब हुआ। इन्हें पढ़कर हम जैसे दिल से कभी न लगाने वाले के भी दिल को सचमुच धक्का सा लगा कि मित्रगण भी डॉक्टर्स के बारे में ऐसा विच... Read more |
![]() उत्तराखंड से सभी तीर्थयात्री प्राकृतिक त्रासदी से बचकर अभी लौटे भी नहीं कि अमरनाथ की यात्रा आरम्भ हो गई। ज़ाहिर है कि धार्मिक विश्वास की जड़ें हमारी जनता में बहुत गहराई तक फैली हैं। लेकिन केवल श्रद्धा भावना के बल बूते पर हज़ारों फीट ऊंचे दुर्गम पर्वतीय स्थलों पर यू... Read more |
![]() अभी ब्लॉग पर अरविन्द मिश्र जीका लेख पढ़कर फिर वही मुद्दा मन में मचलने लगा कि क्यों ब्लॉगर्स ब्लॉगिंग छोड़कर फेसबुक आदि की ओर जा रहे हैं। लेकिन यह चर्चा यहीं जारी रहे। हमें तो कुछ दिन से फेसबुक पर सक्रियता से जो देखने को मिला , वह प्रस्तुत है इस हास्य व्यंग रचना के माध्... Read more |
![]() हमारे देश में लोगों की धार्मिक आस्था उनके जीवन में बड़ा महत्त्व रखती है। इसी विश्वास के सहारे सभी उम्र के लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए दुर्गम स्थानों पर बने मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं। हिन्दुओं में विशेषकर चार धाम यात्रा का विशे... Read more |
![]() कई दिनों से लग रहा था कि कई महीनों से श्रीमती जी मायके क्यों नहीं जा रही। आखिर साल में दो चार दिन तो पतिदेव के भी होने ही चाहिए आज़ादी के। लेकिन अब समझ में आ रहा है कि महिलाओं की मायके जाने की टाइमिंग बड़ी ज़बर्ज़स्त होती है। उनका मायके जाने का अपना ही हिसाब होता है जो ह... Read more |
![]() यूँ तो हर पर्वतीय पर्यटन स्थल की तरह धर्मशाला में भी कई ट्रेक्स हैं जहाँ आप ट्रेकिंग का शौक पूरा कर सकते हैं। लेकिन एक ट्रेक जो आम सैलानियों में बहुत लोकप्रिय है , वह है ट्रीउंड का ट्रेक। धर्मशाला से १० किलोमीटर दूर है मैकलॉयड गंजजहाँ से डेढ़ किलोमीटर पर धरमकोटऔर ३ क... Read more |
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