Blog: शस्वरं |
![]() ![]() गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो लगभग दो वर्ष के लंबे अंतराल के पश्चात् परम श्रद्धेय स्वामीजी संवित् सोमगिरि जी महाराज के दर्शन करने (अभी 1 जुलाई) को गया तो मन भावुक हो उठा था... ★★★इन दो वर्षों में मेरी माताजी के अलावा संगीतज्ञ डॉ. रामेश्वर आनं... Read more |
![]() ![]() आज लगभग दो वर्ष बाद नई पोस्ट उपस्थित हूं एक ग़ज़ल के साथसुना था... आप हर इक रोग का उपचार कर देंगेख़बर क्या थी, भले-चंगों को भी बीमार कर देंगेग़लत लोगों पे कर'के वार बंटाधार कर देंगेग़रीबों के लिए बिन ईद ही त्यौंहार कर देंगेकिया कुछ भी ; मचा गद्दारों में हड़कंप-हंगामाबढ़ी धड़कन... न ... Read more |
![]() ![]() ॐश्री गुरुवे नमः ॐ ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥(श्रीगुरुगीता श्लोक ५२:स्कंद पुराण)जो ब्रह्मानंदस्वरूप हैं, परम सुख दे... Read more |
![]() ![]() एक ग़ज़ल के साथ उपस्थित हुआ हूं...प्रिय मित्रों फ़िर से बहुत अंतराल पश्चात् !मेरे हिस्से में बेशक इक ग़लत इल्ज़ाम आया हैमगर ख़ुश हूं, कि उनके लब पे मेरा नाम आया हैमिले पत्थर मुझे उनसे... दिये थे गुल जिन्हें मैंनेचलो , कुछ तो वफ़ाओं के लिए इन्'आम आया हैबुलाता मैं रहा दिन भर जिसे ... Read more |
![]() ![]() धड़कनें सुरमयी-सुरमयी हैं प्रिये !सामने कल्पनाएं खड़ी हैं प्रिये !मुस्कुराती मदिर मन में मेंहदी मधुररंग में रश्मियां रम रही हैं प्रिये !कामनाएं गुलाबी-गुलाबी हुईंवीथियां स्वप्न की सुनहरी हैं प्रिये !नेह का रंग गहरा निखर आएगामन जुड़े , आत्माएं जुड़ी हैं प्रिये !... Read more |
![]() ![]() पिछली प्रविष्टि जो शस्वरंकी १००वीं प्रविष्टिभी थी , नव वर्ष के अवसर पर लगाई थीकुछ ऐसे हालात रहे कि ब्लॉग पर लंबी अनुपस्थितियां रहीं ।अब विक्रम नव संवत्सर २०७१का भी शुभागमन है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार ३१ मार्च २०१४ को आप सभी को नव संवत् की हार्दिक शुभकामना... Read more |
![]() ![]() नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ! नव वर्ष का प्रत्येक दिवस प्रत्येक क्षण आपके जीवन में सुख, समृद्धि एवं हर्ष-उल्लास ले’कर आए !... Read more |
![]() ![]() आज पंछी से बात करली जाए (चित्र : साभार गूगल)सावन सूखा जा रहा, प्रीतम हैं परदेश !जा पंछी ! दे आ उन्हें,तू मेरा संदेश !!यौवन में कैसा लगा हाय ! विरह का बाण ?पंछी ! जा, पी को बता, निकल रहे हैं प्राण !! मुस्काना है पड़ रहा, ...यद्यपि हृदय उदास !पंछी ! कह मेरी व्यथा जा'कर पी के पास !!कह आ प्री... Read more |
![]() ![]() नमस्कार !बहुत समय बाद आपके लिए एक ग़ज़ल ले’कर उपस्थित हुआ हूं अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से धन्य कीजिएगाआज घिनौना रास बहुत हैचहुंदिश भोग-विलास बहुत हैभ्रष्ट-दुष्ट नीचे से ऊपरपरिवर्तन की आस बहुत हैआज झुका है शीश , हमारागर्व भरा इतिहास बहुत हैमारन को शहतीर न मारेऔ... Read more |
![]() ![]() चंद अपनी निशानियां दे'जाये ज़मीं और आसमां दे'जाग़म के मारों का दिल बहल जाए चंद किस्से-कहानियां दे'जाकट गया पेड़, घोंसला उजड़ाउन परिंदों को आशियां दे'जा महफ़िलों में बड़ी उदासी हैचंद ग़ज़लें रवां-दवां दे'जा यार ने घोंप तो दिया ख़ंज़र उसके हक़ में मगर बयां दे'जाहो क़लम था... Read more |
![]() ![]() हिंदी दिवस के उपलक्ष में दो कवित्त हिंदीहैहमारीशान, हिंदीहैहमारीजान, हिंदीसेहमारामान, हिंदीकोप्रणामहै !गौरवकीभाषाहिंदी, भारतकीआशाहिंदी, स्नेहकीप्रत्याशाहिंदी, हिंदीकोप्रणामहै !हैदेवोंकीवाणीहिंदी, जनकीकल्याणीहिंदी,मधुर-सुहानी हिंदी, हिंदीकोप्रणामहै !... Read more |
![]() ![]() नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमेचमन के सरपरस्तों से न गर नादानियां होतींन हरसू ख़ार की नस्लें गुलिस्तां में अयां होतींमुख़ालिफ़ हैं ये सच-इंसाफ़ के ;उलझे सियासत मेंख़ुदारा , पासबानों में न ऐसी ख़ामियां होतीं असम छत्तीसगढ़ जम्मू न मीज़ोरम सुलगते फिरन ही कश्मीर में ख़ूंकर... Read more |
![]() ![]() ॐश्री गुरुवे नमःहै जीवन बेसुरा ; संगीत सुर औ' साज़ मिल जाए !मुझे हर तख़्त मिल जाए , मुझे हर ताज मिल जाए !मिले दौलत ज़माने की , ख़ज़ाना दो जहां भर का अगर कुछ धूल गुरु-चरणों की मुझको आज मिल जाए !-राजेन्द्र स्वर्णकार©copyright by : Rajendra Swarnkarगुरुपूर्णिमा के शुभ पर्व पर हार्दिक मंगलकामनाए... Read more |
![]() ![]() नवसंवत्सर मंगलमय हो प्रस्तुत है बहुत वर्ष पहले लिखा हुआ मेरा एक गीतनव सृजन के गीत गा !सुन मनुज ! उत्थान उन्नति उन्नयन के गीत गा !जब प्रलय तांडव करे… तब , नव सृजन के गीत गा !!हो पतन जब मनुजता का ; मौन मत रहना कभी !दनुजता के पांव की ठोकर न तुम सहना कभी !मत रुदन करना… पतित - कुकृत्य... Read more |
![]() ![]() मित्रों ! कल्पना कीजिए ...नींदआई हुई हो , लेकिन जागरहे हों ।...ख़्वाब हो ...स्वप्नहो, लेकिन साकारलगे, हक़ीक़तलगे । ...कोई स्मृति मेंहो ...मन मेंहो, लेकिन साक्षात आंखों से दिखाई दे रहा हो । ...परायाहो’कर भी कोई अपनाही लगे । ...आपस में कोईरिश्ता न हो, लेकिन एक-दूजे पर पूर्ण अधिकार हो। ... Read more |
![]() ![]() आज प्रस्तुत हैबासंती दोहा-ग़ज़लकुसुमाकर ! मदनोत्सव ! मधुबहार ! ऋतुराज !हे बसंत ! ॠतुपति ! हृदय मन मस्तिष्क विराज !!ॠतु अधिनायक ! काल के चक्रवर्ती सम्राट !महादेव मन्मथ मनुज लोक तिहुं तव राज !!मस्ती हर्ष प्रफुल्लता , धरा गगन पाताल !रंग भरो रुच’ ; नित करो महारास रतिराज !!दुविधा म... Read more |
![]() ![]() World Daughter's Day12th January2013आज का दिवस है बेटियों के नाम !प्रस्तुत है एक रचना बेटियों के लिएशीतल हवाएं बेटियांसावन घटाएं बेटियांहंसती हुई फुलवारियांकोमल लताएं बेटियांहैं प्राण जीवन सांस धड़कनआत्माएं बेटियां परमात्मा की प्रार्थनाएंअर्चनाएं बेटियां कविताएं सिरजनहार की ... Read more |
![]() ![]() स्वागतम्नव वर्ष२०१३लहूरहेनसर्दअबउबालकोतलाशलोदबीजोराखमेंहृदयकीज्वालकोतलाशलोभविष्यतोपतानहीं , गुज़रगयावोछोड़दोइसीघड़ीकोवर्तमानकालकोतलाशलोसृजनकरें , विनाशभूल’ नवविकासहमकरेंतोगेंती-फावड़ेवहल-कुदालकोतलाशलोधराकोस्वर्गमेंबदलनासाथियों ! कठिननहींदबे-ढ... Read more |
![]() ![]() पेश है एक मुसलसल ग़ज़ल चाहें तो ग़ज़लनुमा नज़्म कहलें यहां दिल्ली महज़ दिल्ली नहीं । कभी यह हिंदुस्तान की राजधानी है ,कभी एक महानगर । कभी सत्ता तो कभी सत्ताधारी राजनीतिक दल ।कभी हिंदुस्तान की बेबस अवाम ।1947 के बाद का खंडित विभाजित भारत भी । मुगलकालीन हिंदुस्तान भी । मह... Read more |
![]() ![]() वर्ष 2012 के 12वें महीने की 12वीं तारीख को 12 बज कर 12 मिनट 12 सैकंड पर बार-बार लिख-मिटा कर लगाई गई इस प्रविष्टि से …अपने पौ 12 पच्चीस होने की तो ख़ुशफ़हमी नहीं… लेकिन कइयों की शक्ल पर 12 बजने लगे तो अपनी कोई गारंटी भी नहीं । Jबस... आनंद के लिए J12-12-12 के अद्भुत् संयोग के अवसर पर प्रस्तुत ह... Read more |
![]() ![]() ग़ज़लखड़ा मक़्तल में मेरी राह तकता था मेरा क़ातिलसुकूं था मेरी सूरत पर , धड़कता था उसी का दिल बचाना तितलियों कलियों परिंदों को मुसीबत से सभी मा'सूम होते हैं हिफ़ाज़त-र ह् म के क़ाबिलपता है ; क्यों बुझाना चाहता तूफ़ां चराग़ों को हुई लेकिन हवा क्यों साज़िशों में बेसबब शा... Read more |
![]() ![]() ग़ज़लखड़ा मक़्तल में मेरी राह तकता था मेरा क़ातिलसुकूं था मेरी सूरत पर , धड़कता था उसी का दिल बचाना तितलियों कलियों परिंदों को मुसीबत से सभी मा'सूम होते हैं हिफ़ाज़त-र ह् म के क़ाबिलपता है ; क्यों बुझाना चाहता तूफ़ां चराग़ों को हुई लेकिन हवा क्यों साज़िशों में बेसबब शा... Read more |
![]() ![]() ॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःआई है दीपावली , कर' अनुपम शृंगार !छत-दीवारें खिल गईं , सज गए आंगन-द्वार !!सजे शहर भी, गांव भी , घर - गलियां- बाज़ार !शुभ दीवाल... Read more |
![]() ![]() आज एक ग़ज़ल प्रस्तुत हैहाथ मारें , और… हवा के नश्तरों को नोचलेंजो नज़र में चुभ रहे ,उन मंज़रों को नोचलें शौक से जाएं कहीं , पर… दर-दरीचे तोल कर झूलते हाथों के पागल-पत्थरों को नोचलें मुद्दतों से दूरियां गढ़ने में जो मशगूल हैंखोखले ऐसे रिवाजों-अधमरों को नोचलें छोड़ कर इंसानियत ... Read more |
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