 xitija
...कल उंगली से रेत पर तुम्हारी तस्वीर बनाई मैंने........एक लहर आई अपने साथ ले गई......फिर क्या था हर तरफ, हर जगह बस तुम ही तुम........समंदर में तुम उमस में तुम बादलों में तुम बारिश की बूंदों में तुम हर फूटती कोंपल में तुम ताज़ी हवाओं में तुम साँसों में तुम.............आ... Read more |

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3:31am 24 Apr 2012 #
 xitija
बारिश की बूंदों में ये जिस्म घुलता जा रहा हैकहीं एक गहरा जख्म और सुलगता जा रहा है...कुछ बूँदें गुम हो गयीं, कुछ ज़मीं में जज़्ब हो गयीं मगर एक काफिला सिर्फ मुझे ढूँढता आ रहा है...रिश्तों की गहरी धुंध मेरा रास्ता रोके खड़ी हैकोई अजनबी उसे चीरता हुआ करीब आ रहा है...एक घना बदल थ... Read more |

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3:50am 2 Apr 2012 #
 xitija
आप सब को मेरा प्रणाम... आप सबके बीच एक बार फिर हाज़िर हूँ... इतने लम्बे वक़्त तक गैर हाज़िर रहने के लिए माफ़ी चाहती हूँ... और अपनी वापसी की शुरुआत मैं अपनी एक पुरानी रचना के साथ करुँगी ... आशा करती हूँ की आपको पसंद आएगी ... धन्यवाद... काश! ये ज़ख्म भी कभी सिल पाता....उधड़ा हुआ वो रिश्... Read more |

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5:45pm 22 Mar 2012 #
 xitija
आप सब को मेरा प्रणाम... कुछ वक़्त से ब्लॉग्गिंग नहीं कर प् रही हूँ .. उसके लिए आप सब से माफ़ी चाहूंगी ... पहले typhiod हो गया था... अब पढाई में व्यस्त हूँ ... कुछ और समय के लिए आप सब से गैरहाज़िर रहने की इजाज़त चाहूंगी... आप सब के सहयोग और स्नेह के लिए आभारी हूँ ... बहुत बहुत धन्यवाद... ... Read more |

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10:26am 7 May 2011 #
 xitija
......सुकून ढूंढते ढूंढते आज यादों के तहखाने में जा पहुंची... सोचा एक बार यहाँ भी देख लूं... .......बहुत साल पहले जब नए रिश्ते बनाए थे....क्या मालूम........कुछ टूटे हुए रिश्तों के साथयहाँ रख दिया हो...........वहीँ एक कोने में पड़े पुराने दिनों पे नज़र गयी...क्या हालत थी ....उम्र हो ... Read more |

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3:49am 28 Feb 2011 #
 xitija
...तुम्हारेलिए... सिर्फएकपलमेरेलिए... एकज़िन्दगी... ...जितनेपलतुमनेमेरेसाथगुज़ारेहैंउतनीज़िंदगियाँमैंनेजींहैं......नजानेकितनीबारमैंनेजन्मलियानजानेकितनीबारमैंमरीहूँ......पिछलीबारजबतुमगएथेवो आखरी बारथाजबमैंमरीथी... ...उसदिनकेबादनतुमलौटेनमैंजिंदाहुई... ...एकजिस्महैज... Read more |

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3:26am 28 Jan 2011 #
 xitija
....एक खिलौना बनाने वाले नेकितने ही खिलौने बनाये हैं .......अलग अलग रंग केअलग अलग रूप केअलग अलग कद काठी के ..........कुछ सोने केकुछ भूसे के बने हैं ...कुछ कच्चे, कुछ पक्के हैं .......कहीं कोई मखमल में लिपटा है तो कोई चीथड़ों से ढका है....किसी के हाथ में चाँद है किसी का मिट्टी से सन... Read more |

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3:37am 25 Jan 2011 #
 xitija
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .....कुछ पल क्षितिज पर ठहर कर मानो पूछ रहा हो मुझसे -...... "कब तक तड़पता रहूँगा, जलता रहूँगा .... अपनी ही आग में ........ क्या तुम्हारे पास भी मुझे चैन नहीं मिलेगा... बिना बुझे.............अंगारों में लिपटे क... Read more |

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2:44am 8 Jan 2011 #
 xitija
कुछ समय के लिए बहार जा रही हूँ ... आप सब से लगभग एक महीने बाद मुलाक़ात होगी ... जाते जाते इस पुरानी रचना फिर से पोस्ट किये जा रही हूँ ... उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी .............तुमसे मिलने के बाद,दिल की इस बंजर ज़मीन पर,मोहब्बत का एक पेड़ उग आया था,...हम अक्सर उसके साए में मिला करते थे,घंट... Read more |

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12:22am 1 Dec 2010 #
 xitija
सोचा एक तस्वीर बनाऊंआँखें बंद कींकुछ लकीरें सी उभर आयींटेढ़ी, मेढ़ी, आड़ी, तिरछीफिर सोचा,इसकी अपूर्णता को संवार लूं इसमें कोई रंग उतार दूंलेकिन वो कौन सा रंग था जो इस तस्वीर की ताबीर करेगा ??इसकी कमियों, अपूर्णताओं को दूर करेगा ??हरा...??मन किया पत्तों से उधार लूंपर वो ... Read more |

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3:19am 28 Nov 2010 #
 xitija
इस तरह, हर गम से खुद को बचा रखा है एहसास को पत्थर का लिबास पहना रखा है...मेरी आँखों में अक्सर उतर आता है सैलाबकुछ तूफानों को अपने दिल में बसा रखा है....तेरी यादों की क़ैद से भाग भी जाते लेकिन ये ताला हमनें अपने हाथों से लगा रखा है.....राहे-उसूल पे कुछ न मिला एक दर्द के सिवा ... Read more |

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2:28am 19 Nov 2010 #
 xitija
क्यूँ मद्धम सी हो चली हर उम्मीद की रौशनी ....................अंधेरों से लड़ता कोई चिराग़शायद, बुझ गया है कहीं.........................पहचानी सी ख़ुश्बू महका रही है मेरा 'आज' .......................माज़ी की कब्र में वो लम्हा शायद, सांस ले रहा है कहीं......................कम हो गया एक और ख़ुदा को मानने वाला ..........................किसी बे... Read more |

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1:42am 8 Nov 2010 #
 xitija
रूखा रूखा सा चाँद, एक फीकी सी शब् बुझी बुझी सी मैं, एक रूठा सा रब..... मैं औरत..... वो बरगद ........तहज़ीब की मिट्टी में गडी हूँ गहरीसदियों से खोखले रिवाजों का बोझ सहती रही .......बहती हवाओं की जानिब झुकते चले गएहाल ही में जन्में लचीले बांस हैं 'सब'.....मैं औरत..... वो चट्टान ...........रवायतों की ... Read more |

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5:35am 25 Oct 2010 #
 xitija
.रात की चादर जब उतरने लगी....सुबह की तरफ सरकने लगी.........तारे सारे जगमगा उठे...........और ख्वाब सारे धुंधला गए.......तो ऐसे में ये क्या बात हुई..................जो भी हुई ..........................कुछ ख़ास हुई............. .....चाँदनी अपनी तपिश में..........सर्द जज़्बात पिघला गयी.........एक दर्द कहीं सुलगने लगा.....तेरा सोया एहसास जगा गय... Read more |

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1:39pm 23 Oct 2010 #
 xitija
ख्वाबों की दुनिया बिना 'शोर' के....ज़िन्दगी का सफ़र बिना 'पड़ाव' के....एक नया सवेराबिना 'कोहरे' के...मेरा अपना घरबिना 'दीवारों' के....सुबह का अखबारबिना 'सुर्खी' के....सुहाग की सेज बिना 'जिस्मों' के....इंसान का नामबिना 'पहचान' के....आकाश, समुंदर, ज़मीनबिना 'सरहद' के....एक रिश्ता हमाराबिना 'म... Read more |

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3:46am 18 Oct 2010 #
 xitija
बचपन में कभी कभीटूटे पंख घर ले आती थीअब्बू को दिखाती थी.. अब्बू यूँ ही कह देते-...... "इसे तकिये के नीचे रख दो और सो जाओ सुबह तक भूल जाओ वो दस रुपये में बदल जाएगा बाज़ार जाना जो चाहे खरीद लाना..."मैं ऐसा ही करती ...रात में अब्बू चुपके सेपंख हटा कर दस रुप... Read more |

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1:04am 11 Oct 2010 #
 xitija
...................क्षितिज तक फैलेज़िन्दगी के तनहा सेहरा को.....तेरे इश्ककी बाहों में समा लूं....तेरे एहसास के गहरे समुन्दर सेउम्र की 'सूखी' रेत भिगो दूं..........और कहीं किनारे बैठ कर थोड़े घरौंदे बना कर..............एक गाँव बसा दूं...................................कभी उसे हकीक़ततो कभी ...सपने का नाम दूं...तेरे साए म... Read more |

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6:57am 2 Oct 2010 #
 xitija
कहाँ ज़िन्दगी अब तेरा ख़याल ही रहता है आज कल तो दिल खुद से बेखबर रहता है... शाम होते ही बुझा देते हैं उम्मीदों के चिराग अब कौन दीवाना तेरे इंतज़ार में रहता है ...रंज-दीदा जिस्म का लिबास पहने हुए ये किसका अक्स मेरे आईने में रहता है...सदी जैसे दिन की मिन्नतें कर पाया दो पल का चाँ... Read more |

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3:40pm 22 Sep 2010 #
 xitija
एक ज़ुल्फ़ माँ की.... जिसके साए में ज़िन्दगी ने आखें खोलींएक ज़ुल्फ़बहन की.... जिसकी चोटी खीँच-खीँच के बचपन खेलाएक जुल्फ यार की.... जिसकी खुशबु से जवानी महकीएक ज़ुल्फ़बेवफा की.... जिसने मोहब्बत का गला घोंटाएक ज़ुल्फ़साकी की....जिसमें शराब से ज्यादा नशा था एक ज़ुल्फ़बीवी की....जिसने उन्ह... Read more |

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5:38am 15 Sep 2010 #
 xitija
आसमान में जशन का माहौल हैआतिशबाज़ी होती दिखाई दे रही है.....मेरी किस्मत के सितारे टूट-टूट के राख हो रहे हैं..... ... Read more |

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7:11am 9 Sep 2010 #
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