Blog: कसमसाहट |
![]() ![]() सर्दियों सा इश्क हमारा !ढूंढता है,फिर -प्यार की वह गुनगुनी धूप ,चहकता, इठलाता, इतराता यौवन ,पहाड़ी के उस छोर पर ,जहां सूरज के साथ, प्रेम की पहली किरण उगी थी,और प्रस्फुटित हुआ था,रिश्तों का नया संसार,बर्षो बाद - आज फिर मैं वहीं हूँ ,बिल्कुल वही हूँ,वही हवायें हैं ,वही फि... Read more |
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