Blog: कसमसाहट ... |
![]() ![]() कभी जिसे,स्वीकार न कर पाया, वह आज अपने आप, समझ में आया, न कोई अपना है,औरन कोई पराया,व्यर्थ है मोह,मिथ्या है सब माया,वे सब अपने हैं,जो हमें अपना मानते हैं,आखिरअपनेपन का अहसासतो हम सभी जानते हैं,अब तक,क्या खोया?औरक्या पाया?इस संकट ने, अच्छी तरह से समझाया,जीवन की च... Read more |
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