 Saurabh Kudesia
जिस काम को पूरा करने में आप सालों से जुटे हो वो एक दिन साक्षात होकर आपके समक्ष खड़ा होकर मुस्कुराने लगे तो आपको कैसा लगेगा?
अपनी प्रथम हिंदी थ्रिलर नोवल "खंड १: आह्वान" को पहली बार अपने हाथों में पकड़कर मुझे भी कुछ ऐसा ही एहसास हुआ था| सालों की मेहनत, मारा-मारी, दिमागी उलझन... Read more |
 Saurabh Kudesia
“आपका तो कोई नहीं था मुम्बई में?”, सवाल पूछा कही किसी ने. दिमाग कौंधा और मुँह से सिर्फ एक जवाब निकला, “उनमें से कोई भी ऐसा नहीं था जो मेरा न हो”. “हाँ, आप ऐसे भी कह सकते हो, सॉरी”, सामने से जवाब आया. “नहीं, सॉरी की कोई बात नहीं. मेरा परिवार है, खत्म हो रहा है, आपको परेशान होने की ज... Read more |
 Saurabh Kudesia
ये चित्र हमारी कमजोरी का नहीं , हमारे विलाप का नहीं हमारे क्रोध और आक्रोश का प्रतीक हैं ।
आईये अपने तिरंगे को भी याद करे और याद रखे की देश हमारा हैं ।... Read more |

70 View
0 Like
1:04pm 28 Nov 2008 #
 Saurabh Kudesia
जिन्दगी हर पल आसान होती तो शायद किसी और नाम से जानी जाती. और जिन्दगी भी किस की—हम जैसे लोगों की, जो मुसीबत के नियमित ग्राहक ठहरे. मुसीबत दुनिया के किसी कोने से शुरू हो, बिना हम से मिले उसे चैन ही न मिलता. कही न कही से ढूंढ ही लेती है.
क्या सुनाए आपको अपना दुखड़ा? कहाँ से शुरू क... Read more |
 Saurabh Kudesia
किस तरह हमारे कुछ अख़बार धीरे-धीरे हमसे हमारी बोलियाँ और भाषा छीन रहे हैं। प्रभु जोशी का एक विचारात्मक आलेख जो हम सभी को कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
सृजनगाथा के सौजन्य से... Read more |
 Saurabh Kudesia
अमर होने का फार्मूला तैयार है और मार्केट मे सहज उपलब्ध है. क्या आप इस्तेमाल करना चाहेगे? जरा एक नजर ड़ाले इसके गुणो पर और जानिये कि कैसे ये फार्मूला ब्लोग जगत को हिलाने की तैयारी कर रहा है.
क्या आप सौरभ जी को जानते है? नही जी, मै क्रिकेटर सौरभ गांगुली की बात नही कर रहा हूं. आ... Read more |
 Saurabh Kudesia
कैसे एक कागज का टुकड़ा—जिसकी कीमत शायद 20-30 भारतीय रुपयों से ज्यादा नही होगी—एक राष्ट्र की सोच और उसके मूल-भूत सिद्धांतो पर रोशनी ड़ाल सकता है?
स्थान: हाँगजो शहर (चीन गणतंत्र) का एक बस अड्डा
दिन: शनिवार, 6 सितम्बर 2008
समय: प्रात: 930 बजे (स्थानीय समयानुसार)
(एक सच्ची घटना पर आधारि... Read more |
 Saurabh Kudesia
अपनी पिछली पंचवर्षीय योजना के तहत जब मैने घर की संसद मे अपने ब्लोग को शुरू करने की अर्जी दी थी तो मुझे जरा सा भी अंदेशा नही था कि मेरा यह क्रांतिकारी कदम मुझे किसी दोराहे पर पहुँचा देगा। क़ैसे भूल जाऊँ उस महान क्षण को जिसने मेरी जिन्दगी और मेरे घर के इतिहास को एक नया मोड़ प... Read more |

83 View
0 Like
8:29am 28 Aug 2008 #
 Saurabh Kudesia
"अरे जब उनकी कोई मांग ही नहीं है तो क्यों अपनी तिजोरी मे खुद ही आग लगाने पर तुले हो?” मिश्राईन का स्वर थोडा तेज हो गया था।“लडका काफी होनहार है और अच्छी नौकरी मे भी है; खानदान तो मुझे पहले ही पसन्द था। तुमको तो पता हैं कि अपनी प्रिया ज्यादा पढी-लिखी नही है, बस इसीलिये सोच रहा ... Read more |

82 View
0 Like
1:11pm 21 Aug 2008 #
 Saurabh Kudesia
आज जब दफ्तर से मैने घर का रुख किया तो उम्मीद न थी कि मुसीबतो का एक बड़ा ठीकरा मेरे सर पर फोड़ने के लिये हमारी पूज्यनीय पत्नीजी पूरी तरह से तैयार वैठी होगी। वैसे मेरा पति होने का अनुभव इतना कम है कि मेरे लिये अपनी पत्नीजी की तरफ से हुए किसी भी आक्रमण का अन्दाज लगाना मुश्किल ... Read more |

79 View
0 Like
7:33am 14 Aug 2008 #
 Saurabh Kudesia
टीवी बन्द करके मैने अपने बगल मे लेटी हुई एकलौती पत्नी जी पर नजर डाली। बिस्तर की वास्तविक नियंत्रण रेखा का रोज की तरह उलंघन हो चुका था और मेरे पास सिवाए विरोध दर्ज कराने की पारम्पारिक परम्परा का निर्वाह करने के अलावा और कोई चारा नही था। विरोध दर्ज कराने से समस्या का हल त... Read more |
 Saurabh Kudesia
चक्रव्यूह में घुसने से पहले, कौन था मैं और कैसा था, यह मुझे याद ही न रहेगा।चक्रव्यूह में घुसने के बाद, मेरे और चक्रव्यूह के बीच, सिर्फ़ एक जानलेवा निकटता थी, इसका मुझे पता ही न चलेगा।चक्रव्यूह से निकलने के बाद, मैं मुक्त हो जाऊं भले ही, फिर भी चक्रव्यूह की रचना में फर्क ही ... Read more |
[ Prev Page ] [ Next Page ]