Blog: LOKRANG |
![]() ![]() प्रकृति की खूबसूरत गोद में बसा हुआ लोक जीवन प्रकृति से जितनी खुशी पाता है। उसी अनुपात में संघर्ष और परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। हर साल कई सौ आदमी सर्पदंश से मारे जाते हैं या इसकी भयानक पीड़ा को झेलते हैं। आज भी हमारे देश के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में जड़ी-बूट... Read more |
![]() ![]() आजू रे सुदिन दिनमैया अएथिन अँगना-2जौ हम जनिता मैया अएथिन दुध से निपौती अँगना।मैया अएथिन अँगना, महामाया देवी अएथिन अँगना।आजू रे सुदिन....................।किए माँ को बईसन दियबै,किये रे ओठगनवा।आजू रे सुदिन............।कलशा माँ को बईसन दियबै,पिंडी रे ओठगनवा।आजू रे सुदिन..........किये माँ को प... Read more |
![]() ![]() विवाह गीतराम जी के मौरिया सुहावन लागेअति मनभावन लागै हो......माई हे मैं ना जानूँपटेवा के गुथै गुण, राम जी के पहेरै गुण हे....माई हे मैं ना जानूँदशरथ जी के कुल गुण, कौशल्या जी के गर्भ गुण हे......राम जी के जोड़वा सुहावन लागे, अति मनभावन लागै हो..... माई हे मैं ना जानूँदरजी के सियै गुण, ... Read more |
![]() ![]() -प्रीतिमा वत्ससौन्दर्य से लगाव मनुष्य की एक जन्मजात प्रवृति है। यही कारण है कि मनुष्य के सांस्कृतिक विकास की प्रत्येक कड़ी उसके सौन्दर्य बोध का भी निश्चित रूप से परिचय देती है। सभी जगह मानव समुदाय में चित्रांकन की परंपरा किसी न किसी रूप में रही है। कालक्रम में चित्र... Read more |
![]() ![]() बिहार की समृद्ध संस्कृति के पीछे जो इतिहास है उसमें लोक गीतों और लोक गाथाओं का बहुत हीं महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कभी सामा-चकेबा के गीत, कभी करमा देव की पूजा तो कभी ग्राम्य देवी के विभिन्न रूपों की पूजा लोक जीवन का हिस्सा है। गीत-नृत्य के इसी फेहरिस्त में जट-जटिन का लोक न... Read more |
![]() ![]() बॉक्स - सदियों से हर खुशी और गम में शामिल, सुख-दुख की भागीदार बनी चलती रही, पर अब मैं थक गई हूँ। ध्यान लगाकर सुनो तो शायद मेरी आवाज तुम तक पहुँच जाएगी कि बस अब और नहीं, अब और नहीं।सदियों से तुम्हारे कष्टों को हरती आ रही हूँ, तुम्हें जीवन देती आ रही हूँ । कई बार खुश हुई कई बार ब... Read more |
![]() ![]() आज के बदलते परिवेश में जब हम अपनी परंपरा, साहित्य या संस्कृति की बात करते हैं तो लोकजगत हमें अपनी ओर खींचता है। और यदि हमआदिवासी लोक में झाँकें तो हमें यह खिंचाव कुछ ज्यादा हीं अपनेपन की उष्मा से भरा मिलता है।संताल जनजाति का कोई लिखित इतिहास नहीं है पर इनके बीच प्रचल... Read more |
![]() ![]() सदियों से मेहंदी हमारे समाज में महिलाओं के श्रृंगार का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है। इसकी महत्ता तो इतनी है कि मेहंदी के बिना महिलाओं का श्रृंगार ही अधूरा माना जाता है। शादी हो या कोई तीज त्योहार भारतीय महिलाएं मेहंदी लगाना नहीं भूलती हैं। चाहे वो किसी शहर में रहती ह... Read more |
![]() ![]() सावन के महीने में शिव जी की पूजा का विधान तो समस्त भारत में है। साथ हीं बिहार, झारखंड समेत देश के कई हिस्से में शिव के साथ-साथ नाग-नागिन की भी पूजा की पूजा बड़े विधि-विधान के साथ की जाती है। यह पूजा खासकर वो औरतें जिनकी शादी नयी-नयी हुई है। यह पूजा पूरे 15 दिनों तक चलता है। इस ... Read more |
![]() ![]() कभी बिहार के दरभंगा, मधुबनी और नेपाल के कुछ हिस्सों की कच्ची दीवारों पर बनने वाली मधुबनी कला आज अपने देश के हर कोने-कोने में फैल चुका है। अपने देश ही नहीं विदेशों में भी इस कला ने पूरे सम्मान के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा ली है।मधुबनी कला में पहले जहाँ सिर्फ कच्चे रंगों ... Read more |
![]() ![]() मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी कहा जाता है।कालभैरव जी के जन्मदिवस के रूप में यह तिथि मनाई जाती है। देवताओं की तरह पूजे जानेवाले कालभैरव जी रुद्र के गण हैं, इनकी प्रकृति अत्यंत उग्र तथा क्रोधी है। इनका वाहन कुत्ता है तथा इनके हाथ में त्रिशूल,... Read more |
![]() ![]() (इस लोकगीत में शिव को मनाने की बात कही जा रही है। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि मतवाले भोलेनाथ की पूजा किस प्रकार की जाए कि वह मान जाएँ।)किए लाए शिव के मनाईब हो शिव मानत नाहीं ।-2बेली-चमेली शिव के मनहूँ न भावे -2आक-धथूरा कहाँ पाईब हो शिव मानत नाहीं।किए लाए शिव के मनाईब हो शि... Read more |
![]() ![]() इसी आँगन में चलना सीखा,इसी आँगन में खेलकर बड़ी हुई, इसी आँगन में पति के साथ अग्नि के सात फेरे लिए और इसी आँगन की देहरी से विदा हुई। परन्तु जब महानगर के इस छोटे से मकान में आई तो यहाँ आँगन नाम की कोई चीज नहीं है। अब बहुत याद आता है वो आँगन और समझ में आता है उसकी महत्ता।सुबह की... Read more |
![]() ![]() राजू आज भी अपने कमरे में सर पकड़ कर बैठा है, शायद आज भी स्कूल नहीं जा पाएगा। इस महीने यह चौथा दिन है ऐसा कि वह स्कूल नहीं जा रहा है।उसकी माँ राजू के पापा से कह रही है, कितने हीं डॉक्टर को दिखा चुकी पर कोई फायदा हो नहीं रहा। सब डॉक्टर एक ही बात कहते हैं। बच्चे को फिजीकल गेम खे... Read more |
![]() ![]() एक सुबह जब मैं उठी, बहुत ही सुहावना मौसम था मन कर रहा था फिर सो जाऊँ। तब-तक सोती रहूँ जब-तक कि माँ के डाँटने की आवाज न आने लगे। अभी तो माँ प्यार से हम तीनों भाई –बहनों को उठा रही थीं,‘ उठ जाओ बच्चो स्कूल का टाइम हो रहा है।’अचानक माँ की आवाज आनी बंद हो गई, हमने सोचा माँ शायद किच... Read more |
![]() ![]() कृष्ण की दो बहने थीं- द्रौपदी और सुभद्रा। द्रौपदी कृष्ण की मुँहबोली बहन थी। जिसे कृष्ण इतना प्यार करते थे कि अपने नाम से जोड़कर एक नाम कृष्णा भी दिया था। द्रौपदी राजा द्रुपद की पुत्री थी,जो उन्हें पुत्र प्राप्ति हेतु किए जा रहे यज्ञ के दौरान दृष्टद्युम्न के साथ हवनकुं... Read more |
![]() ![]() इन्द्रप्रस्थ के राजा युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया था। सम्पूर्ण आर्यावर्त के सभी जाने-माने राजा इस यज्ञ में आमंत्रित थे। अतिथि सत्कार के बाद अग्रिम पूजा की बारी आई। सबकी सहमति से युधिष्ठिर श्री कृष्ण की अग्रिम पूजा करने आगे बढ़े, ज्योहिं उन्होंने सोने के पर... Read more |
![]() ![]() हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सावन का महीना शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि इस महीने में शिवजी की विशेष कृपा रहती है अपने भक्तों पर। जो भी व्यक्ति भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता है ,उन्हें सावन के महीने में जरुर शिव की अराधना करनी चाहिए। जो भक्त इस महीने में शिव जी ... Read more |
![]() ![]() जब चारों तरफ छाई हुई हरियाली हो, किसानों के चेहरे खिले हुए हों, खेतों का रंग हरा हो, महिलाओं के हाथों की चूड़ियों और उनके कपड़ों का रंग हरा हो, रह-रहकर बारिश की बूंदों से मन भींग-भींग जाता हो, मतलब इतना खूबसूरत नजारा मानों पूरी प्रकृति श्रृंगार करके खड़ी हो तब लगता है जैसे ... Read more |
![]() ![]() मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म अयोध्या के राजघराने में हुआ था। उनके पिता राजा दशरथ उस समय के सबसे शक्तिशाली राजा थे। बेहद आलीशान तरीके से बीता उनका बचपन,लेकिन बाकी की जिन्दगी में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। बहुत ही धैर्य और मर्यादा के अपना जीवन जीने वाले राम अ... Read more |
![]() ![]() जिंदगी की आपाधापी में हम विलासिता के सामान जुटाने और एक दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में कभी ये सोच ही नहीं पाते कि हम किस राह पर चल रहे हैं। हमारा कर्म सही है या नहीं। हम जो काम कर रहे हैं हमारा ज़मीर उसकी गवाही देता है या नहीं।आगे पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें -http:... Read more |
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