 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
मिटा दूँगी ग़ज़ल कहकर खुदी को |बता देना मेरी अगली सदी को |समन्दर तिश्नगी से मात खाकर।पुकारा करता है भीगी नदी को।सही कहते हो वाइज़ा नहीं दिल।जरूरत है बुतों की बंदगी को ।महज़ टुकड़ा बचा पाता है लेकिन।दियाला चाहता है तीरगी को।कहीं रोटी कहीं कपड़े कहीं छत।कहाँ मिलता है सबकुछ ... Read more |

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6:40am 22 May 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
हाय कैसे ये कहें क्या नहीं हुआ जाता |कुछ भी हो जाएँगे तुझसा नहीं हुआ जाता |लोग तो जाने कैसे झूठ नहीं हो पाते |और हम ऐसे के सच्चा नहीं हुआ जाता |संगतराश आप हैं पत्थर हैं हम भी लेकिन हम |एक कंकर से हैं बुत सा नहीं हुआ जाता |क्या मुसीबत है कि सब हासिल-ओ-हासिल है मगर |एक बस तुमसे ही ... Read more |

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10:14am 23 Mar 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
वो जो मेरे मुस्कुराने से तुम्हारे दिल की बढ़ती एक एक धड़कन ने जो लिखी थींदेखना वो प्रेम कविताऐंमिल जाऐंगी लाइब्रेरी की सबसे ऊपर की रैक में समाजशास्त्र की किताबों में दबीपुरानी ही खुश्बू के साथ पुरानेपन के ज़र्द रंगों की पैरहन में लिपटीशायद वहीं खूंटी पर टंगें हो सब अ... Read more |

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5:40am 17 Mar 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
एक मुलाकातथोड़ी सी बातबस कुछ हालचालकहना सुनना पूछना बतानासुबह शाम का आना जानाभोर के गीत चंद्रमा से सुनकरजैसे के तैसे तुम्हें सुनानाबगिया में कितने फूल खिलेकितने बीजों में अंकुर फूटेगिन गिन कर सब तुम्हें बतानाऐसी मैंसदा फिक्रमंदऔरबुलाने पर भी न आनाबिना बताए चले ज... Read more |

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6:25am 10 Feb 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
कोशिश तो की थी तुमने बहुत कि बाँध सको मुझको तुम नख से शिख तक इक बंधन में कष्ट दिए हैं कितने कितने छेद दिया अंग अंग मेरा रीति रिवाजों के नाम पर नथनी और बाली कहकर डाल दी बेड़ियाँ भी श्रृंगार के नाम पर हार कंगन पायल कहकर ढांक दिया नख से शिख तक परंपरा और मर्यादा के नाम पर गूंगाप... Read more |

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10:45am 9 Feb 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
किलोमीटर की धुंध मेंओझल हो गए मन सेकुछ अधिकार हमारेखो गयी सफ़र मेंचिंताएं,फिक्रें, ख़याल सबमिलते तो हैं मंजिलों परलेकिन अब साँझा नहींमंजिलें अपनी अपनी हो गयींअब जब हम मिलते हैंपूछ लेते हैं हाल चालघर-बार केरिश्ते परिवार केलेकिन अबकहाँ पूछते हो तुमऔर कहाँ कहती हूँ मैं... Read more |

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6:53am 6 Feb 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
वो जो भीड़ भाड़ मेंकतराती रहती हैंबोलती हुई आँखों को सुनने सेसुनने वाली आँखेंतुम मानो न मानोइन दोनों खामोशियों के होंठबतियाते हैं बहुतआधी आधी रात तककैसे ???? ओफ्फो..............मैंने कहा नहीं था क्याऑनलाइन प्यारकोई बुरा थोड़े ही होता हैहै न............संयुक्ता ... Read more |

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7:53am 7 Jan 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
ए सुनो चाँद के चेहरे से चमकने वालेरात की आँखों सी संजीदा नज़र रखते होऔर बरगद की तरह ठोस ये बाहें तेरीउलझी बेलों से पटे पर्वती छाती वालेकहाँ पर्वत है ये दीवार हुआ जाता हैइसी दीवार ने घेरा है किसी कमरे कोजहाँ पे कैद की है तुमने नाज़ुकी दिल कीजिसे छूने की इजाज़त भी नहीं है ले... Read more |

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8:06am 4 Jan 2017 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
कश्मकश इतनी रहीहै या नहीं |ये नहीं होता तो ये होता नहीं |हाथ दिल पे रख के मुझसे बोलिये|आपसे मेरा कोई नाता नहीं |प्यार को उनसे नहीं समझा गया । और हमसे हो सका सौदा नहीं ।वो रकीबों से बड़ा उस्ताद है ।साथ होता है मगर रहता नहीं ।रू ब रू तुम भी, रहूँ भी होश में ।दिल मेरा सच्चा तो है, ... Read more |

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6:46am 23 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
जब कहते हो ये तुम मेरी जुल्फों में कैद हैं बादल सुबहें मुहताज हे मेरी पलकों के उठने कीऔर शामें तक पलकें बुझने की आँखों में बंद हैं सागर नदी बरसात सब टांक रखे हैं जूड़े में तारे मैंने सूरज हथेली में सजा रक्खा है बाँध रखी है हवाएं आँचल से चाँद को छत पे बुला रक्खा हे तुम ... Read more |

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7:14am 22 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
कितने अच्छे थे वो दिनजब उतना नहीं थासब जितना कि आज हैएक जोड़ी जूतेपुराना बस्ता पुराने पन्नो से बनी नई कापियांभाई बहनों की पुरानी किताबेंएक रुपये जैसे कि तमाम संपत्ति टूटी चूड़ियों, पत्थरों के खेल खिलौने औरमां का बनाया स्वेटरस्नेह की गर्माहट देता था सच आज सब कुछ हैकितन... Read more |

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7:49am 20 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
तुम कहीं गए नहीं भारती के लाल तुम यहीं हो भारत के हर बच्चे में ज्ञान की ज्योति बन प्रज्वलित रहोगे करोगे रोशन उनकी राहें अज्ञान के अन्धकार में हर युवा के प्रेरणास्रोत सिखाते रहोगे सदा अभावों में जीने का हुनर संभावनाओं को असंभव की कोख से सकुशल ले आनाबताया तुमने हमें आ... Read more |

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7:45am 20 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
ए सुनो चाँद के चेहरे से चमकने वालेरात की आँखों सी संजीदा नज़र रखते होऔर बरगद की तरह ठोस ये बाहें तेरीउलझी बेलों से पटे पर्वती छाती वालेकहाँ पर्वत है ये दीवार हुआ जाता हैइसी दीवार ने घेरा है किसी कमरे कोजहाँ पे कैद की है तुमने नाज़ुकी दिल कीजिसे छूने की इजाज़त भी नहीं है ... Read more |

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8:52am 19 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
सुनो बादल........... इतना न बरसना अबके बरस कि डूब जाएं गाँव पनघट गल जाएँ घरोंदे मिट्टी के तिनको से संवारे नीड़ सभी हो जाएँ तिनका तिनका ही अबके न बरसना नदियों पर आकंठ भरी हों जो जल से |और सीमाओं तक भरे सिन्धुआतुर हों तुम्हें रिझाकर बस दो बूँद ही ... Read more |

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8:25am 19 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
आसमां से बूँदें नहीं बरसती है जानलेवा क़यामत जैसे ही छूती है प्रेम पथ के राहगीरों के सब्र का बदन सिहरने लगते हैं बेचारे एक दूजे को संभालने में कि छूने न पाए ये क़यामत टकराती हैं झपकती अधखुली नज़रें छूती हैं कांपते अंतस को कसने लगती हैं बाहें खुद ब खुदकिसी फिल... Read more |

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8:06am 19 Dec 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
मैं नियमों के बंधन से परेआकाश धरती की दूरीनाप लेती हूँ कलम सेदसों दिशाओं कोमध्य में समेटतीहथेलियों से विस्तार देती हूँ लहरा देती हूँ आँचल कि चलती हैं हवाएं बो देती हूँ हरियालीकि मरूथल भी खिल जाए सींच देती हूँ मुस्कानभूख से तड़पते चेहरों पर कि लहरायें कुछ उम्मीदें ना... Read more |

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7:58am 2 Apr 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
नीली झील में छिपकर बैठा है जो चाँद तुम हाथ बढ़ाकर हटा दो पानी निकाल लाओ मेरे लिए उसेऔर पहना दो कभी कलाइयों में कंगन साकभी कानों में बालियों साया अंगूठी में मोती सा जड़ दो और बादलों को हटा कर कुछ तारे तोड़ लेना टांक देना मेरी पायल में सितारों के घुँघरू यूँ ही खेलें चाँद तारो... Read more |

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6:06am 2 Apr 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
खुश तो हो न तुमकि समाप्त कर चुके हो अब मेरे जीवन से मेरे जीवन कोफूंक दिए सब सुनहरे ख्व़ाबमेरी पलकों के साथछीन ली सब संभावनाएंसुखद जीवन कीजला दी मेरी डोलीजिसकी कल्पना कर सदा मुस्कुरायापरिवार मेराअंगार कर दी मुस्कान मेरीजिसे बरसों पाला है संवारा हैमेरे बाबा नेराख कर ... Read more |

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6:03am 2 Apr 2016 #
 पूजा श्रीवास्तव कनुप्रिया
डूब रहा है सूरजरफ़्तार से गुज़र रहे पेड़जो छूट रहे हैं पीछेऔर मैं बढ़ रही हूँ आगेअपने साथ कुछ चीजें लिएबैग में एक डायरीजिसमें हमारी तमाम मुलाकातें बिछीं हैंजैसी की तैसी अक्षरों की शक्ल मेंबतियाती हैं जीने लगती हैं सामनेजहाँ भाषा तुम्हारी हस्ताक्षर मेरे थेवो जो डायरी त... Read more |

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10:45am 1 Apr 2016 #
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