Blog: मेरी अभिव्यक्तियाँ |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)ना जाने क्या पढ़ना चाहती हैं हसरतें,,उसकी लिखी पुरानी बातों में,,जबकि मैं होश में हूँ,,,,,,,,,,और अंजाम,,मेरे आगे।हर शब्द पे डालती हूँ,अर्थों के बहुआयाम,,मतलब है साफ़और बानगी,,मेरे आगे।फिर भी,,,,भिड़ाती हूँ तर्कों को,, वितर... Read more |
![]() ![]() (बारिश में भींगता बम्बई का समन्दर)आशिक किनारा🍃🍃🍃🍃🍃🍃बेइमान से मौसम मेंबहका सा,,,,,,समन्दर का,,,,,,आशिक़ किनारा,,,ऐठती लहरों में मचलतीहसरत लिए,,,,समन्दर का,,,,,आशिक़ किनारा,,,कनखियों से लुक-छुपकर देखती मेरी नज़र को,शरारती मुस्कान लिए भांपता,,समन्दर क... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)जब तपते मन के सूखे पोरभर जाएं पाकर प्रेमिल झकझोरबोझिल नयनों के तकते कोरतर जाएं आंसुओं से सूने छोरइसको भी बारिश कहते हैंसब बांध तोड़ झर बहते हैं!!ओसार में गिरते बूँदों के शोरटप टप का नर्तन होता चहूँओरखिड़की से आती बौछा... Read more |
![]() ![]() अजि सुनते हो क्या!!!ये पुरवा क्या कुछ कहती है,,,!डाल पात सब बहकी है,,बादल क्यों लेता अंगड़ाई!क्यों ले हिचकोले तरुणाई?अजि सुनते हो क्या,,,,,!!!मगन गगन कुछ नटखट हैतपित धरा मन छटपट हैमुझको क्यों तुम्हरी याद आई?क्यों बजती प्रीत की शहनाईअजि सुनते हो क्या,,,!!बोलो ना क्यों हो मौन धरे?कह... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)तपती धूप मेंअकेला,,,घनी छांव लिएवो शजर अलबेला,,कौन उसकी झुलसतीशाखाओं को सिंचता है,,?वो तो खुद ही की जड़ों सेपाताल सें नमीं खींचता है,,,,मुसाफ़िर दो घड़ी सुस्ता केनर्म निगाहों से सहला गए,,वो काफ़िर सा अपनी हीदरख़्तों को भींचता ... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)मन में मुरतिया श्याम की बसाय केचली राधा पनघट सुध बिसराय केतन कुंज लता सम लहराय के,,दृग अंजन में खंजन छुपाय के,,ल्यों मनमोहन मोहे अंग लिपटाय रे!रहो हरित बदन चटख कुम्लाय रे!पग डगमग भटक कित जाय रे!मदन मन-मृग मोहित तो... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)टेसू मेरे मन केचटखीले सेऔरतुम आसमानीकैनवास बनेमुझे अपने पटलपर सजाएचित्रकारी की ऐसीमिसाल ना मिले शायदरख लूँ सहेज करसदा के लिएअपने दिलो दमाग़ केएलबम मेंना जाने कब,,मौसम बदल जाएऔर टेसू झर जाएंपरसुनो नातुम अपनाआसम... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)आज एक अपराध करने जा रही हूँ हृदय में दुस्साहस भर,,, कवि गुरू रविन्द्र नाथ जी की एक रचना 'तुमी तो शेई जाबे चोले'को हिन्दी में व्यक्त करने का,,, क्षम्य नही है यह दुःसाहस पर मन किया तो कर गई,, तो अपने दोनो कानो को पकड़ ,,आपके समक्ष रचना प्रस्तुत... Read more |
![]() ![]() प्यार करना है तो,,उसके शहर से कर,,,,वो चला भी जाएउसे छोड़कर तो क्या,,,उसकी यादों से जुड़ीहर गली,,,हर सड़क,,बाज़ार,,,वो किराए का मकान,,,उस मक़ान काहर कोना,,कहीं नही जाता,,,,वहीं रहता है,,,,अपने आप में समेटेअनगिनत एकसाथ बिताए,,,पल,,,वो तन्हाई,,वो एकाकीपन के अंधेरे,,,,और,,,,किसी के साथ के उजाले,,,... Read more |
![]() ![]() मत आया कर रोज़ रोज़,,,,ऐ शाम!!!तू छीन ले जाती है मेरी भटकनभी अपने साथ,,,जिसके संग थकना मुझे बेहदभाता है,,मेरे 'दिन'की बाहों में डालकरबाहेंना जाने किन-किन गली-कूचोंसे होकर गुज़रती हूँ,कभी फिक्र तो कभी बड़ीबेफिक्री लिए,कभी ढेरों जिक्र तो कभी शून्यसी ख़ामोशी लिए,,बड़ी बेरहम लगती ... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)#ज़रा_हन्नी_सिंह_जी_के_इश्टाइल_में_गा_गा_के_पढ़िएगा_आहा_ओहो_यो_यो_नुक्ता_चीनी😜😜☕नुक्ता-चीनी☕🌿🌿🌿🌿🌿कर नुक्ता-चीनीऽऽऽऽऽकर नुक्ता-चीनीऽऽऽऽऽये तेरी चुनरीऽऽऽऽऽक्यों झीनी झीनी??😯यह कैसा हलवा??यह कैसी फिरनी???नही आए ख... Read more |
![]() ![]() (मेली प्याली बूबू😘)👶बालकविता👶❤मेली पियाली बू बू रनिया❤छोटी सी मुनियाचुनमुन चुनियालाल बड़ी टिकलीबोल कहाँ निकली?हरीहरी चुनरीसुन! मेरी मुनरीमाला-झाल डाल केछाना-बॅड़ा टाल केहपुश-गुपुश गाल हैढुल-मूल चाल है,,हप्पा किसे देती?पि... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)कब खोया तुम्हेजो तुम्हे 'मिस करूँ'साथ ही तो रहते हो,खाते हो,टहलते हो,सोते हो,,,,लगता ही नही तुमअब मुझसे दूर रहते हो!!!!जब तुम कर गुस्साआता है,,आटा अच्छा गुथजाता है,,जब तुम पर प्यारआता है,,सब्जी का स्वादबढ़ जाता है,,जब तुमकोबा... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)वो किसी,झूमते गाछ सी ,,,पुरवैयापछुवा के बयारी झोंकोंसे अह्लादित,,,,,,,अपनी शाखा-प्रशाखाओंसंग पनपती सूखती,,,कितने विहंगम् विहगोंके नीड़ सहेजे खुद में,,,रोध,वृष्टि,सहतीछाया,फल-पल्लवनकर्तव्यों को निभाती,,,जड़ की पकड़ सेबाधित,... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)आदम ज़ात की एक खूंखार प्रजाति का उद्भव हो चुका है शायद,,!!!,जो दिखने में मात्र आदमियों जैसे हैं,,,,,अंदर का हाड़-मांस #हैवानियत से बना है,,सोच #दरिन्दगी का कचड़ा खाना,,,और रक्त कोशिकाओं में,,#पिशाची द्रव्य,,और आंखों में #हव... Read more |
![]() ![]() आज अंधकार से बहुत गहरा सम्बंध पाया,,,,और अपनी इस नई खोज विस्मृत हूँ?,, या,, उत्साहित हूँ ?नही मालूम,,,पर हाँ इतना ज़रूर है कि,,उजाले के दाह से जनित पीड़ा को बहुत ठंडक पहुँच रही है। जब भ्रूण रूप में मनुष्य माँ के गर्भ में होता है,,,वहाँ भी स्याह अंधकार होता है,,,तो,,,मैने पा... Read more |
![]() ![]() लो फिर हाज़िर हूँवक्त और हालात कीफैक्ट्री में,,,,तोड़ दो मुझे,,मरोड़ दो मुझे,,और,,एक नया आकारदे दो,,,इस बार भीबोलूँगीं कुछ नही,,हाँ,,, कुछ आहहहऔर कुछ आंसू निकलेगें,,,विचलित होकोई इनसे,,,,यहाँ,,,,कोई ऐसा नहीआस-पास,,,,,,,जो हैं सब चपेट में हैं,,बेरहम पकड़ कीमजबूत जकड़ में,,मशीनों के शोरमें स... Read more |
![]() ![]() मन के आकाशकी ये अंधेरी रातें ,,,,प्यार होने लगा है,,,,इनसे एकबार फिर,,,कितना उदार होता हैइनका हृदय,,,,ये छुपा लेती हैंमेरी पीड़ा,मेरी खुशी,मेरा विरोध,मेरा समर्पण,मेरी जीत,मेरी हार,,मेरे कुलुष,,मेरे विकार,,मेरा क्रोध,,मेरी पुचकारमेरी आशा,मेरी हताशा,मेरी जिजिवषा,मेरी कर्मनाशा,मे... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)हयात-ए-ग़ज़ल जब उठा की पी,थोड़ी छलकी,तो थोड़ी बचा के पी।मापनी की नापनी भी आज़मा के देखी,मज़ा आया बहुत जब,सब हटा के पी।काफ़िर सी फ़ितरत,फ़कीरी अदाएंये निखरी बहुत जब,सब लुटा के पी।महफ़िल की रौनक ,ना बने,,ना सही,करार आया जब, बत्... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)प्राकृतिकता ईश्वर की देन है,और कृत्रिमता मानव की।वह ईश्वर प्रदत्त हर स्वाभाविक वस्तु को अपनी सुविधानुसार काट-छांट कर एक नया रूप दे देता है। पैरों के नींचे नरम दूब का मखमली एहसास,,,किसको नही प्रिय!!!! तो दीजिए इंसा... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)एक शेर अर्ज़ है,ग़ज़ल से पहले,,,"ज़िन्दगी की हर शय में छुपी होती है कोई ग़ज़ल, कब अल्फ़ाज़ों में बिखर जाए,और पता भी ना चले।"हौले से सरक जा,ओ बूँद! आखिरी,तू टपक जाए ,और पता भी ना चले।कौन रखता है बूँदों का हिसाब,वो सूख जाए,और पत... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)उरभूमि,,मरूभूमि तो नही थी,,,,कुछ बीज बोए थे अपने हाथों से,,,तो कुछ,,खुद ब खुद उग आए थे,,,शायद चिड़ियों की करतूतया थी गिलहरियों कीउछल-कूद,,,देखते-देखते अंदर,एक जंगल खड़ा था,,,,कहीं ऊचें चिनार,,तो कहीं देवदारों काझुंड बना था,,उनपर लिपटी ... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)मन का घट खाली पड़ा,पथ पनघट इक ठौर,जो पाटे पथ कंकरी,तृप्त हृदय नहि और।भौतिकता व्याकुल करे,चैन कहीं ना आए,पनघट मोरे राम जी,व्याकुलता मिट जाए।।सब मिल पनघट को चलीं,बतियावैं चित खोल,दुख-सुख कह लेती सभी,पल कितने अनमोल।।पनिया भ... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इन्टरनेट)मन अरावली काबीहड़,,'तुम' छिटके टेसु के'जंगल'मेरी शुष्कता केभूरेपन को,अपनी चटखीलीरंगत से,रंगीन बनाते हुए,,,कटीले मनोभाव,सूखती टहनियों पे,चुभते हुए,,,तप्त अंतस चातक साअधीर,,धूल के, सतहीचक्रवात,,सड़कों पर घूमते से,,तुम्हारी ह... Read more |
![]() ![]() (चित्राभार इंटरनेट)अधर ना डोलेंदो नैना बोलेंभावों के भौंरेंमन कलियां खोलेंप्रेम की वाणीमौन की भाषाभरे भौन बिचपियमन टोहलेंअधर ना डोलेंदो नैना बोलें,,,रात्रि तिमिर मेंजुगनू चमके,जब प्रीतभरे दो,दृग अमृत खोलेंअधर ना डोलेंदो नैना बोलें,,... Read more |
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