Blog: Praveen Behl 'Khushdil'
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 Praveen Behl Khushdil
कुछ ही समय शेष बचा है दोस्तों, दुनिया के भ्रष्टतम् तंत्र MCD को भाजपा के मकड़जाल से बाहर निकालने का ! पिछले कई वर्षों से दिल्ली में चल रहे भ्रष्टाचार व गुंडागर्दी का प्राय बन चुका MCD डिपार्टमेंट कांग्रेस और बीजेपी के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बना हुआ है । डेवलपमेंट... Read more |

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3:29am 11 Jul 2016 #
 Praveen Behl Khushdil
मानो कल ही की बात हो । समाज के लोग आपस में विचार विमर्श करके किसी भी विवाद को थाने पहुँचने से पहले ही आपस में निपटा लेते थे । मन में एक दूसरे के प्रति सम्मान होता था । दूसरे के दर्द को अपना समझा जाता था । लोगों में सहनशीलता थी ।आज ! आज ना वो समाज है । ना दर्द समझने के लिए वो दि... Read more |

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5:45am 16 Sep 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
टीवी, एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज़ ना तो कोई डॉक्टर कर सका ना कोई नीम-हकीम । कभी शहरों के राहीसों की शान हुआ करता था टीवी । पुरे मोहल्ले के लोग चल पड़ते थे टीवी देखने एक ही घर में । और जिस घर में वो टीवी होता था वो भी किसी साहूकार से कम नहीं था पूरी धौंस चलती थी बन्दे की ।दूरदर्शन, ... Read more |

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2:21pm 23 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
शहर के छोटे से बाज़ार की इक छोटी सी कपडे सिलने की दुकान ! मुंह से पान की टपकती लार और सर पर नेताओं जैसी टोपी ! यही तो थी दुकान के मालिक की पहचान ! जुम्मन मियाँ ! किसी फ़िल्मी कैरक्टर की तरह था उनका नाम और अंदाज़ भी ! काम चाहे हो ना हो पर भीड़ पूरी रहती थी जुम्मन मियाँ की दुकान पर ! स... Read more |

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2:02pm 20 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
दोस्तों ! दुनियां में बहुत दुःख है ! शायद ही कोई इंसान ऐसा हो इस ब्रह्माण्ड में जो दुखी न हो ! कोई बीवी से दुखी तो कोई पति से कोई बेटे से तो कोई बाप से कोई पैसे ना होने पर दुखी तो कोई बीमारी से ! किन्तु एक दुःख ऐसा है जो सर्वव्यापी होने के साथ साथ ऐसा है की शायद आज तक उस दुःख से ब... Read more |

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8:08am 19 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
करवाचौथ ! पति के लिए अमृत समान एक ऐसा दिन जिस दिन बीवी अपना हथियार यानि बेलन नहीं उठा सकती ! उस दिन का बीवी के साथ साथ पति भी बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं ! बीवी देवी का रूप हो तो नार्मल दिन है ही ! उस दिन की अहमियत तो उनके लिए स्वर्ग में बिताये एक दिन की तरेह है जिनकी बीवी खत... Read more |

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2:34pm 17 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
एक समय था जब अच्छी शिक्षा के साथ साथ हर विद्या में निपुण होने के लिए बच्चे को गुरुकुल भेजा जाता था ! जहाँ गुरु और शिष्य का एक अलग ही रिश्ता था ! जहाँ गुरु अपने प्रिय शिष्य के लिए रात दिन एक कर देता था तो वहीँ शिष्य अपने गुरु के लिए अपनी जान दांव पर लगाने में जरा सा भी संकोच नह... Read more |

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3:09am 17 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
एक समय था जब अच्छी शिक्षा के साथ साथ हर विद्या में निपुण होने के लिए बच्चे को गुरुकुल भेजा जाता था ! जहाँ गुरु और शिष्य का एक अलग ही रिश्ता था ! जहाँ गुरु अपने प्रिय शिष्य के लिए रात दिन एक कर देता था तो वहीँ शिष्य अपने गुरु के लिए अपनी जान दांव पर लगाने में जरा सा भी संकोच नह... Read more |

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3:09am 17 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
दो मंजिल मकान पर तीसरी मंजिल बनवा रहे थे शुक्ला जी । शाम होते होते बहुत थक चुके थे । रात को ही पुरे परिवार के साथ "नायक"फ़िल्म देखी । इतने प्रभावित हुए नायक की भूमिका देखकर की प्रण कर लिया के आज से कभी ना रिश्वत लेंगे ना देंगे । आखिर हर नागरिक का देश के प्रति भी कुछ फ़र्ज़ बनता ... Read more |

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10:36am 11 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
लाहोल विला कुव्वत, कम्बख्त कोन सुबह सुबह गधे की तरह रंभा रिया हे ! अरे, बेगम सुनती हो ! अशफाक मियाँ ने अलसाते और खीजते हुए जोर से आवाज़ लगाई !तभी उनकी बेगम सायेरा दनदनाती हुई आईं ! उनके हाथ में झाड़ू थी ! हां कहिये मियाँ - क्या बात हे ? अरे ये वक़्त बेवक्त कोन हे जो जोर जोर से चिल... Read more |

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8:09am 11 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
हरिद्वार में गंगा जी के घाट पर रोज स्नान करना पाठक जी का नियम था। पूजा पाठ मे तीनों बहुत लीन रहते थे - पाठक जी उनकी जीवन संगिनी आशा व बीस वर्षीय इकलौता पुत्र वैभव । आजकल सिर फख्र से उठा के चलते थे पाठक जी। और हों भी क्यों ना - बेटा डॉक्टरी की पढ़ाई जो कर रहा था । लोग बड़े आदर से ... Read more |

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5:53am 9 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
वक़्तका प्रवाह रोके नहीं रुकता । समय किसी की जागीर नहीं जिसे अपनी तिजोरी में संजो के रख लिया जाये । वो तो एक आजाद पंछी की भांति स्वतंत्र है। स्वछन्द आकाश में एक सामान गति से उड़ता एक आजाद पंछी।क्या रौब, क्या शानोशौकत, क्या रुतबा । इज़्ज़त से झुककर सलाम ठोक के जाते थे आने जाने... Read more |

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3:23am 7 Jun 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
कभी बेहतरीन वक़्त ऐसा ना गुजरा जैसा मेरा आज है।दोस्तों में शाहनवाज, जमील, सलीम, बबलू पे मुझे नाज़ है।।दोस्त तो और भी है किसी से भी मेरा गिला नहीं ।पर अब से पहले शायद कोई ऐसा दोस्त मिला नहीं ।।सारे रिश्ते नाते अब तो इनसे पीछै छूट गए ।जाति, धर्म के सारे बंधन अब तो यारों टूट गए ... Read more |

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2:14pm 29 May 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
जबभी आज से 35 वर्ष पूर्व की समृतियों में खोता हूँ तो शरीर में एक कँपा देने वाली सिंहरन सी दौड़ जाती है। यादों की पूरी सिनेमास्कोप फ़िल्म बेतरतीब सी आँखों के सामने चलने लगती है और कुछ ही क्षणों में ओझल हो जाती है।विकास के नाम पर हमने क्या पाया यह तो याद रखते हैं किन्तु क्या क... Read more |

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2:30am 27 May 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
किसीके घर जब बेटी का जन्म होता है तो हर ओर यही स्वर गूंजता है - मुबारक हो लक्ष्मी आई है। वही बेटी बड़ी होकर अच्छी तालीम हासिल कर ले तो कहा जाता है - साक्षात सरस्वती है और यदि कोई बेटी बहादुरी का काम कर जाए तो कहते हैं - दुर्गा का रूप है!किन्तु सत्य यह है कि यह सब केवल जुमले बन क... Read more |

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3:33am 26 May 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
माँगा था घी, दुकानदार ने तेल दिया।भीड़ थी ज्यादा बाहर को ठेल दिया।।रही सही कसर घर जा के हो गयी पूरीबीवी ने बेलन से बुरी तरह् पेल दिया।।... Read more |

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2:11pm 25 May 2015 #
 Praveen Behl Khushdil
...... आज के लड़के......100 की स्पीड के टशन में गाडी चलाते हैं।पैग होता हाथ में और सिगरेट का धुंआ उड़ाते हैं।।माँ बाप कैसे भी कमाएं उन्हें फर्क नहीं पड़ता...वो तो गाड़ी में छुप छुप के दस दस घुमाते हैं।।...... आज की बहुत सी लड़कियां .......अपने बॉयफ्रेंड के साथ आज ये डिस्को जाती है।म्यूजिक के शो... Read more |

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2:09pm 25 May 2015 #

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2:08pm 25 May 2015 #
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