Blog: daideeptya |
![]() ![]() डर ये कैसा? धधक रहा खलिहान तो क्या?बारूदों के बीज उगाये तुमने ही थे ,जवां फसल तैयार है आग दूर से सेंको,न रोको अब खाक की हद तक जल जाने दो,कि खेल मौत का, मौत से पहले रुकता नहीं.....अनिल... Read more |
![]() ![]() बंद करो ये खेल मौत का,पहले तो बस एक मरा था,क्या उसको जिंदा कर पाओगे?जाने कितने और मर गये,खूनी जलसा, आखिर कब तक?पूछ रहा है तुमसे हिमालय,पूछ रही झेलम की धारा,पूछ रही है तुमसे बेकारी,पूछ रहा है टूटा शिकारा,पूछ रही बच्चों की शिक्षा,पूछ रहा वो भूखा बेचारा,जो रोज कमाता था रोजी,करत... Read more |
![]() ![]() कितनी भी सजाता हूँ तस्वीर जिन्दगी की,ये गर्द उदासी की परछाई सी रहती है,ये वक़्त भी दे जाए ना बोझ अहसानों के,अजनबी लम्हों से मेरी दूरी सी रहती है,बहुत कठिन है मेरा भीड़ का हिस्सा होना,हर तरफ भीड़ है, चलो खुद में समाया जाए.....अनिल... Read more |
![]() ![]() टीन की छत पर थिरकती हैं बूंदें ,जागती हैं रातें अाँखों को मूंदेरेशमी चादर की लोरी ओ थपकी,झरोखों से ठण्डी बयारों की झपकी,छिप गई चाँदनी बादलों से लिपट कर,गरम सांसों के कोहरे से भरा घर,अकेले में कितना सताता है सावन,हाँ, पानी से प्यास बढ़ाता है सावन.....अनिल... Read more |
![]() ![]() शरमायी सकुचाई तरंगिणी ,यमुना का हुआ रंग गुलाबी,झबर झबर गेहूं की बाली ,बलखाएँ जैसे कोई शराबी ,वन पलाश दहके दहके से,तन में जैसे आग लगी मन पपीह बोले अति व्याकुल ,कितनी भीषण प्यास लगी,,अंग लगे मुसकाए गुलाल केरंग को मादक रंग चढ़ा,होली गले मिलें सबसे ,कौन है छोटा कौन बड़ा ,अनि... Read more |
![]() ![]() गगन धरा का मिलनकब हुआ था?कब हुआ है?भ्रम ही था , किदूर क्षितिज पर,गगन येधरती से मिलता है ,हाँ!गगन के स्वप्नों से हीधरती नेश्रृंगार किया है ,सजल गगनमेघों नेझुक कर ,धरती कोप्रतिप्यार दिया है.,रही परस्परनिश्चित दूरी,आलिंगन हैकहाँ जरूरी ..... ... Read more |
![]() ![]() केश राशि आकाश सी विस्तृत,मस्तक पर है चाँद का टीका,सजे हुये आँचल पे सितारे,शीतल मद बयार की खुशबू,आसमान में तुम छाई हो ,,,,,फिर दूर कहीं दिखता है मुझको,एक बड़े तालाब किनारे,विशाल सूखा वृक्ष अकेला,निर्जीव नीड़ लिए बाहों में,मुझको लगता मेरे जैसा , आसमान क्यों स्वप्न दिखाता,धरती क... Read more |
![]() ![]() भोर की पहली किरण से,मुस्करा कर खिल गई,फिर हुआ मदहोश भँवरा ,भूख है या है मुहब्बत,,,,,,,जल में जल की प्यासी सीपी,मुंह खोलती एक बूंद को ,और पनपता एक मोती,भूख है या है मुहब्बत.....तड़ित तरंगों के चुंबन और,श्यामवर्ण आकाश के बादल ;प्यास बुझाते हैं धरती की ,भूख है या है मुहब्बत ....भूख मुहब... Read more |
![]() ![]() सूखा दिन झुलसा, सूरज का बोझ उठा कर,थकी शाम आतुर है रात जलाने को ,आँख के आँसू कम पड़ते हैं,सुनो गगन !बरसा दो तुषार ,आग बुझाने को ,झुलसे पर्णों, झुलसे स्वप्नों को, दे दो जीवन,जल चुकी सुगंधि, फिर महका दो मन उपवन ,मंद रहे शीतल बयार, शोर न मचने पाये,शाख के पंछी को पत्तों की चोट न लगने प... Read more |
![]() ![]() सांस घुटती है खुले आसमां के तले, चीखों के दरवाज़ो पर ये ताले कैसे, देवदार के सीने पर गोलियों के निशां, आंसुओं से उफनते ये नाले कैसे, कब पिघलेगी न जाने ये बर्फ बारूदी, चिनाब और चिनारों की रौनक चली गयी, संगीनों के साये में मुहब्बत हो भी तो, हो कैसे .. पत्थरों की जगह फूल उठाओ तो क... Read more |
![]() ![]() खूँ से अपने जहां लिख दिया था “जय हिंद“, शहीदों के उन निशानों को, हम मिटने नहीं देंगे, बेशक चले जाओ जहां है तुम्हारी जन्नत, ये ज़मीं जन्नत है हमारी, हरगिज़ नहीं देंगे, गर मादरे वतन से तुमको नहीं मुहब्बत, कसम शहीदों की, तुम्हें जीने नहीं देंगे....... अनिल ... Read more |
![]() ![]() झोलियों में स्वप्न लादे, शांत चित्त में लक्ष्य साधे, वज्र कर अपने इरादे, चल पड़े हम भी अभागे, आत्मा आकाश कर लें , खुद को इक संसार कर लें, प्रेम की सरिता बहाकर , जिंदगी साकार कर लें ..रास्ते कब तक छलेंगे , मरते दम तक हम चलेंगे, जब ये तन निर्जीव होगा, दीप बनकर हम जलेंगे. अनिल ... Read more |
![]() ![]() अंजान सी मंजिल, बड़ा अंजान सफ़र, बेचैन कर देती हैं, ये गलियाँ, ये डगर, बड़े हक़ से खींच कर, मेरा दामन, न जाओ छोड़ कर , कहता है, ये मेरा शहर..... अनिल... Read more |
![]() ![]() शहर में चर्चा है, हाँ, चाँद निकल आया, तुम छत पर आ जाओ कि मेरी ईद हो जाए..... अनिल ... Read more |
![]() ![]() तारीखों से लिपटे हुए मौसम सुनो , धुंधलाती तस्वीरों से क्यों गर्द हटाते हो? साल दर साल यही कृत्य दोहराते हो, नई तस्वीरें बनाते तो अच्छा होता,मैं गुज़रे हुए अतीत से निकलना चाहता हूँ. (यादों के मौसम तुम सताया न करो) अनिल... Read more |
![]() ![]() तुम अपनी दुकानों को, ऐसे ही चमकने दो, बहुत छोटा है मेरा घर, मेरी उम्मीद की तरह, मेरी उम्मीदें जवां होती हैं, फुटपाथी बाज़ारों पर, सच कहूँ तो रात का चाँद भी, सूरज दिखाई देता है. अनिल... Read more |
![]() ![]() काश! वही किस्सा, फिर से जवान हो जाए, जर्रा जर्रा ये ज़मीं, आसमान हो जाए, एक भूली हुई दस्तक से, खिल उठे दर मेरा, वो जो बिछड़ा था कभी , मेरा मेहमान हो जाए..... अनिल... Read more |
![]() ![]() काँप कर कलियों ने होठ अपने खोल लिए, ये किसका बाँकपन, चमन में जादू कर गया, और फिर झूमकर बरसा, गगन से पानी, बांधे मौसम को दुपट्टे से, चला करता है कोई..न संवरना आईने में, नाज़ुक हैं चटख जाएंगे, भला तुम्हें देखकर, क्यों कोई अंगड़ाई न ले, हैैरान था देखकर, राह में कुचले फूलों को, नर्म ... Read more |
![]() ![]() इश्क़ तमाम उम्र रोया है यादों से लिपट कर,अजीब सुलगन है आँसुओं से बुझती ही नहीं ,भला , भूल कर भी भुला पाया है कोई हमदर्द ,"भुला देना हमें"यूं ही कहते हैं बिछुड़ने वाले ,जैसे जुदा होने की कोई रस्म हो शायद,तूँ मेरी रूह में शामिल है बेखबर इस कदर ,आईना देखता हूँ,तूँ सामने मुस्कुरा... Read more |
![]() ![]() मैं उसी दर पर नमीं की तलाश करता हूँ,यकीनन,वहीं छलके होंगे तुम्हारे आँसू,जो छलके नहीं थे उस वक़्त ज़माने के डर से ,फिज़ाएँ बयां करती हैं ,बिछुड़ने की दास्ताँ ,कि,मुहब्बत अब भी वहाँ पे रोती है ,जहां दफ़न हुये थे आंसुओं के कतरे,हाँ, अब उस मिट्टी से मुहब्बत की ताबीज़ बनती है ..."फिर कभी ... Read more |
![]() ![]() तूं मुझे अपनी सी सूरत में नज़र आती है,लिखने वाले तुझ पर नज़्म लिखा करते हैं,काश! तेरी रूह से गुज़र सकते ये शायर सारे,बेवजह लफ्ज़ों से, तेरा जिस्म तराशा करते हैं....अनिल... Read more |
![]() ![]() नाव किनारे पर खड़ी करके चले आआे,कुछ पल तसल्ली से लहरों को गिना जाए,डूबती उतराती और खो जाती किनारों पर,मौत से पहले हंसती हुई लहरों सा जिया जाए......अनिल कुमार सिंह.... Read more |
![]() ![]() कितना सताया, फिर दुलराया,हंसते हुए चुपचाप रुलाया,तूं भी मुहब्बत की तरह निकलीऐ ज़िंदगी,मैं तुझसे हार नहीं सकता,मैं तुझसे जीत नहीं सकता,एक तूं ही तो मेरी हमसफ़र है,ऐ ज़िंदगी,मुझे तुझसे मुहब्बत है.....मेरे साथ साथ चलना......अनिल कुमार सिंह.... Read more |
![]() ![]() विरासत लुट गई कब की...बस शेष हैं तो दीवारों परसहमी सी कुछ तस्वीरें...मैं कविता हूँ....जीना चाहती हूँ...बस, तस्वीरों पर गर्द ठहरने न पाये....अनिल... Read more |
![]() ![]() मैं बेवफा के नहीं, ऐ जमाने तूं सुन ले,मैंने तेरी तरफ देखा, मुहब्बत बिछुड़ गई....मैं तेरी मुहब्बत के सिवा कुछ नहीं ऐ दोस्त,तूं इस कदर से मेरी सांसों में घुल गई.....अनिल... Read more |
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