(पिछला हिस्सा)मंदिर में बलात्कार हुआ, इसमें हैरानी की क्या बात है !?गाना नहीं सुना आपने-ःभगवान के घर देर है अंधेर नहीं है.....’और कहावत-‘भगवान जो भी करता है अच्छा ही करता है......’एक और कहावत-‘जैसी भगवान की मर्ज़ी’मानता हूं तो लगता है कि कहावतें बुद्धिमानों ने बनाईं हैं। सोचता ... |
मंदिर में बच्ची से बलात्कार की ख़बर क्या कुछ लोगों को चौंका सकती है ? क्या उन लोगों को भी जो कहते हैं ‘भगवान की मरज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता’! क्या उन लोगों को भी जो कहते हैं ‘बच्चे ईश्वर का रुप होते हैं’ ! लेकिन वही लोग यह भी कहते है कि ‘कण-कण में भगवान है’, ‘भगवान हर जगह ... |
(पिछला हिस्सा)आप चीज़ों को जब दूसरी या नई दृष्टि से देखते हैं तो कई बार पूरे के पूरे अर्थ बदले दिखाई देते हैं। बारात जब लड़कीवालों के द्वार पर पहुंचती थी तभी मुझे एक उदासी या अपराधबोध महसूस होने लगता था। गुलाबी पगड़ियों में पीले चेहरे लिए बारात के स्वागत लिए तैयार लोग कुछ ... |
नाचने का मुझे शौक था। लेकिन शर्मीला बहुत था। कमरा बंद करके या ज़्यादा से ज़्यादा घरवालों के सामने नाच लेता था। उस वक़्त नाचने के लिए ज़्यादा मंच थे भी नहीं सो बारात एक अच्छा माध्यम था, समझिए कि बस खुला मंच था। एक किसी शादी का इनवीटेशन कार्ड आ जाए तो समझिए कि आपके लिए प्रत... |
बनियानें चिथड़े-चिथड़े हो गई थीं। भला हो सलीके-से रखे, सस्ते में बनें पुराने कपड़ों और स्वेटरों का जिनमें वे छिप जातीं थीं। दोनों तरफ़ के दांतों में कीड़े लग चुके थे, पानी पीने में भी इतना दर्द होता था कि बर्दाश्त नहीं होता था। सुबह दुकान खोलने से पहले दो-तीन केले और आधा लीटर ... |
राजेंद्र यादव ‘हंस’ में कविता सिर्फ़ दो पृष्ठों/पेजों में छापते थे।मुझे याद नहीं ऐसा करने के लिए उन्होंने क्या कारण बताए थे।लेकिन मैं कुछ हिंदी कवियों को पढ़ता रहा हूं, कुछ के साथ भी रहा हूं।पहली बात तो यह मुझे समझ में आई कि हिंदी कवियों की प्रगतिशीलता लगभग झूठी है, इनम... |
जेएनयूवादियों को दुआ/प्रार्थना करते देखा तो दो पुराने फ़ेसबुक स्टेटस याद आ गए-1.पंडित जवाहरलाल नेहरु जे एन यू के छात्र थे। यही वजह है कि उन्होंने एक प्रगतिशील विचारधारा की नींव रखी। वरना और किसी तरह यह संभव नहीं था।02-08-2013(on पागलखाना facebook)2.जेएनयू से मेरे भी कुछ मित्र आते हैं ... |
दुआ करो कि भारत से अंधविश्वास दूर हो जाए।दुआ करो कि हम ऐसा ही अंधविश्वास फैलाते रहें फिर भी लोग हम प्रगतिशील मानते रहें।दुआ करो कि ‘हालांकि न तो दुआ में कोई ख़तरा है न मेहनत न संघर्ष’ फिर भी हमें दुआ तक न करनी पड़े।हालांकि दुआ करते वक़्त असल में करना क्या पड़ता है, किसीको ... |
आपकी किसी बात या रचना पर ताली बजना और उससे समाज में बदलाव आना दो बिलकुल अलग़-अलग़ बातें हैं। फ़ेसबुक के लाइकस् को भी हम इस श्रेणी में रख सकते हैं हालांकि वह तालियों जितना तुरंता और तात्कालिक नहीं है। जब तालियां बजती हैं तो माना जा सकता है कि आपके जीवन में ज़रुर कुछ बदलाव आता ... |
|
|
February 17, 2018, 4:26 pm |
मैं एक परिचित को बता रहा था कि सोशल मीडिया पर कोई नयी बात लिखो तो कैसे लोग पहले यह कहकर विरोध करते हैं कि ‘फ़लां आदमी बीमार मानसिकता रखता है’, ‘फ़लां आदमी ज़हर फैला रहा है’, ‘फ़लां आदमी निगेटिव सोच का है’. फिर उस आदमी को पर्याप्त बदनाम करके कुछ अरसे बाद वही बात अपने नाम से लिखक... |
|
|
January 30, 2018, 8:34 pm |
पहला ग्रुप बनाया था ‘पागलखाना’। दूसरों को उनकी मर्ज़ी के बिना शामिल करते हिचक होती थी, तक़रीबन 20-25 लोगों को लिया होगा। एक महिला मित्र ने मैसेज-बॉक्स में कहा कि हमें निकाल दीजिए, तुरंत उन्हें निकाल भी दिया। लंबे अर्से तक संख्या 20-25 ही रही। शुरु में नहीं समझ में आता था कि क्या ... |
|
|
January 16, 2018, 6:42 pm |
खेलों के लिए किसीको पुरस्कार दिए जाएं या साहित्य के लिए, उसके लिए नियम तोड़े जाएं या नए जोड़े जाएं, व्यक्तिगत रुप से मुझे पुरस्कार कभी भी महत्वपूर्ण नहीं लगे। विवाह और राजनीति की तरह यह भी आदमी के दिमाग़ की उपज हैं। और ऐसी सब व्यवस्थाओं पर आज सवाल उठ रहे हैं, बहुत-से लोग इन्... |
|
|
November 17, 2017, 5:11 pm |
1.किसी न किसी तरह धार्मिक स्थलों का प्रचार-प्रसार करते हैं, ख़ुद जाना पड़े तो ख़ुद भी चले जाते हैं।2.प्रगतिशील लोगों के नाम पर भी मंदिर बना देते हैं, और वहां जा-जाकर भी विचारों को पूजा-पाठ में बदलने का शर्मनाक खेल खेलते रहते हैं।3.दहेज न सिर्फ़ लेते-देते हैं बल्कि दहेजवाली श... |
|
|
November 15, 2017, 8:28 pm |
कोई पांच-एक साल पहले की बात है एक व्यक्ति के बयान पर तथाकथित हंगामा खड़ा हो गया। उस व्यक्ति का नाम मैंने पहली बार उसी दिन सुना था। शहर भी छोटा ही था जहां बिना मतलब कोई आता-जाता नहीं है। इधर मेरे कॉमन सेंस ने मेरे लिए समस्या पैदा कर दी, हमेशा ही करता है। मैंने सोचा कि ऐन उसी व... |
|
|
October 26, 2017, 5:17 pm |
जब आपको मरीज़ की जान की चिंता होती है तो आपको इसकी परवाह नहीं होती कि वह होमियोपैथी से ठीक होगा, ऐलोपैथी से होगा कि आयुर्वेद से होगा कि और किसी तरीके से होगा। आप यथासंभव कोशिश करते हैं, जितना जेब अलाउ करती है, पैसा ख़र्च करते हैं, कर्ज़ भी ले लेते हैं, भाग-दौड़ करते हैं। मरीज़ ब... |
भारत में बच्चों की ख़पत कितनी और कैसी है यह तो ठीक-ठीक मालूम नहीं मगर उत्पादन भरपूर मात्रा में होता है। हलचल और हरक़तें भी इतनी और ऐसी है कि कई बार लगता है यहां सिर्फ़ बच्चे ही बच्चे हैं। बच्चों की उम्र कितनी भी हो पर वे अकसर कहते पाए जाते हैं- ‘माई पापा इज़ द बेस्ट’, माई मम्... |
"भगवाननहीहैचलोमानभीलियाजायेऔरयेभीमानलियाजायेकीसृष्टिकीरचनाअपनेआपहोगयीतोहरचीजकाजोड़ाकैसेबना? पशु-पक्षीबनेऔरउनकेभीजोड़ेबनेफिरनस्लआगेबढ़नेकेलियेभीइंतेज़ामहोगया? पेड़पौधेचन्दसूरजऔरतारेसबकेसबअपनेआपबनगयेऔरअपनाकामभीबखूबीकररहेहैं? वैज्ञानिकोकीमशी... |
भारतीय ‘प्रगतिशीलों’ का पसंदीदा संगठन आर एस एस एस-2मुझे इस बात पर न तो कोई गर्व है न शर्म कि आर एस एस एस से मेरा कभी कोई किसी भी तरह का संबंध नहीं रहा। और मेरे लिए यह बात भी किसी झटके की तरह नहीं है कि कभी मेरे प्रिय रहे ऐंकर/न्यूज़रीडर विनोद दुआ का बचपन में शाखाओं में न सिर्फ... |
एक प्रसिद्ध व्यक्ति ट्वीट करता है कि एक सरकारी संस्था ने मुझसे पांच लाख रुपए रिश्वत मांगी है।कोई पत्रकार उससे नहीं पूछता कि यह रिश्वत किस वजह से मांगी गई है !? वह रिश्वत मांगनेवाले का नाम नहीं बताता। वही टीवी चैनल बताते हैं कि यह व्यक्ति ख़ुद भी रेज़ीडेंशियल इलाक़े में... |
04-07-2017मेरे पीछे का फ़्लैट(134-ए, पॉकेट-ए, दिलशाद गार्डन, दिल्ली) जो कई सालों से खाली पड़ा था, कुछ दिन पहले बिक गया है। कई दिनों से वहां से खटर-पटर, धूम-धड़ाम की आवाज़ें आ रहीं हैं। आज मैंने पिछले कई साल से बंद पड़ा अपने पिछले कोर्टयार्ड का दरवाज़ा खोला जो गंदगी से भरा मिल़ा। इस गंदगी मे... |
Tag :Illegal construction
एक बार मैंने फ़्लैट बेचने के लिए अख़बार में विज्ञापन दे दिया, बाद में उसे 4-5 बार रिपीट भी करवा दिया। एक सज्जन (लिखते समय थोड़ा शिल्प-शैली का ध्यान रखना पड़ता है वरना ‘श्रेष्ठजन’ उखड़ जाते हैं:-) जो प्रॉपर्टी का काम करते थे, मेरे पास चले आए कि हमारे होते अख़बार में विज्ञापन क्यो... |
कभी एफ़ एम पर, कभी टीवी पर, कभी-कभी खोलो तब भी महानता दिख ही जाती है। कोई बता रहा है कि हरा डिब्बा, नीला डिब्बा, दो डब्बे कचरे के लिए रखो वरना लोग तुम्हे ख़राब नज़र से देखेंगे, इज़्ज़त ख़राब हो जाएगी.....। कोई समझा रहा है नहाना बहुत ज़रुरी है, पीने को पानी न हो तब भी नहाना ज़रुर चा... |
‘अगर आपको भगवान के होने का सबूत चाहिए तो इस वीडियो को देखिए’ऐसा ही कुछ फ़ेसबुक पर लगे एक वीडियो के ऊपर स्टेटस में लिखा था, नीचे वीडियो में एक छोटा बच्चा सड़क पर अपना किनारा छोड़कर डिवाइडर की तरफ़ भाग पड़ता है। गाड़ियां धीरे-धीरे चल रहीं हैं, शायद लाल बत्ती अभी-अभी हरी हुई है। ब... |
‘अगर आपको भगवान के होने का सबूत चाहिए तो इस वीडियो को देखिए’ऐसा ही कुछ फ़ेसबुक पर लगे एक वीडियो के ऊपर स्टेटस में लिखा था, नीचे वीडियो में एक छोटा बच्चा सड़क पर अपना किनारा छोड़कर डिवाइडर की तरफ़ भाग पड़ता है। गाड़ियां धीरे-धीरे चल रहीं हैं, शायद लाल बत्ती अभी-अभी हरी हुई है। ब... |
व्यंग्यक्या मोर को यह बात मालूम है कि वह सैक्स नहीं करता इसलिए राष्ट्रीय पक्षी है ? या वह राष्ट्रीय पक्षी है इसलिए सैक्स नहीं करता या कर सकता ? क्या पता पहले करता हो मगर बाद में राष्ट्रीय होने के चक्कर में छोड़ दिया हो !? पदों-पुरस्कारों-उपाधियों आदि के चक्कर में लोग क्या-क... |
Tag :justice and superstitions
|
|
|