Blog: आकांक्षाएँ |
![]() ![]() नहीं जानता था कि यहाँ पर इतना सब कुछ होगा।फर्ज को एहसान बताकर, ऐसा हृदय विदारक होगा।मेरे मन का आस मुझी पर, बनकर लौट पड़ेगा।मेरी ही उम्मीद तुरन्त मुझ-पर पश्चाताप करेगा।तेरे कुटिलता क... Read more |
![]() ![]() कौवा कांव-कावं करता हुआ,घर के मुन्डेर पर देता दस्तक।अपनी आवाज़ में भूख को इंगित,करता हुआ।नर से कहता है -मैं हूँ उड़ता पंछी।पंख को डोलाते हुए, आया हूँ तेरे दर पे।दे-दे मुझको कुछ दाने,जिसे तुम बेकार कर देते हो।बिना काम के वो दानें,मेरे जीवन का कितना अहम,हिस्सा बन जाता है।... Read more |
![]() ![]() रिमझिम रिमझिम~~ बारिश होती।ठन्डी ठन्डी हवा जो~~~~~बहती।सिहरन पैदा तन-मन में~~ करती।ठनडापन का~~ एहसास दिलाती।•जलपरी अपने को~~~~~ कहती।हम सबके चरणों को~~~~ धोती।जहां तहां पानी की बौछारें~ करके,सबका नि:शुल्क कल्याण~~करती।•जमीन को पानी से~~~ तर करती।किसानों का हृदय ठन्डा~~ करती।धान... Read more |
![]() ![]() आज जरूरत है भ्रष्टाचार से देश को बचाने की मार झेल रहे है गरीब स्वतंत्रता में परतंत्रता की हमें उनको उठाना है जिसे है प्रबल उमंगें जीवन की इसलिए आओ युवक लगा दो बाजी अपने जीवन कीनहीं है कोई व्यक्ति इनके उपर ध्यान करने वाला बन जाएं हम सब मिलकर इनके भविष्य का रखवाला... Read more |
![]() ![]() जिन्दगी बहुत हसीन है हँस- हँस के जीना यारों । दुनिया बहुत लम्बी-चौड़ी है सबको हँसाना यारों। अपने तरफ से सबका पूर्ण सहयोग करना यारों। किसी को दर्द की दुनिया मे पहुचाना नही यारों । @रमेश कुमार सिंह ... Read more |
![]() ![]() वृक्षों से मिलती है स्वच्छ हवालोग वृक्षों को क्षति न पहुचाएं।इन्हीं से मिलती है सुन्दरताइस सुन्दर सुगंध को न गवाएं।महत्वपूर्ण हिस्सा जिन्दगी के हैं अपने परिवार का अंग बनाएँ। बच्चों की तरह इन्हें जन्म देकरसुन्दर सबका भविष्य बनाएँ।वायुमंडल का संतुलन बनाकरनिशुल... Read more |
![]() ![]() जिन्दगी भी एक अनुठा पहेली हैकभी खुशी तो कभी याद सहेली हैकभी उछलते है सुनहरे बागानों मेंकभी दु:ख भरी यादें रूलाती हैअजब उतार चढ़ाव आते रहते हैबचपना खेल-खेल में बित जाते हैं भागमभाग जवानी में आ जाते हैंकई उलझने मन में जगह बनाते हैं मानसिक तनाव बढ़ने लगते हैंएक दूसरे स... Read more |
![]() ![]() मुझे ऐसा लगा आपका चेहरा उदास हैकहाँ खोये रहती हैं लगाईं क्या आश हैंजब मैं चला अपने आशियाना की तरफ,ऐसा लगा रोकने का कर रही प्रयास हैं।आँखों में देखा भरा आँसुओं का शैलाब है उमड़ रहा था जैसे बादल भरा बरसात है स्पष्टतः हृदय की आवाज़ झलक रही थी,कह रही रुक जाइए करनी कुछ बा... Read more |
![]() ![]() दीवस के समापन के बादअंधकार का धिरे-धिरे छा जाना।और उनके बीच टिमटिमाते तारो का,नजर आना।मानो जुगनू की तरह विचरण करना।अप्रतिम सुन्दरता को साथ लिए,इसी बीच में खुशबुओं को विखेरती हुई।लोगों को शीतलता प्रदान करती हुई।मन्द मन्द धिमा प्रकाश ज्योति के सहारे।गगन में तारों के... Read more |
![]() ![]() जेठ की दुपहरी में सुरज ने खोल दिया नैन।अपनी तपती हुई गर्मी से किया सबको बेचैन ।पशु-पक्षियों ने छोड़ने लगे अपना रैन।मानव भी इस तपन में हो गया बेचैन।नदी और झरना कर दिये अपने पानी को कमसुख गई सभी नदियाँ झरने हो गये सब बन्द त्राहि -त्राहि मच गया सभी जीवों में एक संगलगे भ... Read more |
![]() ![]() अपने हौसला को बुलन्द रखना हैसम्भल-सम्भलकर यहाँ चलना हैजिन्दगी के सफर में काटे बहुत हैअपने पथ से बिचलित नहीं होना हैजो भी आते हैं समझाकर रखना है अपने शक्ति में मिलाकर रखना है सीखना-सीखाना है उन्हे सत्य का पाठइस कार्य को कर्तव्य समझकर चलना है हम जो भी है अभी इसे नहीं ग... Read more |
![]() ![]() धरती के अन्दर उदगार उठाजिससे भू-पर्पटी हिलने लगाआपसमें शोर हुआ चारों ओर अफरा - तफरी मचने लगालोग मकानों से निकलकरबन गये सब पथ के राही।चर्चा विषय चहुओर बनाकरभागे सवत्र जान बचाकर।मच गया चारों तरफ हंगामाचाहे नुक्कड़ हो या चौराहा गाँव-गाँव हर गली -गली मेंकई जगह हर शहर-शहर ... Read more |
![]() ![]() मंजिल की तरफ बढते रहना।हरदम कदम को बढ़ाते रहनाजिन्दगी, है लक्ष्य को पाने लिए उन्नति के पथिक बने रहना।जिन्दगी में बहुत सी समस्याएँ।धैर्य के बल पर इसे निपटाएँ ।तभी होगे हम लोग मजबूत,सबको यही हम पाठ सीखाएँ।रास्ता है बहुत टेड़ा-मेड़ा।पार करना जिवन का बेड़... Read more |
![]() ![]() मानव अब मानव नहीं रहा।मानव अब दानव बन रहा।हमेशा अपनी तृप्ति के लिए,बुरे कर्मों को जगह दे रहा।राक्षसी वृत्ति इनके अन्दर।हृदय में स्थान बनाकर ।विचरण चारों दिशाओं में,दुष्ट प्रवृत्ति को अपनाकर।कहीं कर रहे हैं लुट-पाट।कहीं जीवों का काट-झाट।करतें रहते बुराई का पाठ,... Read more |
![]() ![]() गरीबी मनुष्य के जीवन में एक मिट्टी की मूर्ति के समान स्थायीत्व और चुपचाप सबकुछ देखकर सहने के लिए मजबूर करती है शायद उसकी यही मजबूरी उसके जिन्दगी के सफर में एक कोढ़ पैदा कर देती है।ईश्वर भी अजीबोग़रीब मनुष्य को बना दिया है किसी को ऐसा बनाया है कि वो खाते -खाते मर जता ह... Read more |
![]() ![]() नवोदय का सफर••••••••••••••••• मैं कोई लेखक नहीं हूँ, हाँ थोड़ा बहुत शब्दों में शब्दों को एक कतार में रखकर कुछ पंक्तियों का विस्तार कर देता हूँ। मिल गया है मुझे अपने जिन्दगी में बिताये हुए कुछ पल का भाग जिसको सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ... Read more |
![]() ![]() सहजता से लक्ष्य की ओर बढना,निश्चितता से उसको पूर्ण करना,जिम्मेदारी को विशेष से समझना,समर्पण शायद इसी को मान लेना।पूर्ण जिम्मेदारी ही पूर्ण समर्पण हैइसे स्वीकार करना थोड़ा कठिन हैमैं जिम्मा लेता हूँ या मैं समर्पित हूँ,अधिकांश सुनने को यही मिलता है।जिम्मेदारिय... Read more |
![]() ![]() मैं कुद्रा रेलवे स्टेशन पर ज्यों ही पहुंचा तभी एक आवाज़ सुनाई दी कि गाड़ी थोड़ी देर में प्लेट फार्म नम्बर दो पहुंचने वाली है आवाज़ को सुनते ही मेरे अन्दर इधर टीकट कटाने की तो उधर गाड़ी छुट न जाए यही दो बातें दिल के अन्दर आने लगी तभी अचानक मेरी नजर टिकट घर की तरफ ... Read more |
![]() ![]() किसी सीमा को जब कोई,तोड़ जाता है।उसी वक्त भय का,उदय हो जाता है।यही भय द्वेष को अपने अन्दर,पैदा कर जाता है।द्वेष यहाँ पर हो जाता है आमंत्रित।और वापस सीमा के अन्दर ले जाता है।स्वयं मनुष्य,सीमा के अन्दर रहने के लिए,अपनी रक्षा के लिए,सुरक्षा की दृष्टि से रक्षात्मक,युक्ति ... Read more |
![]() ![]() मनुष्य के,उदासीनता का मुख्य कारणआदर्शवाद का अभावग्रस्तअर्थहीन जीवन का होना प्रतीतप्रतिस्पर्धा भरे संसार में भयभीतउदासीनता इन्हें तब आती हैजब समस्या से निपट नहीं पाते हैं आक्रामकता उदासिनता का,प्रतिरोधक होकर जब,कोई हद को पार करता है।तब वापस उदासीनता में ले ज... Read more |
![]() ![]() कोई दिवास्वप्न देखता है,कोई ख्वाबोंको सजाता है। यही पैसे की बेचैनी,जो सबको भगाता है। जो कीमत इसकी समझता हैये उसके पास नहीं रहता। जो कीमत नहीं समझता है,हमेशा उसके पास रहता है।जिसको कमी महसूस होता है,इसका दर्द वही समझता है।जिसके दिल पर गुजरता है,बयाँ वही कर पाता है।पैस... Read more |
![]() ![]() कोई दिवास्वप्न देखता है, कोई ख्वाबोंको सजाता है। यही पैसे की बेचैनी, जो सबको भगाता है। जो कीमत इसकी समझता है ये उसके पास नहीं रहता। जो कीमत नहीं समझता है, हमेशा उसके पास रहता है। जिसको कमी महसूस होता है, इसका दर्द वही समझता है। जिसके दिल पर गुजरता है, बयाँ वही कर पाता है। ... Read more |
![]() ![]() रात के अंधेरे में, निंद का पहरा, मुझ पर होता है। तब स्वप्न, मुझे जगाता है । कर लेता है मुझे, अपने में समाहित। हो जाता हूँ मैं स्वप्नमय। देखता हूँ तुम्हें, कभी छोटी सी, ज्योति की तरह। कभी कुहाँसे में, रूपहली झलमल, बुन्द की तरह। कभी लहलहाती, कलियो की तरह। मुस्कुराती हुई, दिखती ... Read more |
![]() ![]() मानव ही एक मानव को कुछ नहीं समझता। एक दूसरे को नोचने में खुद महान समझता। चाहे वो अधिकारी हो या हो देश का राजनेता। मानव, मानव को कष्ट देने की तरकीब बनाता।मानव अब इस धरती पर अब मानव नहीं रहा। सारे बूरे कर्मो को अपने हाथों पे लिए चल रहा चन्द फायदे के लिए भ्रष्टाचार ... Read more |
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