 Ramesh kumar Singh
लोग आये दिन हर जगह हर विभाग में चारों तरफ चाहे वो सरकारी हो या गैर सरकारी यह निम्न स्तर शब्द आता है आखिर यह निम्न स्तर शब्द क्या है? इसे हमें जानने की आवश्यकता है चूंकि हमारे यहाँ बहुत ही ज्यादा लोग निम्न स्तर के होते हैं और निम्न स्तर के लोग एवं कर्मचारीयो को देख रहे हैं ... Read more |

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12:37am 23 Mar 2015 #
 Ramesh kumar Singh
हम लोग आये दिन हर जगह हर विभाग में चारों तरफ चाहे वो सरकारी हो या गैर सरकारी यह निम्न स्तर शब्द आता है आखिर यह निम्न स्तर शब्द क्या है? इसे हमें जानने की आवश्यकता है चूंकि हमारे यहाँ बहुत ही ज्यादा लोग निम्न स्तर के होते हैं और निम्न स्तर के लोग एवं कर्मचारीयो को देख रहे ह... Read more |

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11:26am 14 Mar 2015 #
 Ramesh kumar Singh
एक शहर ऐसा भी, जहां न कोई मतलबी, जहां न कोई दुखदायी, जहां सभी हैं सुख में गुल, चारों ओर है शांति शांति, मारा मारीं का हुआ है अन्त, नहीं जहां कोई आतंक, वहाँ जाने को तरसते लोग, जहां ॠषि लगाते भोग, धन दौलत से वह सम्पूर्ण, भ्रष्टाचार का हुआ है अन्त, इस काव्य को जो भी पढते मुझसे पुछत... Read more |

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12:39am 12 Mar 2015 #
 Ramesh kumar Singh
अरूणोदय के समय में,सुनहरे तीर बरसाते।किरण में अन्तर्निहित हुए,विखरने लगा धरातल पें।जाग गई सभी वनस्पतिया ,जाग गई सब मानवता।चहचहाने लगी सब चिड़ियाँ।लिए भाव कोमल विखेरता।---------रमेश कुमार सिंह ... Read more |

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10:06am 11 Mar 2015 #
 Ramesh kumar Singh
एक बार की बात है कि मैं बनारस जा रहा था। कर्मनाशा स्टेशन से देहरादून एक्सप्रेस पकड़कर मुगल सराय पहुँचते हैं। वहाँ पर गाड़िया कुछ ज्यादा ही समय रूककर अपनी थकान मिटाती है।मैं गाड़ी से उतरकर बाहर प्लेटफार्म पर आराम करने लगा सुबह सबको प्यारी लगती है चाहे कोइ भी प्राणी हो क... Read more |

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2:10am 10 Mar 2015 #
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