Blog: चंचल मन chanchal mann |
![]() ![]() बिहार के छात्रों को गणित जैसे विषयों में अच्छा माना जाता है क्योंकि यहाँ के कई छात्र कड़ी प्रतिस्पर्धा पार कर के, इंजीनियरिंग की (शायद) दुनिया की सबसे कठिन प्रतियोगिता परीक्षा पास कर जाते हैं। ये सीधे तौर पर उनकी मेहनत और उनके परिवार का योगदान माना जाना चाहिए। इसमें ब... Read more |
![]() ![]() "पेरिस जरूर जाईयेगा "यूरोप जाने वाले यात्रियों को यह सलाह दोस्तों परिवार के सदस्यों द्वारा जरूर दी जाती है ! ऐसी ही कुछ बात मेरे साथ भी हुई थी ! जब मैं पहलीबार पारिवारिक कार्य से नीदरलैंड्स जा रहा था ! और पेरिस जाना मतलब एफिल टॉवर को देखना ! यूरोपीय टूर ओपरेरटर के हर पैके... Read more |
![]() ![]() " .... तो बेटा आईआईटी मुंबई में कंप्यूटर साइंस ले रहा होगा "बधाईदेने के बाद मैंने कहा था !'जी ! मगर आप को कैसे पता ? 'पिता के चेहरे से खुशी स्वाभाविक रूप से टपक रही थी ! "सुना है कि सभी टॉपर मुंबई आईआईटी के कंप्यूटर साइंस में ही जाते हैं , वहाँ शायद जनरल की ५० सीट है तो उसमे टॉप क... Read more |
![]() ![]() बुरा है पर सच है।यूपीएससी और देश की नौकरशाही एक तमाशा बन चुकी है।इंडस्ट्री के विषय वस्तु पर एक्सपर्ट लोगों की जहां आवश्यकता है वहां साधारण ग्रेजुएट तीन चार साल रट्टा मार मार कर बिना किसी नौकरी या धंधे या विषय के अनुभव यानि एक्सपीरिएंस के, आईएएस बन रहे हैं, ऊपर से अब तो ... Read more |
![]() ![]() लुत्फ़-ए-सफ़र में हम कुछ ऐसे बहल गएमंजिल पे पंहुचा, देखा और आगे निकल गए [ लुत्फ़-ए-सफ़र = pleasure of travelling]गुज़रे जब कूचा-ए-जाना से हम आजबरसों के दबे तमन्ना, दिल में मचल गए [कूचा-ए-जाना = lane of beloved ]'मुज़्तरिब'... Read more |
![]() ![]() वो यही कुछ सोचकर बाज़ार में ख़ुद आ गया,क़द्र हीरे की है कब बाज़ार से रहकर अलग ।काम करने वाले अपने नाम की भी फ़िक्र कर,सुर्ख़ियाँ बेकार हैं अख़बार से रहकर अलग ।सिर्फ़ वे ही लोग पिछड़े ज़िन्दगी की दौड़ में,वो जो दौड़े वक़्त की रफ़्तार से रहकर अलग ।हो रुकावट सामने तो और ऊँच... Read more |
![]() ![]() हम कहाँ रुस्वा हुए रुसवाइयों को क्या ख़बर,डूबकर उबरे न क्यूँ गहराइयों को क्या ख़बर ।ज़ख़्म क्यों गहरे हुए होते रहे होते गए,जिस्म से बिछुड़ी हुई परछाइयों को क्या ख़बर ।क्यों तड़पती ही रहीं दिल में हमारे बिजलियाँ,क्यों ये दिल बादल बना अंगड़ाइयों को क्या ख़बर ।कौन सी पा... Read more |
![]() ![]() अजीब शख्स था कैसा मिजाज़ रखता थासाथ रह कर भी इख्तिलाफ रखता था मैं क्यों न दाद दूँ उसके फन की मेरे हर सवाल का पहले से जवाब रखता था वो तो रौशनियों का बसी था मगरमेरी अँधेरी नगरी का बड़ा ख्याल रखता था मोहब्बत तो थी उसे किसी और से शायदहमसे तो यूँ ही हसी मज़ाक रखता था... Read more |
![]() ![]() खाली खाली न यूँ दिल का मकां रह जायेतुम गम-ए-यार से कह दो, कि यहां रह जायेइस लिये ज़ख्मों को मरहम से नहीं मिलवायाकुछ ना कुछ आपकी कुरबत का निशां रह जाये... Read more |
![]() ![]() बेचैन बहारों में क्या-क्या है जान की ख़ुश्बू आती हैबेचैन बहारों में क्या-क्या है जान की ख़ुश्बू आती हैजो फूल महकता है उससे तूफ़ान की ख़ुश्बू आती हैकल रात दिखा के ख़्वाब-ए-तरब जो सेज को सूना छोड़ गयाहर सिलवट से फिर आज उसी मेहमान की ख़ुश्बू आती हैतल्कीन-ए-इबादत की है मुझे ... Read more |
![]() ![]() परछाइयाँ जवान रात के सीने पे दूधिया आँचल मचल रहा है किसी ख्वाबे-मरमरीं की तरह हसीन फूल, हसीं पत्तियाँ, हसीं शाखें लचक रही हैं किसी जिस्मे-नाज़नीं की तरह फ़िज़ा ... Read more |
![]() ![]() मधुशालामृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्य... Read more |
![]() ![]() हो जाय न पथ में रात कहींहो जाय न पथ में रात कहीं,मंज़िल भी तो है दूर नहीं –यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है !दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!बच्चे प्रत्याशा में होंगे,नीड़ों से झाँक रहे होंगे –यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है !दिन जल्दी-जल्दी ढलता ... Read more |
![]() ![]() 1वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसालसाफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो*****2तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग फ़राज़एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती*****3अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए*****4एक न... Read more |
![]() ![]() लोग हर मोड़ पर रुक - रुक के संभलते क्यों हैलोग हर मोड़ पर रुक - रुक के संभलते क्यों हैइतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यों हैमैं ना जुगनू हूँ दिया हूँ ना कोई तारा हूँरौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैंनींद से मेरा ताल्लुक ही नहीं बरसों सेख्वाब आ - आ के मेरी छत पे टहलते ... Read more |
![]() ![]() *****लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने मेंलोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने मेंतुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने मेंऔर जाम टूटेंगे, इस शराबख़ाने मेंमौसमों के आने में, मौसमों के जाने मेंहर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैंउम्र बीत जाती है, द... Read more |
![]() ![]() *****सारेजहाँसेअच्छा, हिन्दोस्ताँहमाराहमबुलबुलेंहैंइसकी, यहगुलिस्ताँहमारा Sare jahan se achcha Hindustan humaraHum bulbulen hai iski, yah gulsita humara *****खुदीकोकरबुलन्दइतनाकिहरतकदीरसेपहलेखुदाबंदेसेखुदपूछेबतातेरीरजा* क्याहै*रजा - इच्छा, तमन्ना, ख्वाहिश Khudi ko kar buland itna ki har taqdir se pahleKhuda bande se poonche bata teri raza kya hai *****जफा* जोइश... Read more |
![]() ![]() साहिर लुधियानवी *****1वहअफसानाजिसेअंजामतक, लानानहोमुमकिनउसेएकखूबसूरतमोड़देकर, छोड़नाअच्छाWah afsana jise anjm tak, laana na ho mumkinUse ek khoobsurat mod dekar, chhodna achchha*****2अपनीतबाहियोंकामुझेकोईगमनहींतुमनेकिसीकेसाथमुहब्बतनिभातोदीApni tabahiyon ka mujhe koi gham nahinTumne kisi ke saath mohabbat nibha to di*****3गरजिंदगीमेंमिलगएफिरइत्तफाकसेपूछेंगेअप... Read more |
![]() ![]() फ़राज़ साहब 1-वो दुशमने-जाँ, जान से प्यारा भी कभी था..अब किससे कहें कोई हमारा भी कभी था....उतरा है रग-ओ-पै में तो दिल कट सा गया है...ये ज़ेहरे-जुदाई के गवारा भी कभी था...हर दोस्त जहाँ अबरे-गुरेज़ाँ की तरह है...ये शहर यही शहर हमारा भी कभी था....तित्ली के तअक़्क़ुब्में कोई फूल सा बच्चा..... Read more |
![]() ![]() भीड़ से कट के न बैठा करो तन्हाई में बेख़्याली में कई शहर उजड़ जाते हैंनिदा फ़ाज़ली... Read more |
![]() ![]() मेरी ख़ुशी के लम्हे इस कदर मुख्तसिर* हैं फ़राज़गुज़र जाते हैं मेरे मुस्कराने से पहले* मुख्तसिर = छोटे... Read more |
![]() ![]() शक़ ये मुझपे भला हुआ कैसे,मुझको यूँ बेवफा कहा कैसे .इश्क ख़ुद भी नहीं समझ पाया,उसका मुझ पे चढ़ा नशा कैसे.जो रगों में बहा लहू बन कर,भूल जाता उसे बता कैसे .मेरी क़िस्मत लिखी अंधेरों ने,मुझमें सूरज ये फिर उगा कैसे .ग़म ने हँसते हुए कहा मुझसे ,मुझसे होगा भला जुदा कैसे.मुझको तूने नहीं ... Read more |
![]() ![]() ज़ुल्फ़ आवारा गरेबाँ चाक घबराई नज़रइन दिनों ये है जहाँ में ज़िंदगानी का निज़ामचाँद तारे टूट कर दामन में मेरे आ गिरेमेने पूछा था सितारों से तेरे गम का मक़ामपड़ गई पैरहन-ए -सुबह-ए -चमन पर सलवटेंयाद आकर रह गई है बेखुदी की एक शामतेरी इस्मत हो के हो मेरे हुनर की चांदनीवक्त के बाजार म... Read more |
![]() ![]() चला हवस के जहानों की सैर करता हुआमैं ख़ाली हाथ ख़ज़ानों की सैर करता हुआपुकारता है कोई डूबता हुआ सायालरज़ते आईना-ख़ानों की सैर करता हुआबहुत उदास लगा आज ज़र्द-रू महताबगली के बंद मकानों की सैर करता हुआमैं ख़ुद को अपनी हथेली पे ले के फिरता रहाख़तर के सुर्ख़ निशानों की सैर... Read more |
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