Blog: ज़िंदगी की किताबों के कुछ पन्ने....
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 Sandeep jaiswal
उन तन्हां पलों में कभी ज़िंदगी को सोचता हूं,तेरी उन प्यारी बातों में अपना अक्स खोजता हूं,लम्हा थम सा गया थातेरे आने के बाद,... Read more |
 Sandeep jaiswal
चल उन शामों को याद करें,जो हमने साथ बिताईं...उन पलों को फ़िर जियेंजिनमें पूरी कायनात पाई,बस वो जुस्तज़ूं पूरी हो,उसका इंतज़ार &... Read more |
 Sandeep jaiswal
The fragrance of your talks,In the garden of my memories,The evenings near the coastal rocks,Still say your untold stories.The wavy sea,that lovely sight,That embrace,that lingering kissThat blanket,the white night,That memorable moment of bliss.The insistence,the passionThe wish,the intoxicationMiss your ludicrous talks, with you that garden walks,your flirtatious looks,Read your letters,Kept in old books.... Read more |
 Sandeep jaiswal
अपने ज़िद के पर्दों कोमेरी ख्वाहिशों की खिड़कियों से हटाओ,मंज़िल की उम्मीद नहीं करता तुमसे, पर कुछ वक्त यूं ही राहों में त... Read more |
 Sandeep jaiswal
सियासी गुरूर तुम पर कुछ यूं सिर चढ़ बोलता है,कि ज़िक्र से भी हमारे लहू तुम्हारा खौलता है,इन्सानियत के कत्ल-ए-आमको माना तुम न... Read more |
 Sandeep jaiswal
कभी किनारों से खौफ़ था मुझे,पर आज तेरे ख्यालों के साहिलोंसे नाता है मेरा,कभी जुबां पर लाने से कतराता था,पर आज हर सांस पर नाम ... Read more |

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5:46pm 27 Feb 2015 #
 Sandeep jaiswal
तेरी बातों की खुश्बू फ़िरमन की हवाओं में आयी है,वक्त की धूप में अबशायद तेरी यादें ही मेरी ज़िंदगी की परछाई है !... Read more |

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4:02pm 26 Feb 2015 #
 Sandeep jaiswal
ज़िक्र जो तेरा जब होता है, मुस्कुराहटों का सावन लबों से बरसता है,तेरे संग ज़िंदगी में इक मदहोशी सीलगती है,बिना तेरे खामोशी... Read more |

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1:45pm 25 Feb 2015 #
 Sandeep jaiswal
कुछ यूं कहूं, सामने तुम्हारे मेरे लफ़्ज नहीं निकलते,ज़िंदगी की शाम यूं ही बीतती है, तेरी यादों के लम्हों में ढलते,आरजू तो बह... Read more |

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9:05am 24 Feb 2015 #
 Sandeep jaiswal
उन लम्हों से गुज़रीहर याद, अब अंजानी सी लगती है ! सोचता हूँ लिखूँ नज़्म तुझपे, पर 'नज़्म'पर नज़्म लिखना,बात बेमानी सी लगती है!... Read more |

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10:50pm 23 Feb 2015 #
 Sandeep jaiswal
कुछ ने कहा कि वो हिंदू था,कुछ ने कहा वो मुसलमान था,पर किसी ने ये न कहाकि वो भी इंसान था,ज़मीर सियासतदारों का उस वक्त सो रहा था,... Read more |
 Sandeep jaiswal
सोचता हूँ लिखुंगा तेरे बारे में भी ऐ ज़िंदगी ,संघर्षों की धूप में ,सफलताओं की छांव में ,असफल पीड़ा के रुप में ,प्रयत्निक छा... Read more |

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6:50pm 4 Nov 2014 #
 Sandeep jaiswal
मैं इंतज़ार करता हुं,तेरे लौट आने का ऐ ज़िंदगी,हर पल तेरी बाट जोहता हुं,शायद ग़म है तेरे खो जाने का,वो ज़ुस्तज़ू, वो ख्वाहिशेंअभ&... Read more |

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8:06am 24 Oct 2014 #
 Sandeep jaiswal
एक नज़्म जो ख्वाहिशों कीस्याहियों में दबी है,जिसे लिखने की चाहतअभी भी जगी है,वो नज़्म कब मन के कागज़ों पर आयेगी,चन्द लफज़ों म... Read more |

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8:16pm 19 Oct 2014 #
 Sandeep jaiswal
ख्वाहिशों की बारिशों में भीग जाने दो,मस्तियों के सैलाबों में डूब जाने दो,मुस्कुराहटो की लहरों कोज़िंदगी के शहर में आ ज&... Read more |

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1:31pm 17 Oct 2014 #
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