Blog: Mahendra's Blog (मेरी हिंदी कवितायेँ ) |
![]() ![]() शहर लग रहें हैं शमशान की तरह मास्क आ गयी है मुस्कान की जगह शहर लग रहें हैं शमशान की तरह व्यापार ठप्प सारा दुकान बंद है घर से ही काम चल रहा दुकान की तरह जब रूह कांपती थी , एक मौत को सुन कर फेहरिस्त आ रही अब फरमान की तरह नजदीकियां बुरी है , ये बात चल रही अब दूरियां बनी है , ... Read more |
![]() ![]() कश्मीर भारत का मुकुट सिर दर्द बना क्योंकश्मीर का हर आदमी बेदर्द बना क्यों अंग्रेज हमें दे गए आज़ादी मुल्क की पर कर गए बंटवारे से बरबादी मुल्क की !बिखरे हुए मोती सभी माला में पिरोये सरदार ने मेहनत से दिल के घाव थे धोये कश्मीर को नेहरू अलग ही भाग दे गए इस देश को अलगाव का एक र... Read more |
![]() ![]() इस देश की बस आस है मोदी इस देश में बस खास है मोदी युग पुरुष इस विश्व का है जो इस देश का विश्वास है मोदी नकली नेताओं को नक्कार दिया गाली देने वालों को धिक्कार दिया खुद चोर बताते मोदी जी को चोर चोरों को जनता ने दुत्कार दिया टुकड़े टुकड़े बिखर गए भू पर खुद को थोपा था जिन न... Read more |
![]() ![]() पुलठी आवन जावनआज मन करता है चलो बच्चा बन जाएँ एक दिन के लिए बुजुर्गियत का मुलम्मा उतार फेंके और अपने आप से सच्चा बन जाएँ !याद है न , गाँव में जोहड़ के किनारे खड़ा वो नीम का पेड़ अब भी खड़ा है , थोड़ा बूढा हुआ है , लेकिन सीधा खड़ा है चलो एक बार फिर से गलबहियां डालें उस बालसखा के ... Read more |
![]() ![]() कुछ मौत के व्यापारी खरीदने आये थे मौत समुद्र की राह से खरीदनी थी मौत ,तबाही ,हाहाकार चीत्कार, आहें कीमत भी थी मौत खुद अपनी पागल कुत्तों जैसी दरअसल वो आदमी नहीं थे वो थे हथियार एक ऐसे जूनून के जो बांटता है सिर्फ नफरत नफरत कभी मजहब के नाम पर कभी मुल्क के नाम पर वो अब भी नहीं र... Read more |
![]() ![]() सब कहते हैं की मैं साठ साल का हो गया ,लेकिन ये पूरी तरह सच नहीं है क्यों चौंक गए ?साठ साल से आप मुझे देख रहें हैं ये सच है लेकिन मेरा अस्तित्व सिर्फ साठ साल से नहीं है मेरी उम्र है पौने इकसठ साल !ये जो पौना साल है ना ,इसके बारे में सिर्फ मेरी माँ जानती है उस पौना साल में बस ... Read more |
![]() ![]() क्या स्पर्श बिन अभिव्यक्ति संभव है ?पूर्ण अभिव्यक्ति असंभव है !नवजात शिशु को माँ हाथों में लेती है सीने से लगाती है उस पर चुम्बनों की बरसात कर देती है क्या इन स्पर्शों के बिना वात्सल्य अभिव्यक्त हो पाता ?परीक्षा में अव्वल दर्जे में उत्तीर्ण होने के बाद जब एक बेटा अपन... Read more |
![]() ![]() आखिरी दिन २०१७ का ,बीत गए बारह महीने जो शुरू हुए थे आशाओं के साथ हर दिन ही तो होता है शुरू -नयी आशाओं के साथ हर शाम देती है फैसले दिन भर की बातों पर हर दिन होता है एक मिश्रण दुःख और सुख का हर दिन होता है आशाओं और निराशाओं का कभी खुशियां मना लेते हैं कभी दुखों को झेल लेते हैं ... Read more |
![]() ![]() कठोपनिषद कहता है -पिता द्वारा क्रोध में शापित होकर निकल पड़ा नचिकेता मृत्यु की खोज में भटकता रहा भटकता रहा किन्तु उसे मृत्यु कहीं नहीं मिली !आश्चर्य है सब जगह ढूँढा -मुंबई क्यों नहीं आया !नचिकेता !यहाँ तुम मृत्यु को नहीं ढूंढते बल्कि मृत्यु तुमको ढूंढती जहाँ जाओ वहां मि... Read more |
![]() ![]() ग़र देख किसी दुखियारे को ऐसे किस्मत के मारे को कुछ दर्द सा दिल में हुआ नहीं तेरी आँख से आंसू बहे नहीं फिर होकर के भी ये नदियां क्या फर्क पड़ा कि बही न बही !फिर तेरा होना न होना जैसे होकर भी न होना बस अपनी खातिर ही जीना बस अपनी खातिर ही मरना क्या मोल तेरी इन साँसों का क्या फर्... Read more |
![]() ![]() विश्व से सम्बन्ध अपने , पर पडोसी क्रुद्ध क्यों है देश सब कुटुम्ब हैं, सरहद पे लेकिन युद्ध क्यों है ?भाइयों में बाँट होती , माँ बँटी इस देश में थी दंश माँ के दर्द का ,अब तक गला अवरुद्ध क्यों है ?कुछ गलत हरगिज़ हुआ था , जब लिया ये फैसला था फैसले लेकर ग़लत भी , वो बने प्रबुद्ध क्यों ह... Read more |
![]() ![]() थक गया है आदमी इक खोज से मर रहा क्यूँ ख्वाहिशों के बोझ से तब से भागा फिर रहा हर रोज ये चल पड़ा था पैर से जिस रोज से जिंदगी की मौज पाने के लिए भिड़ रहा हर सू दुखों की मौज से चाहते हैं अमन की सुकून की लड़ रहा है नफरतों की फ़ौज से &nbs... Read more |
![]() ![]() राजनैतिक छुआछूत छुआछूत हमारे देश में हमेशा से विध्यमान है कुछ सामाजिक अंधविश्वासों से कुछ धार्मिक रीति रिवाजों से कोई जातिभेद के कारण परेशान है छुआछूत हमेशा से विध्यमान है !लेकिन एक छुआछूत ऐसा भी है जो पहले नहीं था , लेकिन अब है इसकी खास बात -जो कभी अछूत नहीं थ... Read more |
![]() ![]() अलग थलगमेरे एक मुस्लमान दोस्त ने मुझ से पूछा -आखिर हम भी भारतीय हैं ,यहीं पैदा हुए , यही पढ़े , यहीं बड़े हुए फिर भी हम यहाँ के समाज में अलग थलग पड़ जाते हैं ऐसा क्यों ?मैं सोच में पड़ गया ;फिर मैंनेपूछा -क्या तुम अलग थलग हो ?उसने कहा - मेरी बात नहीं कर रहा मैं बात कर रहा हूँ - हमारी ... Read more |
![]() ![]() अलग थलगमेरे एक मुस्लमान दोस्त ने मुझ से पूछा -आखिर हम भी भारतीय हैं ,यहीं पैदा हुए , यही पढ़े , यहीं बड़े हुए फिर भी हम यहाँ के समाज में अलग थलग पड़ जाते हैं ऐसा क्यों ?मैं सोच में पड़ गया ;फिर मैंनेपूछा -क्या तुम अलग थलग हो ?उसने कहा - मेरी बात नहीं कर रहा मैं बात कर रहा हूँ - हमारी ... Read more |
![]() ![]() हारे , थके , पिटे हुए देश तुम तुम्हे आत्मग्लानि क्यों नहीं होती जिस देश से भीख मांग कर अलग हुए उस देश के साथ लड़ते रहते हो लड़ते भी कहाँ हो , कायर जो ठहरे चूहों की तरह बिल से निकलते , हो कुतरने के लिए बात करते हो मजहब की मारते हो कश्मीरियों को बनते हो उनके रहनुमा पत्थर के खिलोने&... Read more |
![]() ![]() विपक्षी दलों की एकता आपने भी पढ़ा होगा की दो दिन पहले नितीश कुमार श्रीमती सोनिया गाँधी से मिलने गए । मुद्दा था - राष्ट्रपति चुनाव में पूरा विपक्ष एक होकर अपना उम्मीदवार उतारे। सब कुछ तो मीडिया को भी पता नहीं होता। ये रही अंदर की बात -नितीश - सोनिया जी , आज मैं एक खास मुद... Read more |
![]() ![]() सोलह का साल बड़ा बेमिसाल था रोज हो रहा कुछ न कुछ कमाल था !म से जुड़े लोग - बड़े शोर में रहे मोदी , ममता , माया, मुलायम जोर में रहे महबूबा बन सकी न किसी की भी महबूबा इतना उसके दिल में हर पल मलाल था अ से बने नाम थे बस दाल दल रहे अखिलेश, अमित, अमर सिंह चाल चल रहे अरविन्द जंग छेड़ते रहे... Read more |
![]() ![]() मन की बात ये साल यूँ जा रहा हैजैसे की ५०० और हजार के नोट !एक साथ ही दोनों का विसर्जन३१ दिसंबर को !फिर नया साल आएगापता नहीं क्या नया लाएगासांता क्लॉज की तरह टीवी पर आएंगेमोदीजी कुछ बतलायेंगे !दिल थाम कर सुननाखोलेंगेअपना पिटारासबकी सुनेंगे और सुनाएंगेकौन जीताकौन हारा... Read more |
![]() ![]() पाकिस्तानपरजोहुआवोसर्जिकलस्ट्राइककारिहर्सलथा८नवम्बरकोजोहुआवोअसलथा !घरबैठेहीसबकेयहाँरेडपड़ गयीडिनरपरन्यूज़देखनेवालोंकीभूखमरगयीछापाटीवीपरबोलकेहीमारदियादारुवालोंकानशा उतारदियाउसरातलोगगिनतेरहेहजारऔरपांचसौकेछुपाकरजोबचायेथेमियांबीवीनेएकदुसर... Read more |
![]() ![]() नमनरंगोली है वहां , रंगोली है यहाँ कभी होली है वहां , कभी होली है यहाँ बारूद है वहां , बारूद है यहाँ बम फटते हैं वहां , बम फटते हैं यहाँ जुआ भी है वहां , जुआ भी है यहाँ प्राणों का दांव वहां , पैसो का दांव यहाँ अंतर बस इतना है , अंतर बस इतना है सीमा पर वो खड़े , शहरों में हम पड़े दिवा... Read more |
![]() ![]() चाहिए प्रमाण ?हम ने लड़ा दिए प्राण तुम्हे चाहिए प्रमाण इस बार नहीं दे सकेंगे क्योंकि इस बार हम में से कोई नहीं मरा उनके जो मरे उन्हें हम ला नहीं पाए। ऐसी अग्नि परीक्षा तो सीता ने भी नहीं दी थी हमसे हमारे जीने का हिसाब मांगते हो जो आज से पहले किसी ने नहीं माँगा तुम तोपों में ... Read more |
![]() ![]() मैंकिसमुंहसेआज़ादीतेरीबातकरूँमैंकैसेमानूँदेशमेराआज़ादहैअब !गोरे अंग्रेजोंसेतोहमआज़ादहुएकालेअंग्रेजोंसेभी तो बर्बादहैंअब !जिसमज़हबवालेमुद्देपरथादेशबंटावोहीमज़हबवालाझगड़ाफिरशुरूहुआसंसद परहमलेकरनेवालाअफ़ज़लवोक्योंकरइकहिस्सेकावोजानेगुरुहुआ?मुम्ब... Read more |
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