Blog: हिंदी ब्लॉग विवेक पटाईत
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 विवेक पटाईत
ओम् नमो नमो नम: स्वच्छता देवताय नम:प्रार्थना पहले शुभ्र वस्त्र धारण करेंफिर डिजाईनर झाडू खरीदेंमिडिया को भी आमंत्रित करेंएक स्माइली फोटो खिंचवायें. कुडे को रस्ते पे फैलायेंफिर झाडू से साफ करेंस्वच्छता अभियान को ऐसे सफल बनायें. ... Read more |

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12:24pm 15 Nov 2014 #
 विवेक पटाईत
प्रकृति का गीतमें नहीं गुनगुनाता.प्यार के तरानेमुझे नहीं भाते.भगवान से करुणामैने नहीं मांगी.मुझे है दिखतानग्न सत्य केवलचीखता हूँ, चिल्लाता हूँकोई नहीं सुनता.कभी कभी लगता हैमेरी कविता भीमुझसे अनजानी है.... Read more |

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3:09am 18 Oct 2014 #
 विवेक पटाईत
आँखों में बसती है दिल में में सजती है मौन ही बोलती है प्यार की कविता.आँखों की भाषा स्पर्श भावनओंका जीती है शब्दोंबिना प्यार की कविता. ... Read more |

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4:01am 6 Oct 2014 #
 विवेक पटाईत
तानाशाह सदैव सच को दबाने की कोशिश करतें है क्योंकि उहने सदा डर लगता है.....अभिव्यक्ति कान में बोलीछांट दी जीभ उसकी. अभिव्यक्ति शब्दों में पढ़ी जला दी पुस्तकें सारीअभिव्यक्ति चित्रों में दिखी फाड़ दिए चित्र सारे. डर लगता है सदा उन्हें स्वतंत्रता से, स... Read more |

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12:44pm 5 Oct 2014 #
 विवेक पटाईत
प्याज की खेती में किसान को हमेशा घाटा होता है, ग्राहक की जेब कटती है. सरकार की बदलती नीतियों की वजह से (बीते ५ सालों में १७ निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा, कई दफा आयात कर कम ज्यादा किया) व्यापारी भी डूबते हैं, परन्तु नेता हमेशा ही हँसता है.किसान को रुलाता है प्याज ग्राहक क... Read more |

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7:34am 2 Oct 2014 #
 विवेक पटाईत
एक बार शहर में जाने के बाद कोई वापस गाँव नहीं लौटता.....चिड़िया रानी आई दाना खाया पानी पिया गाड़ी में बैठी शहर को गयी. वापसी की राह लेकिन भूल गयी.... Read more |

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3:19pm 29 Sep 2014 #
 विवेक पटाईत
खट्टी-मीठी, तीखी-कड़वी मानवीय भावनाओं को शब्दों के सांचे में मिलाता हूँ.तैयार करता हूँ, सबको लुभाने वाला फास्ट फ़ूड की तरह स्वादिष्ट प्रोडक्ट कविता ... Read more |

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8:25am 28 Sep 2014 #
 विवेक पटाईत
महाराष्ट्र में चुनाव होने वाले हैं. चुनाव का समय गिरगिटों के रंग बदलने का समय होता है, ऐसे ही एक गिरगिट से मैने पुछा, गिरगिट महोदय, आपका असली रंग क्या है: गिरगिट ने जवाब दियालाल नीला हरा पीलागिरगिट तेरा रंग कौनसा.?जिस रंग का शिकार उस रंग का चोला शिकारी हूँ में आला&n... Read more |

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4:07am 28 Sep 2014 #
 विवेक पटाईत
समाज समलेंगिकता को एक विकृती मानता हैं तथा उसका निषेध करता है परंतु आज समलेंगिकता को कानूनी रूप से जायज करार देने की मांग तथाकथित बुद्धीजीवी कर रहे हैं. क्या यह उचित है? समाज समलेंगिकता एक विकृती क्यों मानता है. इसी पर प्रकाश डालने का प्रयास अपनी अल्प बुद्ध... Read more |

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1:23pm 6 Jul 2011 #
 विवेक पटाईत
बचपन के दिन याद आते हैं. मां संध्या के समय भगवान के सामने दिया जलाती थी. साथ ही हम बच्चे जोर- जोर से शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं सुख-संपदा .. का पाठ करते थे. साथ ही अपनी मातृभाषा मराठी में मां लक्ष्मी को घर आने का न्योता देते थे. जिसका हिंदी अनुवाद निम्न है:आजा लक्ष्मी मेर... Read more |

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2:23pm 9 Jun 2011 #
 विवेक पटाईत
जम्बुद्वीपे, भरतखंडे, क्षिप्रा तटे, सुन्दर एंव रम्य अवन्ती नगरी थी. क्षिप्रा तट विक्रमादित्य नित नेम से उज्जैन की राज्यलक्ष्मी की दीप, धूप, नैवैद्य दिखाकर पूजा करता था. अपने विनम्र स्वभाव से वह सदैव मंदिर के पुजारीयों एवं देवी के भक्तों को प्रसन्न रखता थ... Read more |

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5:54am 28 May 2011 #
 विवेक पटाईत
देश की भाषा, आंग्ल भाषा.देश का भोजन, पित्ज़ा बर्गर.देश का पेय, पेप्सी कोला.देश की बैंक, स्विस बैंक. प्यार का दिन वेलंटाईन डे.देश की नेता, विदेशी मूल.इसी को कहते हैं, वसुधैव कुटुम्बकम. ... Read more |

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4:27am 26 Mar 2011 #
 विवेक पटाईत
फ्लैट में रहने वाला उच्च मध्यम वर्ग - रिश्तों की टूटन, उदास अकेलापन- यही है शहर की जिन्दगी का सचकांक्रीट का जंगल है कागज़ी मुखौटें हैं.टेबल पर सजा हैउदास कैक्टस एक.ए. सी. से ठंडा यहाँरिश्तों का अहसास है.वासंतिक बयार यहाँआ नही सकती.फ्लैट का दरवाजा सदाबं... Read more |

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4:10am 26 Mar 2011 #
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