 himanshu tyagi
आज मैं भरी महफ़िल में ये एलान करता हूँ,की मैं इस कायर आतंकवाद से नहीं डरता हूँ। मैं ही इनके हमले में तिल-तिल के मरता हूँ,फिर भी यूँ बिखर कर मैं हर बार संभालता हूँ,ये आतंकी फैलाते दहशत हज़ारों में,ये आतंकी फोड़ते बम बाज़ारों में,फिर भी मैं निडर होकर इस बाज़ारों से गुज़रता हूँ।।... Read more |

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6:56pm 13 Dec 2014 #
 himanshu tyagi
है प्रणाम! उस सृष्टि को जिसका रूप निराला है,जिसने सब कष्ट सहकर भी हमे ख़ुशी ख़ुशी पाला है। है प्रणाम! उस अम्बर को जिसका ह्रदय विराट है,जिसके सामने झुका हर बड़ा सम्राट है।है प्रणाम! उस उगते सूरज को जिसने जीने की आशा दी,दूर हो गए साब गम और दूर हो गई जो निराशा थी।है प्रणाम! डू... Read more |

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6:03pm 29 Oct 2014 #
 himanshu tyagi
यूँ बेवजह किसी को अपना बनाना अच्छा लगता है.कुछ भी सोच के यूँ मुस्कुराना अच्छा लगता है,वो उठना सूरज के साथ और चाँद के साथ डूब जाना,यूँ तारों के साथ जगमगाना ,अच्छा लगता है।तेरा साथ नहीं तेरी सोच काफ़ी है,दिल टूटने के लिए एक खरोच काफी है,ये यादों को बटोरने का ज़िम्मा उठा रखा है,... Read more |

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9:08pm 22 Aug 2014 #
 himanshu tyagi
कब से मिला नहीं हूँ तुझसे,कब से यूँ ही बैठा हूँ,कब से यादों में है तू मेरी,कब से यादों से ये कहता हूँ,क्या तुझे पता है दिल का मेरे हाल?क्या तू भी रातों को करती है मेरा ख्याल?क्या मुझे याद करके तेरी भी आखें नम हो जाती हैं?तेरी परछाई कुछ कहती नहीं मुझसे,बस शर्मा के गुम हो ... Read more |

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7:58am 1 Feb 2014 #
 himanshu tyagi
एक ग़ज़ल लिखता हूँ, लिखता रहूँगा,यूँ ही इन अक्षरों में दिखता हूँ, दिखता रहूँगा।जाने किस जगह वो गाँव है,रेत पर भी बिखरी ठंडी छाँव है,माँ कि बनाई चप्पले हैं पाँव में,फिर भी न जाने इन में क्यूँ घाव है।भाप बन कर उड़ गई है नमी आँखों कि,यूँ धुप में सिकता हूँ, सिकता रहूँगा... Read more |

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8:56am 30 Jan 2014 #
 himanshu tyagi
इश्क में थोडा यूँ करने को जी करता है,थोडा जीने को तो थोडा मरने को जी करता है,इश्क में जैसे टूटी हुई माला की तरह बिखर जाऊं,यूँ बिखर के थोडा सवरने को जी करता है।।कभी अंधेरों में भी दूर कहीं वो लौ चमके,और मीलो फैली ख़ामोशी में भी वो आवाज़ छनके,वैसे दिल के खेल में प्याद... Read more |

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4:43pm 16 Jul 2013 #
 himanshu tyagi
एक दिन निकला मैं अनजान सी राहों में,लेने किसी को अपनी आहों में, मगरअब चलते-चलते बहुत दूर निकल आया हूँऔर अब भूल चूका हूँ की शुरुवात कहाँ से की थी।उसकी आवाज़ की खनक को सुर मान के,उसके चहरे की चमक को सूरज मान के,बस वो सूरज पकड़ने निकल पड़ा हूँ,मगर अब भूल चूका हूँ की शुरुवात ... Read more |

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7:43am 24 Apr 2013 #
 himanshu tyagi
आज फिर उड़ने को जी करता है,राहों में यूँ पीछे जाने को जी करता है। मेरे हिस्से का निवाला तेरी दावत नहीं,यूँ फड-फाड़ा के जीना मेरी आदत नहीं।दिल का परिंदा ये गगन चूमना चाहता है,हाथ पकड़ घटाओं का ये आसमा घूमना चाहता है। तोड़ कर पिंजरों को ये पंख झटकना चाहता है,अनजान राहों... Read more |

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9:20am 12 Apr 2013 #
 himanshu tyagi
शामो में एक सुबह छुपी रहती है कहीं,उजालो में भी रातें बसी रहती हैं कहीं,कुछ गमो के बादलों में आशाओं की बिजली होती है,और बंजर खेत में भी नमी रहती है कहीं।कभी आस्मा को भी धरती से मिलने की चाहत होती है कहीं,और बर्फ में भी छुपी थोड़ी गर्माहट होती है कहीं,कभी लफ़्ज़ों पर जज़्... Read more |

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6:30pm 5 Apr 2013 #
 himanshu tyagi
चलो मिलकर ऐसा देश बनाएँ,जहाँ पर खुश रहे हर शख्स न कोई रो पाए,ऍ मेरे वतन, तेरे सर की कसम खाते हैं हम, हम तुझे ऐसा देश बनायेंगे,जहाँ नाम तेरा फक्र से लिया जाये।ऍ मेरे वतन के लोगो, जागो, खोलो हाथ,इससे पहले दम घुट जाये।।अब मुझे चल चुकी है पता देश की एहमियत,समझ आ गई है मुझे हकीक... Read more |

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5:37pm 5 Apr 2013 #
 himanshu tyagi
टूटे हुए दिल के फ़साने लिख रहा हूँ,जो गा न पाया कभी वो तराने लिख रहा हूँ,बगैर प्यार के भी सदियाँ बिताई हैं हमने,कैसे बीते वो ज़माने लिख रहा हूँ।कुछ मशहूर किस्से हैं आशिकी के,मगर हमारी तो बस छोटी सी कहानी है,याद रखे हमारे बाद भी लोग हमें,बस इसलिए अपने भी कुछ अफ़साने लिख ... Read more |

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7:01am 25 Mar 2013 #
 himanshu tyagi
#3कभी यूँ दर्द सेहना अच्छा लगता है,किसी बेगाने को अपना कहना अच्छा लगता है,यूँ तो आसूँ निकलते हैं आँखों से हर शाम,कभी कबार इस आँसुओं के साथ बहना अच्छा लगता है।। ... Read more |

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6:35am 25 Mar 2013 #
 himanshu tyagi
सुनो दुनिया वालों, मैं भारत की तरफ से हॉकी खेलता हूँ,अब क्या-क्या बताऊँ इस देश में मैं क्या-२ झेलता हूँ।यहाँ जाने क्यूँ राष्ट्रीय खेल का सम्मान नहीं होता,यहाँ देश के खिलाडियों के पास खेलने को सामान नहीं होता।अनजान सी ज़िन्दगी जीने को हम मजबूर होते हैं,और यहाँ बस गे... Read more |

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6:14am 25 Mar 2013 #
 himanshu tyagi
गम से उठता है सूरज, दुखों के संग डूब जाता है,चंदा भी युहीं डर-डर के अब तो बाहर आता है,ग़मों में जागती है सुबह, अब दुखों से भरी रात है,फिर भी गर्व से कहता है इंसा अपनी तो क्या बात है!लबों पर रहती है प्यास और भूख पेट में मरती है,अपने लाल को घर से निकालने में अब हर माँ डरती है,मौत ... Read more |

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7:01am 22 Mar 2013 #
 himanshu tyagi
ज़िन्दगी एक पहेली है,ज़िन्दगी कभी दुःख का बाज़ार है,तो कभी खुशियाँ अपरम्पार है।ज़िन्दगी कभी खुशियों का समंदर है,तो कभी दुखों का बवंडर है।ये तो दुःख-सुख की सहेली है।ज़िन्दगी एक पहेली है।।ज़िन्दगी में कभी लहरों सा उछाल है,तो कभी पर्वत सा ठहराव है।ज़िन्दगी कभी सर्द हवा... Read more |

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6:37am 22 Mar 2013 #
 himanshu tyagi
सर झुकता है सजदे में और यूँ कलम हो जाता है,चाकू की नोक पर कहीं राम, कहीं अल्लाह बिठाया जाता है।कभी प्यार के चंद लफ़्ज़ों से तख्ते पलट गए,वहीँ आज मशालो से प्यार जलाया जाता है।कभी हर कदम में भारत दिखता था,अब तो बस झंडो के रंग में भारत पाया जाता है।कभी सोने की चिड़िया प... Read more |

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6:02pm 8 Mar 2013 #
 himanshu tyagi
अरे भई स्वर्ग में कमाल शुरू हो गया,क्यूंकि अब स्वर्ग में मोबाइल का इस्तेमाल शुरू हो गया।जब से स्वर्ग में लगा मोबाइल कनेक्शन,देवताओं ने चालू किया मोबाइल का सिलेक्शन।अब तो देवता हर दम बतियाते हैं,जिसकी वजह से सूरज देवता शाम की जगह रात को घर जाते हैं।जब आता नहीं चाँद&... Read more |

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5:39pm 6 Mar 2013 #
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