 vishambhar mishra
कुछ मेरा मन मतवाला थाऊपर से साथ तुम्हारा थातुम झाड़ी में छुप जाती थींमैं दूर-दूर तक जाता थाकहीं पारिजात की खुशबू थीकहीं लौकिक गंध तुम्हारी थीकैसे भूलूं उस बचपन कोकैसे छवि भूलूं गांव कीयाद आ रही है हमको अबवही दोपहरी गांव कीकहीं गूलर लाल टपकते थेकहीं महुआ झर-झर झरते थ... Read more |

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9:54am 17 Jun 2014 #
 vishambhar mishra
तुम ईश्वर की संरचना होजागती आंखों का सपना होजीवन के सारे सुख तुमसेतुम सबसे सुंदर रचना होफीके हैं वेद-पुराण सभीफीकी हैं सारी कविताएंसारे ग्रंथों का सार हो तुमतुम से हैं सारी रचनाएंतुम हो तो मेरा जीवन हैतुमसे ही मेरा गठबंधन हैतुम सच में शुद्ध कल्पना होजागती आंखों क... Read more |

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11:22am 15 Jun 2014 #
 vishambhar mishra
परिपूर्ण तुम्हीं, सम्पूर्ण तुम्हींतुम पूर्ण सृष्टि की सुंदरताअद्भुत खुशबू बसती तुममेंवाणी से अमृत है झरताकितनी सुंदर कितनी शीतलवट वृक्ष तुम्हीं बन जाती होजब सारे रस्ते बंद मिलेंतब नजर तुम्हीं बस आती हो।।... Read more |

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9:21am 15 Jun 2014 #
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