Blog: अभिव्यक्ति-अंतर्मन की |
![]() ![]() सुनो!ये जो आँखों के किनारों को थामेपलको की ओट से छुप छुप कर चुपचापसिसकियों संग बह रही हैं नये बस कुछ बूंदे है पानियो कीरूखी-सूखी और बेरंग सी कि ये कोई अश्क नही!कि अश्क तो भीगे होते है न दर्द की नमी सेऔर घुले होते है उनमे जज़्बातों के रंगऔर हाँ ये तो बहते है उन आँखों स... Read more |
![]() ![]() थोड़ा हम बदले थोड़ा आप बदलेचलिये मिलकर हालात बदलेक्यूँ न होगा कुछ क्यूँ न बदलेगा कुछ पहले जरा अपने ये ख्यालात बदलेअरे बातों बातों में बनती है बातेंजरा बात करने के अंदाज बदलेनही हासिल कोई दिलों की रंजिशों काबेहतर है अब अपने ये ज़ज़्बात बदलेंइंसा को इंसा में सिखलाये जो भ... Read more |
![]() ![]() तूफानों से लड़ती चट्टानों से टकराती मौज-ए-दरिया की रवानी देखी न जाने क्यूँ हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपी मैंने दर्द की इक कहानी देखी सहती रंज-ओ-गम दुनिया के बाँटती मुस्कानों की सौगाते पगली ऐसी मैंने इक वो सयानी देखी न देख कर भी है देखा मैंने तो फिर खुदा यारो जब-जब सू... Read more |
![]() ![]() जन्मदिन मुबारक**********नटखट नटखट प्यारी प्यारी सबकी है ये राजदुलारी| मीठी मीठी बातें इसकी मन को भाती है,अजब गजब सवालो में उलझाती है| नन्ही सी प्यारी ये गुडिया है, जादू की जैसे कोई पुडिया है| बोले ऐसे मीठे बोल, जैसे चाशनी का घोल|बातें सबकी दोहराती है, घर में ये ''रट्... Read more |
![]() ![]() न शिकवा है किसी से न कोई गिला है हूँ खुद के करीब दुनिया से इक फासला है था गुम बरसों कहीं जो दुनिया की भीड़ में मै मेरा आज जब मुझसे यूँ आकर मिला है अरमा है जागे-जागे फिर से ख्वाहिशों ने ली है अंगडाई आँखों में झांक रहा सवेरा ये कैसा उजला-उजला है कहता है दिल मुझस... Read more |
![]() ![]() ये इस कमबख्त दिल का पागलपन सा लगता है कि हर ज़ख्म इसे अब इक मरहम सा लगता है सुकूं के पलों में होती है इक बेचैनी सी सितम न होना भी अब तो इक सितम सा लगता है टूटकर बिखरे है ख्वाब कुछ ऐसे हकीकत की ज़मीं पर ख्वाब कोई अब हकीकत भी हो जाये तो वहम सा लगता है बुनते रिश्तों के त... Read more |
![]() ![]() मौला मेरे मौला ! मुझपर ये करम कर दे कि आंखें मेरी ये फिर से नम कर दे! मौला मेरे बस इतना सा रहम कर दे! सता मुझे कि फिर से रुला मुझे हूँ जिंदा ये एहसास दिला मुझे है ठहरा जो इस दिल के भीतर बूँद-बूँद समंदर वो इन आँखों से बह जाये कि इस दिल पे मेरे फिर ऐसा कोई हंसी सितम कर दे !मौला मे... Read more |
![]() ![]() खत्म हो गया आज सब कुछ जो कहीं कुछ शेष था भीतर मेरे मर गए वो नाजुक से ज़ज्बात जो कभी उपजे थे दिल की ज़मीं पर तुम्हारे कदम पड़ने से और हालातों के थपेड़ों से टूट कर भी जो अटके हुए थे कही मन के किसी कोने में और वो एहसासों के रंग-बिरंगे से फूल जो बोये थे कभी तुमने अपने हाथो से मेरे म... Read more |
![]() ![]() चुप क्यों रहती हो तुम घाव क्यों सहती हो तो क्या दर्द नहीं होता तुम्हे क्या कोई तकलीफ नहीं होतीआखिर किस मिट्टी की बनी हो तुम या सिर्फ मिट्टी की ही बनी हो तुम या इस देह के भीतर कोई आत्मा भी है क्या वो तुम्हे धिक्कारती नहीं क्या सम्वेदनाएँ तुम्हारी कभी तुम्हे खुद के लिये प... Read more |
![]() ![]() ये बिन मौसम की बरसात भी न! बिलकुल तुम्हारी यादों की तरह है कमबख्त! हमेशा मुझे उलझन में डाल देती हैं कि इक तरफ तो इनमे भीगने की ख्वहिश भी रहती है तो दूसरी तरफ बीमार होने का डर भी! पर मेरी उलझनों से मेरी परेशानियों से इन्हें क्या वास्ता ये भी तो बिलकुल तुम्हारे ही जैसी है न... Read more |
![]() ![]() उम्मीदों की ऊँगली थामेवक्त की राहों से गुजरताये ज़िन्दगी का सफर कहीं मुसीबतों के पर्वतकहीं दुखो के दलदल कहीं है इक सुहानी सी डगरकितने रंग देखे येकितने मौसम से गुजरे हैभटके कभी अँधेरी सी रातों मेंकहीं उजले से सवेरे हैंझूमता सावन की फुहारों मेंसहता लू के थपेड़ेगुजरे क... Read more |
![]() ![]() कुछ इस तरह से लोग अब मोहब्बत का कर्ज अदा कर रहे कि प्यार की कीमत वो तोहफों से अदा कर रहे ---------------------------------------------------क़त्ल करके तमाम एहसासों का सीने में बाज़ारों की चौखट पर अब वो तौबा कर रहे ----------------------------------------------------रखेंगे छुपा के तुझे ज़माने की नजर से जो कहते थे कभी आज ज़माने भर में वोही ... Read more |
![]() ![]() लोग इस तरह से अब मोहब्बत का कर्ज अदा कर रहे कि प्यार की कीमत वो पैसों से अदा कर रहे ---------------------------------------------------क़त्ल करके तमाम एहसासों का सीने में बाज़ारों की चौखट पर अब वो तौबा कर रहे ----------------------------------------------------रखेंगे छुपा के तुझे ज़माने की नजर से जो कहते थे कभी आज ज़माने भर में ही उसे वो र... Read more |
![]() ![]() इक लंबी सी उलझन भरी दोपहरी में तपती ज़िन्दगी चुरा कर फुर्सत की एक हंसी शाम दूर तक बिछी ठंडी सुनहरी रेत की चादरों पर सिमटी तुम्हारे आगोश में लेकर तुम्हारी चाहत के रंग हौले-हौले से यूँ निखर रही है जैसे दूर समन्दर के उस पारएक लम्बे से इंतजार में खड़ी शाम के आँचल में&nbs... Read more |
![]() ![]() सबसे दूर खुद के कितने पास हूँ कि आज शायद फिर मै उदास हूँ है कैद कहीं दर्द का इक दरिया मुझमे कि खुद में सिमटा हुआ इक एहसास हूँ ढूंढ रहीं है अधजगी सी आँखें ये तेरी जिसको नींद के सफर में बिछड़ा शायद तेरा वो ख्वाब हूँ रख गयी ज़िन्दगी सवाल फिर कुछ ऐसे इस मन की चौखट पर जिन सवालों मे... Read more |
![]() ![]() गुमसुम लब आँखें बेजारखुशियाँ जाने क्यों रास न आये ऐ ज़िन्दगी!कर फिर कोइ हंसी सितम कि इक अरसा हुआ हमे खुद पर मुस्कुराये हुए कल रात तुम्हारी यादो के टुकड़े संजोये थे आँखों की सीपियों में सुबह सौगात में पलको पर उलझे शबनम के कुछ मोती पायेआकर थाम लो न इन्हें अपनी हथेलियों पर ट... Read more |
![]() ![]() सुनो चलो न!आओ एक काम करे स्वार्थ से भरे इस जीवन के कुछ पल देश के नाम करे क्यों हमेशा हम शिकायते करे क्यों हरदम अधिकारों की ही बात करे चलो न!अब कुछ अपने कर्तव्यों का भी निर्वाह करे उँगलियाँ अपनी ये क्यों हरदम एक दूजे की ओर उठाते रहे क्यों खीचते टांगे एक दूजे की एक दू... Read more |
![]() ![]() देख के आईने में खुद को आज यूँ ही बेवजह मुस्कुराना अच्छा लगा कुछ पल के लिये खुद को खुद से मिलवाना है सुना मैंने ये कि होते है कान दीवारों के भी सोचा है इक रोज फुर्सत में इनसे जी भर के है बतियाना वो जो तेरा नसीब है अब तेरे दिल के करीब हो लाज़िम है इसलिए अब मेरा यूँ तुमसे दूर जान... Read more |
![]() ![]() सुख-दुःख के गाँव में पलती है धूप-छाँव संग चलती है ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी है ये मौत से पहले कहाँ ठहरती है है खुशियों का मंजर जो तो महफ़िलों सी लगती है कभी ओढ़ गमों की चादर तन्हा-तन्हा सी ढलती है ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी है ..किये सोलह श्रृंगार कभी इक नयी नवेली दुल्हन सी पलको पर ख्वाब नए... Read more |
![]() ![]() वक्त बदला सरकारे बदली पर बदले मुफलिसों के हालात नहीं आज भी उस भूखे पेट को रोटी नहीं ढकने को तन लिबास नहीखामोश शहनाइयों की सदायें देखो दे रही है गवाही लौटी है दहेज की खातिर आज फिर किसी दर से कोई बारात कहीं सारे राह इक बेटी की लुटती आबरू के तमाशबीन बने देखते रहे सब पर मदद क... Read more |
![]() ![]() संवेदना एक एहसास है जब किसी का दुःख किसी की पीड़ा किसी हृदय को महसूस होती है तब वहीं ये संवेदना जन्म लेती है जब किसी का रूदन किसी का करुण क्रन्दन किसी मन को द्रवित कर जाता है तब वहां संवेदना का जन्म होता है संवेदना जन्म लेती है उन आंखो में जिसकी पलके किसी के अश्रुओं से ब... Read more |
![]() ![]() चाहतों के ये दौर फिर रहे ना रहे आरजू है कि अजनबी सा ही तुमसे कोई सिलसिला रहे यूँ तो एक पल को दूर तुमसे रहना भी है मुश्किल और चाहती हूँ ये भी कि दरम्याँ एक फासला रहे अब जाने कब कौन सा मोड़ हमारी जुदाई का पल ले आये संग मेरे चलता यूँ ही तुम्हारी यादों का इक काफिला रहे लूटकर ले... Read more |
![]() ![]() चाहतों के ये दौर फिर रहे ना रहे आरजू है कि अजनबी सा ही तुमसे कोई सिलसिला रहे यूँ तप एक पल को दूर तुमसे रहना भी है मुश्किल और चाहती हूँ ये भी कि दरम्याँ एक फासला रहे अब जाने कब कौन सा मोड़ हमारी जुदाई का पल ले आये संग मेरे चलता यूँ ही तुम्हारी यादों का इक काफिला रहे लूटक... Read more |
![]() ![]() खता क्या है मेरी ये भी नहीं बताते हो और खफ़ा हो इस कदर कि ख्वाब में भी नहीं आते हो हो मगरूर खुद में या हो मशरूफ कही जो अपनी इक दीद को जानम इतना तरसाते हो है मेरे इस दिल को तुमसे शिकायत ये बड़ी करते हो राज़-ए-उल्फ़त जो निगाहों से बयाँ कभी उसे लबों पर क्यों नहीं लाते हो अब जो कहो क... Read more |
![]() ![]() इंसा को इंसा से जुदा कियाबेजां बुत को खुदा किया ढूंढता रहा जो तेरे दिल में ठिकाना उसे पत्थर की हवेलियों में बिठा दियापैरो तले दी जिसने ज़मीसर पे दी छत एक आसमां कीपहले टुकड़े टुकड़े की वो ज़मी उसकीफिर टुकड़े आसमां कियाउठा कर कहीं मंदिर कही मस्जिद की दीवारेटुकड़े टुकड़े फिर हम... Read more |
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